गुरुवार, 22 सितंबर 2016

rangmahal men pravesh

*दरवाजे के अंदर प्रवेश होकर मंदिरों की भीतरी दीवाल के दरवाजे से निकल कर देखिए --तो छः-छः हज़ार मंदिरों की दो हारें फिरती दिखाई देती हैं |तिन दो हज़ार मंदिरों के बीच में छः-छः हज़ार थम्भों की फिरती दो हारें शोभा लेती हैं तथा उनके बीच फिरती तीन गलियाँ सुशोभित हैं |उन छः-छः हज़ार थम्भों की बयालीस हज़ार महेराबें इन गलियों पर देदीप्यमान हैं |ऐसी महेराबें प्रत्येक भोम की गलियों पर सुशोभित हैं |*


दर्पण रंग के झिलमिलाते धाम दरवाजा में अब प्रवेश करते हैं --दरवाजा स्वतः ही खुल गया और एक सीढ़ी ऊंची लाल रंग की सुंदर नक्काशी से जड़ित चौखट को पार करके दरवाजे के मंदिर में प्रवेश किया --

धाम दरवाजे का यह मंदिर दो मंदिर का लंबा और एक मंदिर चौड़ा आया हैं --इन मंदिर की चारों दिवार की शोभा को धाम ह्रदय में बसाते हैं --मंदिर की पूर्व दिवार की शोभा को पहले देखा --मध्य में दर्पण रंग अति सुन्दर चित्रामन से जड़ित धाम दरवाजा और आसपास लाल मणियों से महकती नूरमयी दिवार --ठीक ऐसे ही पश्चिमी दिवार में शोभा आयीं हैं --

मंदिर की उत्तर और दक्षिन दिशा में आयीं दिवार में एक बड़ी मेहराब में एक छोटा दरवाजा सुशोभित हैं जिनसे पाखे में आएं मंदिरों में जा सकते हैं --

दरवाजे वाले मंदिर की शोभा देखते हुए मंदिर की पश्चिमी दिवार में आएं दर्पण रंग के बादशाही दरवाजे को पार करके रंगमहल में प्रवेश किया -तो देखी मनोहारी शोभा जवेरातों के नूरमयी ,अनेक रत्नों से सजे और फूलों से महक बिखेरेते 6000-6000 मंदिरों की दो हारें आईं हैं |रंगों नंगों से झिलमिलाते जवेरातों के मंदिर एक रस हैं ,चेतन हैं ,उनकी दीवारों पर आया चित्रामन अद्भुत हैं और भीतर की शोभा ,सुख तो किन मुख से वर्णन हो ?

6000-6000 मंदिरों की इन हारों के मध्य दो थम्भों की हारें और तीन गलियां शोभा ले रही हैं |पहलों में शोभयमान ये शोभा ,हान्स हान्स में न्यारी सी शोभा ,न्यारा रंग न्यारी जुगति और आगे भीतर हवेलियों के हाँस --अति नूरी शोभा
बहुत ही प्यारी जुगति से थम्भो की शोभा आईं हैं |जिनमें कई कटाव हैं कई प्रकार के अनुपम नक्काशी हैं | अलग अलग प्रकार के चित्रामन है और हर चित्र के जुदे ही भाव हैं | देख तो रूह एक एक रंग का अद्भुत जवेर और उसी में आईं चेतन नक्काशी ,उनके अलग अलग कटाव एक से बढ़कर एक सुंदर हैं |


अर्श के नूरी थम्भ अर्श के चेतन जवाहरातो के है | इनका नूर बराबर झलकता है | हक हादी और रूहें इन थम्भन में …नूरी महराबी द्वारों में रमण कर सुख लेते हैं | श्री राज श्री श्यामा जी और रूहें इन लटकनी मटकनी चाल से बिहरते मीठी मीठी बतियां करते है | उनके भूखनो की झंकार से वतन झूम उठता है | जिनकी बातों मे अपरंपार सुख है जिनके बारे मे सुनने मात्र से सुख मिलता है तो उनके संग रमण के नित्य विहार के सुखो का क्या वर्णन हो ?



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें