शुक्रवार, 9 सितंबर 2016

फूल बाग़

प्रणाम जी सुन्दर साथ जी ,आज धाम धनी श्री राज जी की मेहर से फूल बाग़ में रमन करते हैं
परमधाम के ठीक मध्य भाग में भोम भर ऊंचे चबूतरे पर रंगमहल सुशोभित हैं --रंगमहल की पूर्व दिशा में सात घाट शोभित हैं ,दक्षिन दिशा में बट पीपल की चौकी ,हिंडोलों की अपार शोभा हैं ,पश्चिम दिशा में फूल बाग़ ,नूर बाग़ की सुगंधि समूर्ण परमधाम को महका रही हैं और साथ जी ,उत्तर दिशा में लाल चबूतरा ,बड़ो वन ,ताड़ वन की बेहद ही प्यारी शोभा आयीं हैं

तो अपनी आत्मिक सुरता रंगमहल के पश्चिम दिशा में लेकर चलते हैं जहां फूल बाग़ की अति मनोहारी शोभा आयीं हैं

रंगमहल की पश्चिम दिशा में 1500 मंदिर के लंबाई चौड़ाई लिए फूल बाग की मनोहारी शोभा आईं हैं |नूर बाग की छत पर फूल बाग स्थित हैं | फूल बाग और नूर बाग में आएँ नूरमयी फूलों की सुगंधी संपूर्ण परमधाम को महका रही हैं |

अक्षरातीत पूर्ण ब्रह्म परमात्मा श्री राज जी अपनी बड़ी रूह श्री श्यामा जी और सखियों के संग रंगमहल के पश्चिम दिशा में स्थित फूल बाग की चाँदनी पर पधारते हैं |श्री राज-श्यामा जी और सखियों के चाँदनी पर कदम धरते ही मानो चाँदनी खिल उठती हैं |नूरमयी फूलों की सुगंधी और उनकी शोभा कोट गुना बढ़ जाती हैं |

रंग बिरंगे नूरी अति कोमल फूलों की सुन्दर सुन्दर बैठके सज उठी  और नूरमयी चेतन बैठके बड़े ही लड़ प्यार से मनुहार करती हैं कि आइए ,कुछ पल यहाँ विराजिए |परमधाम का जर्रा-जर्रा खुद श्री राज जी के ही दिल का व्यक्त स्वरूप है जो रूहो को रिझाने के लिए खुद ही भिन्न भिन्न रूपो मे लीला करता है ।

फूल बाग़ की नूरी चांदनी पर आप श्री राज-श्याम जी नूरी बैठकों पर विराजते हैं ,सखियाँ भी संग विराजती हैं --उन समय के अखंड सुखों को महसूस करे --अति सुन्दर फूलों की बैठक ..फूलों से सजे अति सुन्दर शोभा को धारण सिंहासन


यहाँ की कुर्सी इतनी प्यारी तो अर्शे सहुरे विचारें ...अर्शे अज़ीम की बैठक की क्या शोभा होगी ? जिस पर युगल स्वरूप श्री राज श्याम जी विराजते हैं

मेहरों के सागर आप श्री राज जी रूहों को दिखाते हैं फूल बाग़ के अति मनोहारी दृश्य --अति सुन्दर चांदनी ,ऐसा प्रतीत होता हैं कि चारों और फूल ही फूल बिखरे हो |

रंगबिरंगे फूलों की शोभा तो कहीं कहीं एक ही रंग में खिली चाँदनी की मनोहारी शोभा हैं |

फूलों के सुन्दर चौक बने प्रतीत होते हैं और उनमें अद्भुत नक्काशी --हर शह चेतन

फूल बाग के चारों कोनों में सोलह हान्स के चहबच्चे शोभित हैं --तो चांदनी पर बैठ देखे चारों कोनों में ---सोलह हांस के चहेबच्चों से उठते आकाश को छूटे प्रतीत होते निर्मल जल के फव्वारे और फूलों से प्रतिबिंबित होती उनकी रंग-बिरंगी बूँदियां

फूल बाग की पूर्व दिशा में रंगमहल भोम दर भोम छज्ज़ें ,झरोखे                         
श्री राज श्याम जी और सखियाँ फूल बाग़ की चांदनी में रमण करते हैं ,विध विध के विलास करते हैं --और चारों कोनों में चेहेबच्चों से उठते नूरी जल की बूंदियों का कोमल  स्पर्श -- चांदनी पर हान्स विलास कर अब चलते हैं ---- फूल बाग की दूसरी भोंम में

                         मेरी सखी ,यहाँ की शोभा तो और भी सरस (सुन्दर )हैं --फूल बाग़ की दूजी भोम में नीचे भी फूलों की गिलम बिछी हैं और ऊपर नजर की तो यहाँ भी फूलों का चंद्रवा

और एक प्यारी सी शोभा --जो धाम ह्रदय में उल्लास भर देती हैं --फूलों की गिलम से प्रगट होते नूरी फूलों के वृक्ष ---नूरी वृक्ष और उनकी अति सुन्दर कटावदार मेहराबें --उन महेराबों के मध्य बने चौक-इन चौकों में पशु पक्षी अनेक प्रकार की लीलाएं कर धाम धनी श्री राज जी को रिझाते हैं --खेल कूद कर ,अनन्त प्रकार के तमाशे कर --फूलों के वो नूरी हार पिरो श्री राज श्याम जी और सखियों को अर्पण करना -

यहां विध विध के खेल कर अब चले फूल बाग की पहली भोम --जहाँ की शोभा का क्या वर्णन हो ? आड़ी खड़ी नहरों के दरम्यान 100 बगीचों की शोभा श्रीराज जी रूहों को दिखलाते हैं | एक एक चौक की शोभा रूह देखती हैं |

एक चौक में तीन-तीन आड़ी खड़ी नहरें आने एक चौक में छोटे छोटे सोलह बगीचे सुशोभित हैं | अब इनमें एक एक चौक में मनोहारी शोभा को देखिए साथ जी -इन चौकों में तीन तीन मंदिर की हद में वृक्षों की शोभा आईं हैं |रंग-बिरंगे फूलों की सोहनी जुगत और प्रत्येक चौक को घेर कर नहरो चहेबच्चों की बेशुमार शोभा आईं हैं |

 अब देखते हैं सबसे प्यारी शोभा हमारे निजघर के फूल बाग़ की --रंगमहल की धाम रोंस से लगती फूल बाग की पहली नहर में 3000 चहेबच्चों की शोभा आईं हैं |रूहें पश्चिम दिशा मे आएँ 3000 बाहिरी मंदिरों के द्वारों के सामने सुशोभित इन चहेबच्चों के उठते फव्वारो का आनंद लेती हैं | ऊपर नीचे फूलों की शोभा और उनकी सराबोर करती सुगंधी के अखंड सुखों का क्या वर्णन हो ?

श्री राज-श्यामा और ब्रह्म प्रियाएँ कृष्ण पक्ष की चौथ को यहाँ रमण विहार कर सुख लेते हैं |




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