शुक्रवार, 30 सितंबर 2016

rasoi ki haveli ---part -1

प्रेम प्रणाम जी --28  थम्भ के चौक को जैसे ही पार करते हैं --एक नूरमयी गली की अपार शोभा आयीं हैं --गली पार करते ही पहली चौरस हवेली की शोभा हैं --

यह पहली चौरस हवेली ही रसोई की हवेली हैं 


तो देखते हैं ..*रसोई की हवेली की शोभा*

*ब्रह्म मुनि श्री लाल दास महाराज* जी के शब्दों से रसोई के आत्म दृष्टि से साक्षात्कार करने की कोशिश करे 

*||अब रसोई के चौक पर नज़र कीजिए ||*

*पूर्व दीवार में दस मंदिर हैं |पाँच मंदिर दाहिनी तरफ ,तथा पाँच मंदिर बाईं तरफ हैं |और बीच में दस मंदिर की दहेलान हैं |उस दहेलान में दस दस थम्भो की दो हारें सुशोभित हैं |* 


मेरी सखी ,पहली चौरस हवेली ,रसोई की हवेली की शोभा निरखिए --


देखिए हवेली की पूर्व दीवार की शोभा --हवेली की पूर्व दीवार में दस मंदिर की दहलान सुशोभित हैं -पूर्व दिशा में जो मध्य में बड़ा दरवाजा आना था वो भी इसी दहलान में शामिल हैं तो ग्यारह मंदिर की की लंबी और एक मंदिर की चौड़ी अत्यंत मनोहारी देहेलान की शोभा आयीं हैं --इन देहलान  में नूरमयी जेवरातों के जगमगाते दो थंभों की हारें आयीं हैं --


इन देहेलान के दोनों और रंगों नंगों से सुखदायी झलकार करते पांच पांच मंदिर आयें हैं 


यह हुई रसोई की हवेली की पूर्व दीवार की अजब शोभा --रूह के नयनों से निरखिये 

गुरुवार, 29 सितंबर 2016

चांदनी चौक से 28 थम्भ के चौक तक

*चांदनी चौक से 28  थम्भ के चौक तक*

श्री राज जी की मेहर से अपनी निज नजर को परमधाम में लेकर चले --परमधाम के ठीक मध्य भाग में भोम भर ऊंचा चबूतरा आया हैं जिस पर रंगमहल सुशोभित हैं --रंगमहल के मुख्य द्वार के सामने चांदनी चौक की शोभा आयीं हैं तो आइये --चांदनी चौक में खुद को महसूस करे -



166  मंदिर का लंबा चौड़ा चांदनी चौक जिसकी उत्तर दिशा में चबूतरे पर लाल वृक्ष शोभा ले रहा हैं और दक्षिन दिशा में हरे रंग का वृक्ष सुखदायी झलकार कर रहा हैं --मध्य में दो मंदिर की रोंस जो रंगमहल की सीढ़ियों से जाकर मिली हैं --चांदनी चौक में आयीं मोती के मानिंद उज्जल रेती जिसकी झलकार आसमान को छू रही हैं --रेती इतनी नरम की पाँव धरते ही घुटनों तक धंस जाते हैं --



चांदनी चौक की उत्तर ,दक्षिन और पूर्व में अमृत वन की शोभा आयीं हैं और पश्चिम में नव भोम दसवीं आकाशी का हमारा निजघर शोभा ले रहा हैं --

मध्य आयीं दो मंदिर की रोंस से धाम सीढ़ियों तक चले --सीढियां चढ़ते हैं ..अति सुन्दर ,कोमल ,विशाल सीढियां --सीढ़ियों के दोनों और आएं कठेड़े --



सीढियां चढ़ कर दो मंदिर के चौक में आये ..दोनों और चार मंदिर के लंबे दो मंदिर के चौड़े चबूतरे --सामने धाम धाम दरवाजा --दर्पण रंग में जगमगाह बिखेरता धाम दरवाजा जिसके पल्ले हरे रंग में सुशोभित हैं --सेंदुरिया रंग की एक सीधी ऊंची चौखट --द्वार के दोनों और और ऊपर लाल मणियों से जड़ित दीवार --

एक सीढ़ी ऊंची चौखट को पर कर रंगमहल के भीतर आये --एक गली को पर किया और आ पहुंचे 28  थम्भ के चौक ..एक मनोरम चौक --जहाँ वनों से आते जाते समय कुछ देर बैठ हान्स विलास करते हैं --अत्यंत मनोरम चौक जिसके चारों और नूरी थम्भ आएं हैं ..नीचे पशमी गिलम और ऊपर नूरी चंदवा ..चौक में आई सुन्दर बैठके --

*अभी तक की शोभा सार रूप में*

*अब देखनी है शोभा रसोई के चौक की --पहली चौरस हवेली*

रविवार, 25 सितंबर 2016

28 thambh ka chouk

|| *अब अठ्ताईस थम्भों का चौक देखिए* ||

*यह अठ्ताईस थम्भों का चौक बारह मंदिर का लंबा और सात मंदिर का चौड़ा झलझलाकार हैं | थम्भों की गिनती इस प्रकार से हैं _ दस थम्भ दरवाजे की तरफ हैं ,और दस थम्भ पश्चिम की तरफ _रसोई के चौक के आगे हैं |चार थम्भ उत्तर की तरफ हैं और चार थम्भ दक्षिण की तरफ हैं |इस प्रकार से अठ्ताईस थम्भ का चौक हुआ | जैसा अठ्ताईस थम्भ का चौक प्रथम भूमिका में हैं ,ऊपर की नवों भोमों में भी उसी प्रकार समझना चहिए |*

ब्रह्म मुनि श्री लाल दास महाराज जी श्री रंगमहल की शोभा का विहंगम वर्णन कर रहे हैं --आत्म की नज़रों से ,रूह की निज नजर से परमधाम में चलते हैं -

कोट गुनी शोभा से जगमगाहट करता धाम दरवाजा .नूरमयी दर्पण रंग में सुशोभित --द्वार आपके लिये स्वतः खुल गए --

एक सीढ़ी ऊंची चौखट पार करके धाम  को पार किया तो खुद को रंगमहल के भीतर महसूस किया --

नूरमयी आलम --हर शह में श्री राज जी का इश्क ,उनका लाड ,मीठी स्वर लहरी --अनोखी अदा से रूह का अभिनन्दन --

धाम दरवाजा के भीतर की तरफ एक नूरमयी गली ,बहुत ही सुन्दर --गली को पार किया एक चौक में पहुंचे --

इन चौक की पूर्व दिशा में दस नूरमयी थम्भ हैं ..जेवरातों के नूरमयी थम्भ ,रंगों  नंगों की अद्भुत झलकार --बेहद ही सुन्दर नक्काशी से युक्त मेहराबें --

दस मंदिर का लंबा और चार मंदिर का चौड़ा अति मनोहारी चौक --जिसकी पश्चिम दिशा में भी दस नूरमयी थम्भ सुखदायी झलकार कर रहे हैं --और उत्तर और दक्षिन दिशा में चार चार थम्भ शोभित हैं --चौक में पशमी गिलम बिछी हैं और उन पर नूरमयी ,सुखदायी बैठके और छत पर नूरी चंदवा की सोहनी झलकार --

रंगमहल के इन प्रथम चौक की शोभा रूह की नजरो से फेर फेर निरखे

शनिवार, 24 सितंबर 2016

shri rangmahal

श्री रंगमहल के धाम दरवाजा को पार कर रूह भीतर प्रवेश करती हैं और देखती हैं कि सर्वप्रथम श्री रंगमहल की किनार पर 6000 -6000  मंदिरों की दो हारें आयीं हैं --मंदिरों की दोनों हारों के मध्य दो थम्भो की हार और तीन गालियां आयीं हैं

जगह तो 6000  मंदिर की पूरी हैं पर पूर्व दिशा में धाम दरवाजा का मंदिर दो मंदिर का लंबा और एक मंदिर का चौड़ा आया हैं --तो कुल 5999  मंदिर आएं हैं

धाम दरवाजा पार किया --दोनों और शोभा देखी तो मंदिरों की दो हारें और उनके दरम्यान आया त्रिपोलिया --दो थंभों की हार और तीन गालियां

                         त्रिपोलोए का बेहतरीन चित्र 👆👆👆

धाम दरवाजा से रंगमहल के भीतर प्रवेश करते ही दोनों और देखी मंदिरों की दो हारों की शोभा --

अब नजर सामने की तो धाम दरवाजा से आगे एक नूरमयी गली --और फिर 28  थम्भ के चौक की शोभा

रंगमहल के मुख्यद्वार के ठीक सामने एक चौक की शोभा आयीं हैं  जो 28 थम्भ का चौक कहा जाता हैं | इस चौक में एक मंदिर की परिक्रमा घेर कर आईं हैं  -- दस थम्भ पूर्व दिशा  में और दस थन्भ पश्चिम दिशा में आए हैं और दाएँ बाएँ चार चार थम्भ होने से दस मंदिर की लंबाई और पाँच मंदिर की चौड़ाई हुई और घेर कर आई गली (परिक्रमा )के साथ इन चौक की लंबाई बारह मंदिर की और चौड़ाई सात मंदिर की हुई |

घेर कर आए नाना प्रकार के रंगों नंगों से सजे थम्भ उनमें आया फूलों का चित्रामन अद्भुत हैं |नीचे पशमी गिलम पर सोहनी नक्काशी और उन पार आएँ सिंघासन और कुर्सियो की जुगत बेमिसाल हैं | छत पर नूरी चंद्रमा मे मोती का जड़ाव रूह को सोहना लगता हैं ! इन चौक में रूह अपने हक सुभान के संग वनों से आते जाते प्रेमालाप करती हैं |

यह देखिये इन नक़्शे में 

चांदनी चौक का प्यारा दृश्य 

सीढियां 

दो मंदिर का चौक और दोनों और आएं चबूतरों का निशान 

पीले रंग में घेर कर आएं बाहिरी हार मंदिरों का निशान और मध्य में धाम दरवाजा का निशान नील रंग में 

धाम दरवाजा पार कर भीतर गए तो सामने 28 थम्भ का चौक का निशान हल्का पिले रंग में जिसमें घेर कर थम्भो मेहराबों का निशान हैं 
इन चौक को घेर कर हरे रंग में परिक्रमा का निशान
अब दोनों और आएं मंदिरों की शोभा ,त्रिपोलिया की शोभा देखते हुए ,28  थम्भ के चौक को पार किया तो आगे हवेलियों के फिराव शुरू हो जाते हैं
इस नक़्शे में देखे तो सबसे पहले किनारे पर मंदिरों की हार --फिर दो हार थम्भ और तीन गालियां --

पीला रंग में 28 थम्भ का चौक 

चौक के भीतर देखेंगे तो लाल रंग में चौरस हवेली का एक फिरावा ऐसे चार फिरावा आते हैं --एक हार में 231  हवेलियां आती हैं 

231  चौरस हवेलियां घेर कर एक हार में आयीं --ऐसे चार हारें आती हैं तो एक फिरावा हुआ  .. पहला फिरावा चौरस हवेली का 

इसी तरह से देखे -नक़्शे में हरे रंग में गोल हवेली के निशान --चार हारें घेर कर गोल हवेली की आयीं तो दूसरा फिरावा गोल हवेली का हुआ (नक़्शे में एक हार दिखाई हैं ऐसे चार बार जब हवेलियां आयीं तो एक फिरावा कहलाता हैं )

तीसरा फिरावा --चौरस 

चौथा फिरावा --गोल 

पांचवा -चौरस 

छठा -गोल 

सातवां -चौरस 

आठवाँ- गोल 

इस तरह से पहला फिरावा चौरस दूसरा गोल ,तीसरा चौरस --इसी क्रम से चौरस-गोल हवेलियों के आठ फिरावे आते हैं 

नवा फिरावा पंचमोहोलो का आता हैं --चार हार पंचमोहोलों की पार करते हैं तो देखते हैं फुलवाड़ी 

फूल ही फूल 

और मध्य में नव चौक --तीन चौकों की तीन हारे 

नव चौकों के चारों कोनों में जल स्तुन जो दसवीं चांदनी पर खुलते हैं 👆👆👆

एक बार फिर से 

धाम दरवाजा पर किया --सामने २८ थम्भ का चौक 

और दोनों और बाहिरी हार मंदिर

28  थम्भ का चौक पार करते ही देखी चौरस हवेली का पहला फिरावा --हवेलियों के मध्य त्रिपोलियों की शोभा
दूसरा फिरावा गोल हवेली का --जिसमे पहली हवेली  मूल मिलावा जहाँ हमारे मूल तन श्री राज जी के चरणों तले बैठे हैं

पहला फिरावा चौरस दूसरा गोल ,तीसरा चौरस --इसी क्रम से चौरस-गोल हवेलियों के आठ फिरावे
नवा फिरावा पंचमोहोलो का

-चार हार पंचमोहोलों की पार करते हैं तो देखते हैं फुलवाड़ी 

फूल ही फूल 

और मध्य में नव चौक --तीन चौकों की तीन हारे 

नव चौकों के चारों कोनों में जल स्तुन जो दसवीं चांदनी पर खुलते हैं
                         श्री रंगमहल की शोभा --नव भोम तक ऊपरा-ऊपर ऐसे ही शोभा आयीं हैं --प्रत्येक भोम की शोभा के अनुसार कुछ विशेष शोभा आती हैं जिसका वर्णन आगे करेंगे

गुरुवार, 22 सितंबर 2016

rangmahal men pravesh

*दरवाजे के अंदर प्रवेश होकर मंदिरों की भीतरी दीवाल के दरवाजे से निकल कर देखिए --तो छः-छः हज़ार मंदिरों की दो हारें फिरती दिखाई देती हैं |तिन दो हज़ार मंदिरों के बीच में छः-छः हज़ार थम्भों की फिरती दो हारें शोभा लेती हैं तथा उनके बीच फिरती तीन गलियाँ सुशोभित हैं |उन छः-छः हज़ार थम्भों की बयालीस हज़ार महेराबें इन गलियों पर देदीप्यमान हैं |ऐसी महेराबें प्रत्येक भोम की गलियों पर सुशोभित हैं |*


दर्पण रंग के झिलमिलाते धाम दरवाजा में अब प्रवेश करते हैं --दरवाजा स्वतः ही खुल गया और एक सीढ़ी ऊंची लाल रंग की सुंदर नक्काशी से जड़ित चौखट को पार करके दरवाजे के मंदिर में प्रवेश किया --

धाम दरवाजे का यह मंदिर दो मंदिर का लंबा और एक मंदिर चौड़ा आया हैं --इन मंदिर की चारों दिवार की शोभा को धाम ह्रदय में बसाते हैं --मंदिर की पूर्व दिवार की शोभा को पहले देखा --मध्य में दर्पण रंग अति सुन्दर चित्रामन से जड़ित धाम दरवाजा और आसपास लाल मणियों से महकती नूरमयी दिवार --ठीक ऐसे ही पश्चिमी दिवार में शोभा आयीं हैं --

मंदिर की उत्तर और दक्षिन दिशा में आयीं दिवार में एक बड़ी मेहराब में एक छोटा दरवाजा सुशोभित हैं जिनसे पाखे में आएं मंदिरों में जा सकते हैं --

दरवाजे वाले मंदिर की शोभा देखते हुए मंदिर की पश्चिमी दिवार में आएं दर्पण रंग के बादशाही दरवाजे को पार करके रंगमहल में प्रवेश किया -तो देखी मनोहारी शोभा जवेरातों के नूरमयी ,अनेक रत्नों से सजे और फूलों से महक बिखेरेते 6000-6000 मंदिरों की दो हारें आईं हैं |रंगों नंगों से झिलमिलाते जवेरातों के मंदिर एक रस हैं ,चेतन हैं ,उनकी दीवारों पर आया चित्रामन अद्भुत हैं और भीतर की शोभा ,सुख तो किन मुख से वर्णन हो ?

6000-6000 मंदिरों की इन हारों के मध्य दो थम्भों की हारें और तीन गलियां शोभा ले रही हैं |पहलों में शोभयमान ये शोभा ,हान्स हान्स में न्यारी सी शोभा ,न्यारा रंग न्यारी जुगति और आगे भीतर हवेलियों के हाँस --अति नूरी शोभा
बहुत ही प्यारी जुगति से थम्भो की शोभा आईं हैं |जिनमें कई कटाव हैं कई प्रकार के अनुपम नक्काशी हैं | अलग अलग प्रकार के चित्रामन है और हर चित्र के जुदे ही भाव हैं | देख तो रूह एक एक रंग का अद्भुत जवेर और उसी में आईं चेतन नक्काशी ,उनके अलग अलग कटाव एक से बढ़कर एक सुंदर हैं |


अर्श के नूरी थम्भ अर्श के चेतन जवाहरातो के है | इनका नूर बराबर झलकता है | हक हादी और रूहें इन थम्भन में …नूरी महराबी द्वारों में रमण कर सुख लेते हैं | श्री राज श्री श्यामा जी और रूहें इन लटकनी मटकनी चाल से बिहरते मीठी मीठी बतियां करते है | उनके भूखनो की झंकार से वतन झूम उठता है | जिनकी बातों मे अपरंपार सुख है जिनके बारे मे सुनने मात्र से सुख मिलता है तो उनके संग रमण के नित्य विहार के सुखो का क्या वर्णन हो ?



बुधवार, 21 सितंबर 2016

dhamdarvaja ke das mandir ke haans ki baais mehrabon ka varnan

इस प्रकार बाईस महेराब का हिसाब हुआ |

यह बाइस मेहराबें किस तरह से आयीं --यह शोभा एक बार फिर से देखे हैं --

चांदनी चौक से सौ  सीधी 20 चांदो सहित पर करके दो मंदिर के चौक में आये 

इन दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक में चरों कोनों में चार थम्भ आएं हैं जिनमें चार मेहराब हुई ..एक पश्चिम दिशा में धाम दीवार पर अक्स मेहराब (दीवार पर मेहराब का चित्रामन )..दाएं बाएं चबूतरों की तरफ एक एक मेहराब और पूर्व दिशा में सीढ़ियों पर एक  मेहराब --हीरा की झलकार करती यह चार मेहराब दो मंदिर की चौड़ी और दो ही मंदिर की ऊंची आयीं हैं
अब दो मंदिर के चौक से उत्तर दिशा के चबूतरे पर चलते हैं --उत्तर दिशा में मुख करे तो देखेंगे ..चबूतरा ---जिसमें मध्य 50 हाथ की जगह में सीढ़ी चढ़ने की जगह हैं आस पास कठेड़ा आया हैं --सीढ़ी चढ़ कर चबूतरा पर आएं --सबसे पहले पूर्व की और देखे ..चांदनी चौक की और --

हीरा माणिक ,पुखराज और पाच निलवी के थम्भ शोभित हैं इनके मध्य चार मेहराबे आयीं हैं --दो दो रंगों की --यह सब एक मंदिर की चौड़ी और एक ही मंदिर की ऊंची आयीं हैं --पश्चिम दिशा में भी चार मेहराबे हैं जो बाहिरी हार मंदिरों पर अक्स रूप में हैं --और चबूतरे की उत्तर दिशा में एक मेहराब गुर्ज पर लगी हैं ---4+4+1=9

इसी प्रकार दक्षिन दिशा के चबूतरे पर शोभा हैं --

हीरा की थम्भ वही हैं जी दो मंदिर के चौक में थे --
इस नक़्शे में देखे --पूर्व किनार पर आयी दो दो रंग की सुन्दर मेहराब ---पश्चिम में मंदिरों की दीवार पर चित्रित मेहराबे

दो मंदिर के चौक में उतरने के लिये जगह औए शेष स्थान पर कठेड़ा 👆👆👆
चौक के चारों दिशा में दो मंदिर के ऊंचे दो ही मंदिर की चौड़ी मेहराब 👆👆👆👆
दो मंदिर के चौक में =4

दोनों चबूतरों पर =9+9=18

कुल बाइस मेहराब का वर्णन हुआ

rangmahal ka darvaaja

*श्री रंगमहल का दरवाजा ज़मीन से एक भोम की ऊँचाई पर हैं |*

श्री रंगमहल परमधाम के मध्य भोम भर ऊंचे चबूतरे पर स्थित हैं ---परमधाम की जमीन से एक भोम ऊंचा धाम दरवाजा सुशोभित हैं 
 *सौ सीढ़ियाँ और बीस चांदे चढ़कर (एक सौ छोटी सीढ़ियाँ और बीस चाँदे अर्थात बड़ी सीढ़ियाँ )धाम दरवाजे पर जाइए |सीढ़ियों के दोनों तरफ पर कोटे हैं |*


चांदनी चौक से श्री रंगमहल के मुख्य दरवाजा ,हमारे निज घर के धाम दरवाजा पर जाना हैं तो चलते हैं ..चांदनी चौक के पश्चिम दिशा में --जहाँ से धाम की विशाल सीढियां चढ़ी हैं --दो मंदिर की लंबाई लेकर शोभित धाम की सीढियां और प्रत्येक पांचवीं सीढ़ी के साथ आया पांच हाथ का चान्दा रूह की नजर से निरखती हैं --सीढ़ियों के दोनों और परकोटे अर्थात कठेड़े की प्यारी सी शोभा हैं  |जेवरातों से झिलमिलाता कठेड़ा ---सीढियां चढ़ना शरू करते हैं ..पहली सीढ़ी पर पाँव रखते हैं ,अहो !कितनी कोमल गिलम मानो पाँव वही थम से जाते हैं --धाम के चेतन सीढियां --पाँव खुद से सीढ़ियों पर बढ़ते चले जाते हैं --पांचवीं सीढ़ी के साथ चांदा --सीढ़ियों और चाँदों पर आयीं गिलम अलग अलग रंग ,चित्रामन लिये हैं --दोनों और कठेडों के चित्रामन में आएं पशु पक्षी भी उल्लासित हो ,साथ साथ ही आगे बढ़ रहे हैं --उनकी मीठी स्वर लहरी --शोभा देखते हुए ,रंग रस में डूबे पहुँच गए सौ सीढियां बीस चाँदों सहित पर करके धाम दरवाजा के सम्मुख 
*दरवाजा दो मंदिर का ऊँचा और दो ही मंदिर का चौड़ा हैं |धाम की दीवार से लगते हुए दरवाजे की दोनों तरफ दो चबूतरे हैं सो दो दो मंदिर के चौड़े और चार चार मंदिर के लंबे हैं |उन दोनों चबूतरों की तीनों तरफ पूर्व ,उत्तर ,दक्षिण में रत्न जडित कठेड़े हैं और पश्चिम की तरफ धाम की दीवार हैं |इन दोनों चबूतरों पर बीस थम्भ हैं |जिनका वर्णन इस प्रकार हैं -दस थम्भ तो दीवार के साथ मिले हुए हैं और दस थम्भ चबूतरों की किनार पर हैं |*


धाम दरवाजा दो मंदिर का ऊंचा और दो ही मंदिर का चौड़ा आया है ,बेमिसाल शोभा को धारण किये ..बादशाही दरवाजों से कोट गुनी शोभा हैं धाम दरवाजे की --धाम की दीवार से लगते हुए अर्थात घेर कर आएं बाहिरी हार मंदिरों की दीवार के साथ लगते हुए दो चबूतरे आएं हैं जो चार मंदिर के लंबे और दो मंदिर के चौड़े हैं --धाम दरवाजा के सामने दो मंदिर का लंबा चौड़ा चौक हैं तो इन्ही चौक से एक सीढ़ी ऊंचे यह चबूतरे दो मंदिर के चौड़े आएं हैं--दोनों और आयें इन चबूतरों की पूर्व ,उत्तर और दक्षिन किनार पर कठड़े की शोभा हैं और पश्चिम दिशा की और तो धाम की दीवार हैं दूसरे  शब्दों में कहे रंगमहल के बाहिरी हार मंदिर हैं --

चबूतरों की पूर्व किनार पर दस थम्भ सुशोभित हैं और दस थम्भ दीवार में अकशी आएं हैं 
इस नक़्शे से देखे ..चांदनी चौक ..लाल हरे वृक्ष का निशान मध्य पीली रंग में आयीं दो मंदिर की रोंस जिनसे सीढ़ियों तक पहुँच सकते हैं सीढियां चढ़ कर दो मंदिर का चौक जो हरे रंग में दिखाया हैं और लाल रंग में दोनों और चबूतरे इनकी पश्चिमी किनार पर मंदिर पीली रंग में दो मंदिर के चौक के पश्चिम में धाम दरवाजा का निशा और दो मंदिर का लंबा मंदिर जो दरवाजा का मंदिर कहलाता हैं हरे रंग में 👆👆👆👆👆



*पाँच प्रकार के नंगों के बीस थम्भ हैं ,,अर्थात चार थम्भ हीरा के ,चार माणिक के ,चार पुखराज के ,चार पाच के और चार नीलवी के हैं |इस प्रकार पाँच नंगों के बीस थम्भ हुए |इन बीस थम्भों में बाईस महेराब हैं |इन बाईस महेराबों में से दो मेहराब दोनों गुरजो की हैं और एक एक चबूतरे पर आठ महेराबें हैं उन आठों में से चार चार महेराबे दीवाल पर अकशी (कमान की आकार मात्र )की हैं और चार चार खुली हैं |और दरवाजे की दो महेराबें -एक तो दीवाल पर अकशी की हैं और दूसरी चबूतरे की किनार पर -सीढ़ी पर हैं |ये दोनों महेराबें दो दो मंदिर की चौड़ी और दो दो मंदिर की ऊँची सुशोभित हैं |दोनों चबूतरों की संधि में दो मंदिर का लंबा चौड़ा और दोनों चबूतरों से एक सीढ़ी नीचा चौक हैं |उस चौक के दोनों तरफ दो महेराबें हैं जो दो दो मंदिर की चौड़ी और एक एक मंदिर की ऊँची हैं और दोनों चबूतरों की जो सोलह महेराबें हैं ,वे एक एक मंदिर की चौड़ी और एक एक मंदिर की ऊँची सुशोभित हैं |दोनों गुरजो की जो दो महेराबें हैं वे भी दो दो मंदिर की चौड़ी और एक एक मंदिर ऊँची शोभित हैं |इस प्रकार बाईस महेराब का हिसाब हुआ |*


दरवाजा के दोनों और धाम के मंदिरों की दीवार से लगते हुए जो चबूतरे आयें हैं उनकी पूर्व किनार पर हीरा ,माणिक ,पुखराज ,पाच और नीलवी के थम्भ सुशोभित हैं और चबूतरों की पश्चिमी किनार पर भी इसी क्रम से थम्भ आयें हैं ( पश्चिमी किनार पर आयें थम्भ अकशी हैं )--इस प्रकार से पांच नंगों के बीस थम्भ सुशोभित हैं --

अब देखते हैं कि चबूतरों की पूर्व किनार पर जो हीरा ,माणिक ,पुखराज ,पाच और नीलवी नंग के पांच थम्भ खुले आयें हैं उनमें चार चार मेहराबें आयीं हैं ..अति सुन्दर मेहराबे --एक एक मंदिर चौड़ी और एक एक मंदिर की ही ऊंची आयीं हैं --मेहराबे दो दो रंग की मनोहारी शोभा लिये हैं --इसी तरह से दोनों चबूतरो कि पश्चिमी दिशा में चार चार मेहराबे आयीं हैं ..पर यह मेहराब अकशी हैं अर्थात दीवार पर मेहराब की शोभा हैं --एक एक मेहराब गुरजों पर हैं 

धाम दरवाजा की दो मेहराब हुई --एक तो दीवार पर अंकित मेहराब मात्र हैं और दूसरी  मेहराब खुली आयीं हैं जो दो मंदिर चौक की पूर्व किनार पर हैं --सीढ़ी पर हैं यह खुली मेहराब --यह मेहराबे हीरा की हैं जो दो मंदिर की ऊंची और दो मंदिर की ही चौड़ी हैं और एक रंग की हैं 

दोनों चबूतरों के मध्य और धाम दरवाजा के सम्मुख एक सीढ़ी नीचे दो मंदिर का चौक आया हैं --इस चौक के दोनों और  चबूतरों की तरफ हीरा की एक एक मेहराब आयीं हैं  दो मंदिर की ऊंची और दो मंदिर की ही चौड़ी हैं और एक रंग की हैं ---इस प्रकार से दस मंदिर के हान्स पर दो मंदिर के चौक और दोनों और आयें चबूतरों पर आयें थंभों और मेहेराबो का वर्णन हैं 



*दरवाजे में सेंदुरियाँ रंग की चौकठ और दर्पण रंग का किमाड़ हैं |दरवाजे के चारों तरफ हरित रंग का किनार हैं और दरवाजे के बीच में रत्न मनियों की नकशकारी (कटाव)तथा कई सुन्दर सुन्दर पत्र फूल वेलियां देदीप्यमान हैं |प्रातः काल सूर्य की किरणें तथा दरवाजें की किरणें परस्पर युद्ध करती  हैं अर्थात एक की ज्योति दूसरे की ज्योति को ठेलने की चेष्टा करती हुई प्रतीत होती हैं |उस समय यह दृश्य अतीव मनमोहक और आनंदकारी दृष्टिगोचर होता हैं |।*

अब श्री लाल दास जी धाम दरवाजे का अति मनोहारी वर्णन कर रहे हैं --धाम दरवाजा नूरमयी दर्पण रंग का आया हैं और सेंदुरिया रंग जडाव की एक सीढ़ी ऊंची चौखट आयीं हैं और हरे रंग के पल्ले आयें हैं ।दरवाजा के दोनों और ----और  ऊपर लाल मणियों से जड़ित नूरी दीवार आयीं हैं --धाम द्वार की शोभा देखिए --अति मनोहारी शोभा --नूरी दर्पण के दरवाजा में आयीं नकासकारी और सामने आयें वनों और उनमें विचरण करते पशु पक्षियों का चेतन प्रतिबिम्ब --

और इन नूरी दर्पण पर जब अर्श के नूरी सूर्य अपनी किरणों से स्पर्श करे तो वह दृश्य बहुत ही अद्भुत होता हैं --आमने सामने दोनों द्वारों रंगमहल -अक्षर धाम )की नूरी ज्योति जब आपस में टकराती हैं तो बहुत ही अनुपम ,सुखदायी समया होता हैं 

रविवार, 18 सितंबर 2016

dham darvaja

🙏प्रेम प्रणाम जी --🙏


सखी मेरी ,आज अपनी आत्मिक नजर श्री रंगमहल के सम्मुख चांदनी चौक में लेकर चले ,चांदनी चौक की उज्जवल रेती ,उनके नूर को महसूस करे और देखे दोनों दिशा में कमर भर ऊंचे चबूतरों पर आयें मोहोल माफक नूरमयी वृक्षों की शोभा --

ठीक मध्य में आयीं नग्न जड़ित रोंस से आगे बढ़ते हैं शोभा देखते हुए --यह रोंस सीढ़ियों तक पहुंचाती हैं

आगे धाम की विशाल ,अति सुन्दर सीढियां --सीढियां चढ़ते हैं ..अत्यंत ही कोमल गिलम सीढ़ियों पर आयीं हैं कि घुटनों तक पाँव धंस रहे हैं ! गिलम पर सुन्दर चित्रामन आयें हैं और सीढ़ियों के दोनों तरफ किनार पर रत्नों -नंगों से जगमगाते जवेरहातो का नूरमयी कठेड़ा सुशोभित हैं ।कठेड़े में अति सुन्दर नक्काशी आयीं हैं --चित्रामन में जड़ित पशु पक्षी ,पुतलियाँ भी उल्लसित हो रूह का अभिनन्दन कर रही हैं --


पांचवीं सीढ़ी के साथ ही लगे चांदा  की अजब शोभा आयीं हैं ..चांदा और सीढ़ी पर आयीं गिलम का रंग अलग अलग आया हैं --पुनः आगे बढे तो दसवीं ,पंद्रहवीं ..इस तरह से सौ सीढियां बीस चांदों सहित पर करके दो  मंदिर के चौक में पहुंची  -




चौक के दाएं बाएं चबूतरो की अपार शोभा आयीं हैं और ठीक सामने नजर पढ़ी तो धाम दरवाजा 


अत्यंत ही सुन्दर शोभा लिये हमारे निजघर का मुख्य द्वार --शोभा को देखे 

दो मंदिर के चौक के ठीक सामने (पशिम दिशा ) में दो मंदिर की लंबी उत्तर से दक्षिन दीवार जो एक मंदिर ऊंची शोभित हैं ..इन दीवार के मध्य में 88  हाथ का नूरमयी दर्पण का किवाड़ (दरवाजा ) आया हैं जिसके बेनी (पल्ले )हरित रंग में हैं और सेंदुरिया रंग जडाव की चौखट की शोभा तो बहुत ही मनोरम हैं --दरवाजे के ऊपर बारह हाथ की नूरी मेहराब शोभित हैं --और दरवाजा के दोनों और 56 -56  हाथ की लाल मणियों जड़ित सुन्दर चित्रामन से सजी नूरमयी दीवार आयीं हैं --

यह शोभा तो हुई धाम दरवाजे के प्रथम भोम की शोभा --अब देखते हैं रूह की नजर से --

धाम दरवाजे के ऊपर आयी बारह हाथ की जो मेहराब आयीं हैं उसके कोण पर और दोनों और लाल माणिक के फूलों की शोभा हैं --इन मेहराब के ठीक ऊपर  तीन हाथ ऊंचा एक झरोखा आया हैं --

दूजी भोम में एक बड़ी मेहराब में नव मेहराबे आयीं हैं --जिनकी शोभा 3+3+3=9 ---तो इस तरह से ह्रदय में बसाते हैं शोभा 

जो ठीक मध्य  की तीन मेहराब हैं  उनमे मध्य की मेहराब में झरोखा आया हैं और दाएं बाएं की मेहराब में नंगों की चित्रामन से युक्त सुन्दर जाली द्वार आयें हैं 

जो दाएं बाएं की तीन तीन मेहराब आयीं हैं --उनके मध्य में दरवाजा आया हैं और दोनों और की मेहराबों में जाली द्वार हैं -यह हुई धाम दरवाजा की दो भोम की मनोहारी शोभा --सखी मेरी रूह के नयनों से निरख                         

गुरुवार, 15 सितंबर 2016

धाम दरवाजे का दस मंदिर का हान्स --

सौ सीढियां चढ़ कर दो मंदिर के चौक में आएं ..दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक की शोभा देखी --

चौक की पश्चिम दिशा में धाम दरवाजा 

चौक की पूर्व दिशा में धाम की विशाल सीढियां 

और उत्तर दक्षिन दिशा में  चबूतरे
आज देखते हैं दो मंदिर के चौक के दोनों और आयें चबूतरो की शोभा --चौक के उत्तर और दक्षिन दिशा में चार मंदिर के लंबे और दो मंदिर के चौड़े एक सीढ़ी ऊंचे चबूतरे आयें हैं जिनकी पूर्व किनार  (चांदनी चौक की और ) पर हीरा ,माणिक ,पुखराज ,पाँच और निलवी के नूरी थम्भ आयें हैं और थंभों के मध्य कठेड़ा आया हैं ।हीरा के थम्भ वहीं हैं जो दो मंदिर के चौक के चारों कोनो में आयें हैं ।चबूतरों की पश्चिमी किनार पर बाहिरी हार मंदिरों की दीवार हैं ।


दोनों चबूतरों से दो मंदिर के चौक की तरफ एक सीढ़ी उतरी हैं और बाकी जगह कठेड़ा आया हैं इसी प्रकार से बाहिरी तरफ घेर कर आयीं धाम रोंस की तरफ चबूतरों की किनार के पूर्व से पश्चिम एक मंदिर की जगह कठेड़ा आया हैं आगे ३३ हाथ की जगह में धाम रोंस पर सीढ़ी उतरी हैं शेष ६६ हाथ की जगह गुर्ज ने घेरी हैं
चबूतरे पर नरम पशमी गिलम बिछी हैं जिन पर अति सुन्दर बैठके हैं और ऊपर छत पर नूरी चंदवा की अलौकिक शोभा आयीं हैं 


दो मंदिर का चोक और दोनों दिशा में चार मंदिर के लंबे दो मंदिर के चौड़े चबूतरे (४+२+४=१०) दस मंदिर का हिसाब सम्पूर्ण हुआ --दरवाजे का दस मंदिर का हान्स --

एक विशेष शोभा --चबूतरों की दो भोम आयीं हैं ..दूसरी भोम में वह रंगमहल की दूसरी भोम के इन चार मंदिरो का झरोखा की शोभा को लिये हैं