बुधवार, 21 सितंबर 2016

dhamdarvaja ke das mandir ke haans ki baais mehrabon ka varnan

इस प्रकार बाईस महेराब का हिसाब हुआ |

यह बाइस मेहराबें किस तरह से आयीं --यह शोभा एक बार फिर से देखे हैं --

चांदनी चौक से सौ  सीधी 20 चांदो सहित पर करके दो मंदिर के चौक में आये 

इन दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक में चरों कोनों में चार थम्भ आएं हैं जिनमें चार मेहराब हुई ..एक पश्चिम दिशा में धाम दीवार पर अक्स मेहराब (दीवार पर मेहराब का चित्रामन )..दाएं बाएं चबूतरों की तरफ एक एक मेहराब और पूर्व दिशा में सीढ़ियों पर एक  मेहराब --हीरा की झलकार करती यह चार मेहराब दो मंदिर की चौड़ी और दो ही मंदिर की ऊंची आयीं हैं
अब दो मंदिर के चौक से उत्तर दिशा के चबूतरे पर चलते हैं --उत्तर दिशा में मुख करे तो देखेंगे ..चबूतरा ---जिसमें मध्य 50 हाथ की जगह में सीढ़ी चढ़ने की जगह हैं आस पास कठेड़ा आया हैं --सीढ़ी चढ़ कर चबूतरा पर आएं --सबसे पहले पूर्व की और देखे ..चांदनी चौक की और --

हीरा माणिक ,पुखराज और पाच निलवी के थम्भ शोभित हैं इनके मध्य चार मेहराबे आयीं हैं --दो दो रंगों की --यह सब एक मंदिर की चौड़ी और एक ही मंदिर की ऊंची आयीं हैं --पश्चिम दिशा में भी चार मेहराबे हैं जो बाहिरी हार मंदिरों पर अक्स रूप में हैं --और चबूतरे की उत्तर दिशा में एक मेहराब गुर्ज पर लगी हैं ---4+4+1=9

इसी प्रकार दक्षिन दिशा के चबूतरे पर शोभा हैं --

हीरा की थम्भ वही हैं जी दो मंदिर के चौक में थे --
इस नक़्शे में देखे --पूर्व किनार पर आयी दो दो रंग की सुन्दर मेहराब ---पश्चिम में मंदिरों की दीवार पर चित्रित मेहराबे

दो मंदिर के चौक में उतरने के लिये जगह औए शेष स्थान पर कठेड़ा 👆👆👆
चौक के चारों दिशा में दो मंदिर के ऊंचे दो ही मंदिर की चौड़ी मेहराब 👆👆👆👆
दो मंदिर के चौक में =4

दोनों चबूतरों पर =9+9=18

कुल बाइस मेहराब का वर्णन हुआ

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