रविवार, 18 सितंबर 2016

dham darvaja

🙏प्रेम प्रणाम जी --🙏


सखी मेरी ,आज अपनी आत्मिक नजर श्री रंगमहल के सम्मुख चांदनी चौक में लेकर चले ,चांदनी चौक की उज्जवल रेती ,उनके नूर को महसूस करे और देखे दोनों दिशा में कमर भर ऊंचे चबूतरों पर आयें मोहोल माफक नूरमयी वृक्षों की शोभा --

ठीक मध्य में आयीं नग्न जड़ित रोंस से आगे बढ़ते हैं शोभा देखते हुए --यह रोंस सीढ़ियों तक पहुंचाती हैं

आगे धाम की विशाल ,अति सुन्दर सीढियां --सीढियां चढ़ते हैं ..अत्यंत ही कोमल गिलम सीढ़ियों पर आयीं हैं कि घुटनों तक पाँव धंस रहे हैं ! गिलम पर सुन्दर चित्रामन आयें हैं और सीढ़ियों के दोनों तरफ किनार पर रत्नों -नंगों से जगमगाते जवेरहातो का नूरमयी कठेड़ा सुशोभित हैं ।कठेड़े में अति सुन्दर नक्काशी आयीं हैं --चित्रामन में जड़ित पशु पक्षी ,पुतलियाँ भी उल्लसित हो रूह का अभिनन्दन कर रही हैं --


पांचवीं सीढ़ी के साथ ही लगे चांदा  की अजब शोभा आयीं हैं ..चांदा और सीढ़ी पर आयीं गिलम का रंग अलग अलग आया हैं --पुनः आगे बढे तो दसवीं ,पंद्रहवीं ..इस तरह से सौ सीढियां बीस चांदों सहित पर करके दो  मंदिर के चौक में पहुंची  -




चौक के दाएं बाएं चबूतरो की अपार शोभा आयीं हैं और ठीक सामने नजर पढ़ी तो धाम दरवाजा 


अत्यंत ही सुन्दर शोभा लिये हमारे निजघर का मुख्य द्वार --शोभा को देखे 

दो मंदिर के चौक के ठीक सामने (पशिम दिशा ) में दो मंदिर की लंबी उत्तर से दक्षिन दीवार जो एक मंदिर ऊंची शोभित हैं ..इन दीवार के मध्य में 88  हाथ का नूरमयी दर्पण का किवाड़ (दरवाजा ) आया हैं जिसके बेनी (पल्ले )हरित रंग में हैं और सेंदुरिया रंग जडाव की चौखट की शोभा तो बहुत ही मनोरम हैं --दरवाजे के ऊपर बारह हाथ की नूरी मेहराब शोभित हैं --और दरवाजा के दोनों और 56 -56  हाथ की लाल मणियों जड़ित सुन्दर चित्रामन से सजी नूरमयी दीवार आयीं हैं --

यह शोभा तो हुई धाम दरवाजे के प्रथम भोम की शोभा --अब देखते हैं रूह की नजर से --

धाम दरवाजे के ऊपर आयी बारह हाथ की जो मेहराब आयीं हैं उसके कोण पर और दोनों और लाल माणिक के फूलों की शोभा हैं --इन मेहराब के ठीक ऊपर  तीन हाथ ऊंचा एक झरोखा आया हैं --

दूजी भोम में एक बड़ी मेहराब में नव मेहराबे आयीं हैं --जिनकी शोभा 3+3+3=9 ---तो इस तरह से ह्रदय में बसाते हैं शोभा 

जो ठीक मध्य  की तीन मेहराब हैं  उनमे मध्य की मेहराब में झरोखा आया हैं और दाएं बाएं की मेहराब में नंगों की चित्रामन से युक्त सुन्दर जाली द्वार आयें हैं 

जो दाएं बाएं की तीन तीन मेहराब आयीं हैं --उनके मध्य में दरवाजा आया हैं और दोनों और की मेहराबों में जाली द्वार हैं -यह हुई धाम दरवाजा की दो भोम की मनोहारी शोभा --सखी मेरी रूह के नयनों से निरख                         

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