रविवार, 25 सितंबर 2016

28 thambh ka chouk

|| *अब अठ्ताईस थम्भों का चौक देखिए* ||

*यह अठ्ताईस थम्भों का चौक बारह मंदिर का लंबा और सात मंदिर का चौड़ा झलझलाकार हैं | थम्भों की गिनती इस प्रकार से हैं _ दस थम्भ दरवाजे की तरफ हैं ,और दस थम्भ पश्चिम की तरफ _रसोई के चौक के आगे हैं |चार थम्भ उत्तर की तरफ हैं और चार थम्भ दक्षिण की तरफ हैं |इस प्रकार से अठ्ताईस थम्भ का चौक हुआ | जैसा अठ्ताईस थम्भ का चौक प्रथम भूमिका में हैं ,ऊपर की नवों भोमों में भी उसी प्रकार समझना चहिए |*

ब्रह्म मुनि श्री लाल दास महाराज जी श्री रंगमहल की शोभा का विहंगम वर्णन कर रहे हैं --आत्म की नज़रों से ,रूह की निज नजर से परमधाम में चलते हैं -

कोट गुनी शोभा से जगमगाहट करता धाम दरवाजा .नूरमयी दर्पण रंग में सुशोभित --द्वार आपके लिये स्वतः खुल गए --

एक सीढ़ी ऊंची चौखट पार करके धाम  को पार किया तो खुद को रंगमहल के भीतर महसूस किया --

नूरमयी आलम --हर शह में श्री राज जी का इश्क ,उनका लाड ,मीठी स्वर लहरी --अनोखी अदा से रूह का अभिनन्दन --

धाम दरवाजा के भीतर की तरफ एक नूरमयी गली ,बहुत ही सुन्दर --गली को पार किया एक चौक में पहुंचे --

इन चौक की पूर्व दिशा में दस नूरमयी थम्भ हैं ..जेवरातों के नूरमयी थम्भ ,रंगों  नंगों की अद्भुत झलकार --बेहद ही सुन्दर नक्काशी से युक्त मेहराबें --

दस मंदिर का लंबा और चार मंदिर का चौड़ा अति मनोहारी चौक --जिसकी पश्चिम दिशा में भी दस नूरमयी थम्भ सुखदायी झलकार कर रहे हैं --और उत्तर और दक्षिन दिशा में चार चार थम्भ शोभित हैं --चौक में पशमी गिलम बिछी हैं और उन पर नूरमयी ,सुखदायी बैठके और छत पर नूरी चंदवा की सोहनी झलकार --

रंगमहल के इन प्रथम चौक की शोभा रूह की नजरो से फेर फेर निरखे

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें