गुरुवार, 1 सितंबर 2016

rangmahal

श्री जी साहिब जी मेहरबान 
श्री छोटी वृत 
अर्थात 
श्री परमधाम का संक्षिप्त वर्णन 

यद्धपि यह दिव्य -धाम ,ब्रह्म धाम अनिर्वचनीय ,शब्दातीत एवम् मन-वाणी -बुद्धि आदि से सर्वथा अगम्य अगोचर हैं | यहाँ का प्रत्येक प्रदार्थ असीम ,अद्वैत और सच्चिदानदात्मक -अप्राकृतिक ,आत्मभूत ,स्वयम् सिद्ध ,शुद्ध साकार हैं |तथापि इसे ध्यान गम्य बनाने के लिए शब्द बल का आश्रय लेकर किंचित दिगदर्शन कराया जाता हैं |इस धाम को तर्क युक्ति ,किंवा प्रमाण कोई स्पर्श नहीं करता अतः मानव की शुष्क बुद्धि की कसौटी पर कसा नहीं जा सकता | केवल इस पर पूर्ण श्रद्धा एवम् विशवास करके नित्य अनुक्षण इसका श्रवण ,मनन ,चितवन कियस जाय तो अवश्य साक्षात्कार हो |

श्री लाल दास महाराज जी कृत परमधाम की छोटी वृति में परमधाम का बहुत ही मनोरम वर्णन हैं --श्री लाल दास जी महाराज जी कहते हैं कि अब मैं परमधाम का वर्णन करने जा रहा हूँ ..बहुत ही सूक्ष्म रूप --यद्यपि दिव्य धाम ,परमधाम शब्दातीत हैं ,वहां की शोभा का वर्णन करना मन ,वाणी और बुद्धि से करना असंभव हैं ।परमधाम की सभी वस्तु ,मोहोल ,वन असीम शोभा को धारण किए हुए हैं ...शुद्ध साकार स्वरूप हैं ...श्री राज जी के धाम ह्रदय का व्यक्त स्वरूप हैं तो भी परमधाम के साथी ,सखियाँ वहां की शोभा का विचार कर सके ,चितवन में परमधाम के अखंड सुखों की अनुभूति करे इसीलिये मैं शब्दों का सहारा लेकर कुछ दर्शन करवाता हूँ ।परमधाम को समझने के लिये पूर्ण श्रद्धा और विश्वास  की जरूरत हैं ..विरह और समर्पण की राह कर कदम रख कर ही श्रवण ,मनन और चितवन के माध्यम से दर्शन संभव हैं ..यही मार्ग हैं आत्म -जागृति का



प्रथम * दश भूमयात्मक महारसालय श्री रंगमहल का वर्णन 

श्री परमधाम निजधाम कैसा हैं कि ,श्री निजधाम की ज़मीन से एक भोम ऊँचे गोल चबूतरे पर से प्रारंभ हुआ हैं | इस चबूतरे की दो सौ एक हांस (पहल ) हैं ,किंतु हिसाब की दो सौ ही हांस हैं दरवाजे की हांस दश मंदिर की हैं |दाहिनी तरफ और बाईं तरफ की हांस पच्चीस पच्चीस मंदिर की हैं और गृद ( चारों तरफ ) की हांस तीस तीस मंदिर की हैं |

सबसे पहले नव भोम दसवीं आकाशी के रंगमहल का मनोहारी वर्णन

श्री परमधाम कैसा हैं ?

परमधाम के ठीक मध्य भाग में परमधाम की जमीन से एक भोम ऊंचा गोल चबूतरा शोभित हैं जिस पर रंगमहल अपनी पूर्ण शोभा के साथ झलकार कर रहा हैं ।भोम भर ऊँचे इस चबूतरा के 201  हान्स ,पहल हैं ---गिनती में 200  हान्स हैं --रंगमहल 2000  मंदिर का लंबा चौड़ा आया हैं जिसकी गृद 6000  मंदिर हैं --चरों तरफ घेर कर 30 -30  मंदिर के हान्स आएं हैं ! पूर्व दिशा में मुख्य द्वार की शोभा के वास्ते 10  मंदिर हान्स आया हैं जिसके दोनों और के हान्स 25 -25  मंदिर के हैं शेष हान्स तीस मंदिर के हैं-- 

हान्स या पहल --जैसे की एक पेंसिल में पहल आते हैं ...गोलाई में घेर कर ६००० मंदिर की गृद आयीं हैं जिनमें प्रत्येक ३o मंदिर की हद पर एक गुर्ज की शोभा आयीं हैं --गुम्मट जी में सूरत ले चले ..गुम्मट जी में पहल और जहाँ पहल आएं हैं वहां गुरजों की शोभा देखिए --

देखे इस नक़्शे में ...सर्वप्रथम परमधाम की जमीन से भोमभर ऊंचा चबूतरा उठा ---खुद को यहाँ महसूस करे और देखे की चबूतरा को घेर कर एक मंदिर की परिक्रमा आयीं हैं --इसे धाम रोंस भी कहते हैं ..धाम रोंस की बाहिरी किनार पर कठेड़ा (रेलिंग) आयीं हैं और भीतर रंगमहल ---हान्स की शोभा
इसमें देखे मुख्यद्वार की शोभा के वास्ते १० मंदिर का हान्स और घेर कर आएं हान्स और गुर्ज
सफ़ेद रंग में दर्शाए नक़्शे में ..रंगमहल और घेर कर आएं 6000  मंदिर और हान्स
dt 1/09/2016

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