शुक्रवार, 2 सितंबर 2016

chandni chouk

श्री धाम दरवाजे के आगे चाँदनी चौक (प्रांगण )मे खड़े रहिए  |

मेरी सखी , परमधाम के मध्य स्थित रंगमहल के चबूतरा पर आओ  ..घेर कर धाम रोंस की शोभा को निरख --घेर कर आएं अलौकिक शोभा से जगमगाते मंदिरों की हार जिनमें एक एक झरोखा और दो दो द्वार आएं हैं --घेर कर 200  हान्स आएं हैं --चारों कोनों में चेहेबच्चा की शोभा आने रंगमहल की चार दिशा प्रतीत हो रही हैं --उत्तर ,दक्षिन ,पश्चिम दिशा में 50 -50  हान्स आयें हैं ..पूर्व में शोभा और भी मनोरम हैं ,यहाँ पर ठीक मध्य में दस हान्स की शोभा धाम दरवाजे के वास्ते आयीं हैं --धाम दरवाजे के दोनों और 25 -25  हान्स के पहल आया हैं शेष पहल 30  हान्स के हैं ..द्वार का हान्स आने से पूर्व में 51  हान्स हुए --तो अब खुद को धाम दरवाजे के सामने देखे --औ रूह की नज़रों से धाम दरवाजे के चांदनी चौक की मनोहारी शोभा के दर्शन आत्मिक दृष्टि कर मेरी सखी -


चाँदनी चौक एक छयासठ मंदिर का लंबा चौड़ा सम चौरस हैं |


चांदनी चौक 166 मंदिर का लंबा चौड़ा सुशोभित हैं  --रंगमहल की पूर्व दिशा में केल ,लिबोई ,अनार ,अमृत ,जाम्बु ,नारंगी और बट के वन आयें हैं .. अनार ,अमृत ,जाम्बु यह तीन वन रंगमहल के पूर्व में लगे हैं ..धाम द्वार के सामने अमृत वन आया हैं इसी अमृत वन के तीसरे हिस्से में चांदनी चौक की शोभा आयीं हैं-


श्री परमधाम को प्रवेश होते दाहिनी (उत्तर ) तरफ लाल वृक्ष हैं और बाईं तरफ (दक्षिण )तरह हरा वृक्ष हैं |


हद बेहद को पर करके परमधाम पहुंचे --केल पल से होते हुए पाट घाट आये --पात घाट के उज्जवल ,निर्मल ,शीतल जल में झिलना सिंगार कर रूह जब पाट घाट को पीठ कर के रंगमहल की और बढ़ती हैं तो जैसे ही अमृत वन के तीसरे हिस्से में आयें चांदनी चौक में प्रवेश करती हैं तो उत्तर दिशा की और 33  मंदिर के लंबे चौड़े कमर भर ऊंचे चबूतरा पर लाल वृक्ष की शोभा आयी हैं इसी प्रकार से दक्षिन दिशा में 33  मंदिर के लंबे चौड़े कमर भर ऊंचे चबूतरा पर हरे  वृक्ष की शोभा आयी हैं -इन वृक्षों की दो भोम तीसरी चांदनी आयीं हैं


लाल वृक्ष की उत्तर तरफ चाँदनी चौक की तैंतीस मंदिर की जगह हैं |इसी प्रकार हरे वृक्ष की दक्षिण तरफ चाँदनी चौक की तैंतीस मंदिर की जगह हैं |जिन चबूतरों पर हरा और लाल वृक्ष हैं ,वे दोनों चबूतरे तैंतीस-तैंतीस मंदिर के लंबे चौड़े हैं |इन दोनों चबूतरों के बीच में चौंतीस मंदिर की जगह हैं |हरे लाल वृक्ष के चबूतरों की जगह को छोड़कर पश्चिम (धाम )की तरफ साढ़े छयासठ मंदिर की जगह हैं |इसी प्रकार पूर्व श्री यमुना जी की तरफ साढ़े छयासठ मंदिर की जगह हैं |और तैंतीस-तैंतीस मंदिरों की जगह दोनों चबूतरों में हैं |


अब श्री लाल दास महाराज जी चांदनी चौक की 166  मंदिर की जगह का हिसाब बता रहे हैं ताकि शोभा दिल में बस सके --उत्तर दिशा में 33  मंदिर के लंबे चौड़े चबूतरे पर जो लाल वृक्ष आया हैं --इसकी उत्तर दिशा में चांदनी चौक की जगह तैंतीस मंदिर की है-- इसी प्रकार हरे वृक्ष की दक्षिण तरफ चाँदनी चौक की तैंतीस मंदिर की जगह हैं |33  मंदिर के लंबे चौड़े इन दोनों चबूतरों के मध्य में 34  मंदिर की जगह हैं --अब इन चबूतरों की पूर्व दिशा और पश्चिम दिशा की शोभा देखे तो यहां साढ़े छयासठ मंदिर की जगह हैं-
एक और तरह से यह शोभा को देखे --अमृत वन के तीसरे हिस्से में चांदनी चौक आया हैं -तो देखे इस नक़्शे में ...चांदनी चौक के सामने रंगमहल और शेष तीन दिशा में वन हैं --और ठीक मध्य 2  मंदिर की चौड़ी रोंस हैं जो इस नक़्शे में लाल रंग में दिखाई हैं --इस रोंस के आने से चांदनी चौक दो हिस्सों में दिखा रहा हैं तो इन हिस्सों के ठीक मध्य चबूतरों पर हरा लाल वृक्ष शोभित हैं-
पुनः इस नक़्शे से देखे पाट घाट से सीधा वनों के मध्य से आती रोंस जो पीले रंग में दिखाई हैं --चांदनी चौक से होती हुई ठीक रंगमहल की सीढ़ियों से मिलती  हैं --उत्तर दिशा में लाल वृक्ष और दक्षिन दिशा में हरे वृक्ष का निशान देखिये
                         ये दोनों चबूतरे चाँदनी चौक की भूमि से कमर भर ऊँचे हैं और चारों तरफ तीन तीन सीढ़ियाँ हैं एवम् फिरता कठेड़ा हैं | वृक्षों की छाया +चबूतरे के बराबर हैं |इस प्रकार चाँदनी चौक का एक सौ छयासठ मंदिर का हिसाब हुआ |+वृक्षों की डालियां चबूतरे  को उलन्घ कर बाहर नहीं निकली है |

उत्तर दक्षिन दिशा में आयें चबूतरे जिन पर लाल -हरा वृक्ष आया हैं 33  मंदिर के लंबे चौड़े हैं --और चांदनी चौक की जमीन से तीन सीढ़ी ऊंचे इन चबूतरो की चारों दिशा से सीढियां उतरी हैं और बाकि जगह कठेड़ा आया हैं  --इस प्रकार से चांदनी चौक का हिसाब सम्पूर्ण हुआ --लाल हरे वृक्षों की एक अद्भुत विशेषता हैं कि इनकी चबूतरे पर ही रहती हैं ..वाणी में इसका प्रमाण -

ऊपर दरखत छाया बराबर, सब रही चबूतरे भर ।
चारों तरफों तीन तीन चरनी, किनारे की सोभा जाए न बरनी ।। १३/3।।परिक्रमा 


चबूतरे पर आए पैड़ की डालियों का विस्तार कुछ इस तरह से है कि उनकी छाया पूरे चबूतरे पर समान रूप से होती है चबूतरे के किनार की शोभा का ब्यान नही हो सकता  चारो दिशा मे चबूतरे मे मध्य भाग से तीन-तीन सीढ़ियां आई है 

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