प्रेम प्रणाम जी --28 थम्भ के चौक को जैसे ही पार करते हैं --एक नूरमयी गली की अपार शोभा आयीं हैं --गली पार करते ही पहली चौरस हवेली की शोभा हैं --
यह पहली चौरस हवेली ही रसोई की हवेली हैं
तो देखते हैं ..*रसोई की हवेली की शोभा*
*ब्रह्म मुनि श्री लाल दास महाराज* जी के शब्दों से रसोई के आत्म दृष्टि से साक्षात्कार करने की कोशिश करे
*||अब रसोई के चौक पर नज़र कीजिए ||*
*पूर्व दीवार में दस मंदिर हैं |पाँच मंदिर दाहिनी तरफ ,तथा पाँच मंदिर बाईं तरफ हैं |और बीच में दस मंदिर की दहेलान हैं |उस दहेलान में दस दस थम्भो की दो हारें सुशोभित हैं |*
मेरी सखी ,पहली चौरस हवेली ,रसोई की हवेली की शोभा निरखिए --
देखिए हवेली की पूर्व दीवार की शोभा --हवेली की पूर्व दीवार में दस मंदिर की दहलान सुशोभित हैं -पूर्व दिशा में जो मध्य में बड़ा दरवाजा आना था वो भी इसी दहलान में शामिल हैं तो ग्यारह मंदिर की की लंबी और एक मंदिर की चौड़ी अत्यंत मनोहारी देहेलान की शोभा आयीं हैं --इन देहलान में नूरमयी जेवरातों के जगमगाते दो थंभों की हारें आयीं हैं --
इन देहेलान के दोनों और रंगों नंगों से सुखदायी झलकार करते पांच पांच मंदिर आयें हैं
यह हुई रसोई की हवेली की पूर्व दीवार की अजब शोभा --रूह के नयनों से निरखिये
यह पहली चौरस हवेली ही रसोई की हवेली हैं
तो देखते हैं ..*रसोई की हवेली की शोभा*
*ब्रह्म मुनि श्री लाल दास महाराज* जी के शब्दों से रसोई के आत्म दृष्टि से साक्षात्कार करने की कोशिश करे
*||अब रसोई के चौक पर नज़र कीजिए ||*
*पूर्व दीवार में दस मंदिर हैं |पाँच मंदिर दाहिनी तरफ ,तथा पाँच मंदिर बाईं तरफ हैं |और बीच में दस मंदिर की दहेलान हैं |उस दहेलान में दस दस थम्भो की दो हारें सुशोभित हैं |*
मेरी सखी ,पहली चौरस हवेली ,रसोई की हवेली की शोभा निरखिए --
देखिए हवेली की पूर्व दीवार की शोभा --हवेली की पूर्व दीवार में दस मंदिर की दहलान सुशोभित हैं -पूर्व दिशा में जो मध्य में बड़ा दरवाजा आना था वो भी इसी दहलान में शामिल हैं तो ग्यारह मंदिर की की लंबी और एक मंदिर की चौड़ी अत्यंत मनोहारी देहेलान की शोभा आयीं हैं --इन देहलान में नूरमयी जेवरातों के जगमगाते दो थंभों की हारें आयीं हैं --
इन देहेलान के दोनों और रंगों नंगों से सुखदायी झलकार करते पांच पांच मंदिर आयें हैं
यह हुई रसोई की हवेली की पूर्व दीवार की अजब शोभा --रूह के नयनों से निरखिये
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