शनिवार, 24 सितंबर 2016

shri rangmahal

श्री रंगमहल के धाम दरवाजा को पार कर रूह भीतर प्रवेश करती हैं और देखती हैं कि सर्वप्रथम श्री रंगमहल की किनार पर 6000 -6000  मंदिरों की दो हारें आयीं हैं --मंदिरों की दोनों हारों के मध्य दो थम्भो की हार और तीन गालियां आयीं हैं

जगह तो 6000  मंदिर की पूरी हैं पर पूर्व दिशा में धाम दरवाजा का मंदिर दो मंदिर का लंबा और एक मंदिर का चौड़ा आया हैं --तो कुल 5999  मंदिर आएं हैं

धाम दरवाजा पार किया --दोनों और शोभा देखी तो मंदिरों की दो हारें और उनके दरम्यान आया त्रिपोलिया --दो थंभों की हार और तीन गालियां

                         त्रिपोलोए का बेहतरीन चित्र 👆👆👆

धाम दरवाजा से रंगमहल के भीतर प्रवेश करते ही दोनों और देखी मंदिरों की दो हारों की शोभा --

अब नजर सामने की तो धाम दरवाजा से आगे एक नूरमयी गली --और फिर 28  थम्भ के चौक की शोभा

रंगमहल के मुख्यद्वार के ठीक सामने एक चौक की शोभा आयीं हैं  जो 28 थम्भ का चौक कहा जाता हैं | इस चौक में एक मंदिर की परिक्रमा घेर कर आईं हैं  -- दस थम्भ पूर्व दिशा  में और दस थन्भ पश्चिम दिशा में आए हैं और दाएँ बाएँ चार चार थम्भ होने से दस मंदिर की लंबाई और पाँच मंदिर की चौड़ाई हुई और घेर कर आई गली (परिक्रमा )के साथ इन चौक की लंबाई बारह मंदिर की और चौड़ाई सात मंदिर की हुई |

घेर कर आए नाना प्रकार के रंगों नंगों से सजे थम्भ उनमें आया फूलों का चित्रामन अद्भुत हैं |नीचे पशमी गिलम पर सोहनी नक्काशी और उन पार आएँ सिंघासन और कुर्सियो की जुगत बेमिसाल हैं | छत पर नूरी चंद्रमा मे मोती का जड़ाव रूह को सोहना लगता हैं ! इन चौक में रूह अपने हक सुभान के संग वनों से आते जाते प्रेमालाप करती हैं |

यह देखिये इन नक़्शे में 

चांदनी चौक का प्यारा दृश्य 

सीढियां 

दो मंदिर का चौक और दोनों और आएं चबूतरों का निशान 

पीले रंग में घेर कर आएं बाहिरी हार मंदिरों का निशान और मध्य में धाम दरवाजा का निशान नील रंग में 

धाम दरवाजा पार कर भीतर गए तो सामने 28 थम्भ का चौक का निशान हल्का पिले रंग में जिसमें घेर कर थम्भो मेहराबों का निशान हैं 
इन चौक को घेर कर हरे रंग में परिक्रमा का निशान
अब दोनों और आएं मंदिरों की शोभा ,त्रिपोलिया की शोभा देखते हुए ,28  थम्भ के चौक को पार किया तो आगे हवेलियों के फिराव शुरू हो जाते हैं
इस नक़्शे में देखे तो सबसे पहले किनारे पर मंदिरों की हार --फिर दो हार थम्भ और तीन गालियां --

पीला रंग में 28 थम्भ का चौक 

चौक के भीतर देखेंगे तो लाल रंग में चौरस हवेली का एक फिरावा ऐसे चार फिरावा आते हैं --एक हार में 231  हवेलियां आती हैं 

231  चौरस हवेलियां घेर कर एक हार में आयीं --ऐसे चार हारें आती हैं तो एक फिरावा हुआ  .. पहला फिरावा चौरस हवेली का 

इसी तरह से देखे -नक़्शे में हरे रंग में गोल हवेली के निशान --चार हारें घेर कर गोल हवेली की आयीं तो दूसरा फिरावा गोल हवेली का हुआ (नक़्शे में एक हार दिखाई हैं ऐसे चार बार जब हवेलियां आयीं तो एक फिरावा कहलाता हैं )

तीसरा फिरावा --चौरस 

चौथा फिरावा --गोल 

पांचवा -चौरस 

छठा -गोल 

सातवां -चौरस 

आठवाँ- गोल 

इस तरह से पहला फिरावा चौरस दूसरा गोल ,तीसरा चौरस --इसी क्रम से चौरस-गोल हवेलियों के आठ फिरावे आते हैं 

नवा फिरावा पंचमोहोलो का आता हैं --चार हार पंचमोहोलों की पार करते हैं तो देखते हैं फुलवाड़ी 

फूल ही फूल 

और मध्य में नव चौक --तीन चौकों की तीन हारे 

नव चौकों के चारों कोनों में जल स्तुन जो दसवीं चांदनी पर खुलते हैं 👆👆👆

एक बार फिर से 

धाम दरवाजा पर किया --सामने २८ थम्भ का चौक 

और दोनों और बाहिरी हार मंदिर

28  थम्भ का चौक पार करते ही देखी चौरस हवेली का पहला फिरावा --हवेलियों के मध्य त्रिपोलियों की शोभा
दूसरा फिरावा गोल हवेली का --जिसमे पहली हवेली  मूल मिलावा जहाँ हमारे मूल तन श्री राज जी के चरणों तले बैठे हैं

पहला फिरावा चौरस दूसरा गोल ,तीसरा चौरस --इसी क्रम से चौरस-गोल हवेलियों के आठ फिरावे
नवा फिरावा पंचमोहोलो का

-चार हार पंचमोहोलों की पार करते हैं तो देखते हैं फुलवाड़ी 

फूल ही फूल 

और मध्य में नव चौक --तीन चौकों की तीन हारे 

नव चौकों के चारों कोनों में जल स्तुन जो दसवीं चांदनी पर खुलते हैं
                         श्री रंगमहल की शोभा --नव भोम तक ऊपरा-ऊपर ऐसे ही शोभा आयीं हैं --प्रत्येक भोम की शोभा के अनुसार कुछ विशेष शोभा आती हैं जिसका वर्णन आगे करेंगे

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