गुरुवार, 29 सितंबर 2016

चांदनी चौक से 28 थम्भ के चौक तक

*चांदनी चौक से 28  थम्भ के चौक तक*

श्री राज जी की मेहर से अपनी निज नजर को परमधाम में लेकर चले --परमधाम के ठीक मध्य भाग में भोम भर ऊंचा चबूतरा आया हैं जिस पर रंगमहल सुशोभित हैं --रंगमहल के मुख्य द्वार के सामने चांदनी चौक की शोभा आयीं हैं तो आइये --चांदनी चौक में खुद को महसूस करे -



166  मंदिर का लंबा चौड़ा चांदनी चौक जिसकी उत्तर दिशा में चबूतरे पर लाल वृक्ष शोभा ले रहा हैं और दक्षिन दिशा में हरे रंग का वृक्ष सुखदायी झलकार कर रहा हैं --मध्य में दो मंदिर की रोंस जो रंगमहल की सीढ़ियों से जाकर मिली हैं --चांदनी चौक में आयीं मोती के मानिंद उज्जल रेती जिसकी झलकार आसमान को छू रही हैं --रेती इतनी नरम की पाँव धरते ही घुटनों तक धंस जाते हैं --



चांदनी चौक की उत्तर ,दक्षिन और पूर्व में अमृत वन की शोभा आयीं हैं और पश्चिम में नव भोम दसवीं आकाशी का हमारा निजघर शोभा ले रहा हैं --

मध्य आयीं दो मंदिर की रोंस से धाम सीढ़ियों तक चले --सीढियां चढ़ते हैं ..अति सुन्दर ,कोमल ,विशाल सीढियां --सीढ़ियों के दोनों और आएं कठेड़े --



सीढियां चढ़ कर दो मंदिर के चौक में आये ..दोनों और चार मंदिर के लंबे दो मंदिर के चौड़े चबूतरे --सामने धाम धाम दरवाजा --दर्पण रंग में जगमगाह बिखेरता धाम दरवाजा जिसके पल्ले हरे रंग में सुशोभित हैं --सेंदुरिया रंग की एक सीधी ऊंची चौखट --द्वार के दोनों और और ऊपर लाल मणियों से जड़ित दीवार --

एक सीढ़ी ऊंची चौखट को पर कर रंगमहल के भीतर आये --एक गली को पर किया और आ पहुंचे 28  थम्भ के चौक ..एक मनोरम चौक --जहाँ वनों से आते जाते समय कुछ देर बैठ हान्स विलास करते हैं --अत्यंत मनोरम चौक जिसके चारों और नूरी थम्भ आएं हैं ..नीचे पशमी गिलम और ऊपर नूरी चंदवा ..चौक में आई सुन्दर बैठके --

*अभी तक की शोभा सार रूप में*

*अब देखनी है शोभा रसोई के चौक की --पहली चौरस हवेली*

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