रविवार, 16 अक्तूबर 2016

सिर पाग बांधी चतुराईसों


सृष्टि के सभी मनुष्य एक पूर्ण ब्रह्म परमात्मा (SUPREME TRUTH GOD) का साक्षात्कार कराने वाली महान रात्रि का इंतज़ार कर रहे हैं | जिसके बारे में क़ुरान और हदीसों में वर्णित हैं कि इसी महिमावान रात्रि में ही पूर्ण ब्रह्म परमात्मा की पहचान कराने वाला दिव्य ज्ञान प्रगट होगा |अब  स्वयं पारब्रह्म श्री प्राणनाथ जी ने दिव्य दर्शन की रात्रि को तारतम ज्ञान द्वारा प्रगट कर दिया हैं | 

श्री महामति जी के धाम हृदय में विराजमान पारब्रह्म श्री राज जी स्वयं तारतम वाणी के द्वारा अक्षरातीत पूर्ण ब्रह्म परमात्मा के धाम ,अलौकिक लीला  के साथ -साथ युगल स्वरूप श्रीराज-श्यामा जी के स्वरूप सिनगार के दर्शन करवा रहें हैं |
सरुप राज का देखिये ,वय किशोर मुख सुन्दर ।
अति गौर गेहरी लालक ,उठत तीसरी भोम मँदिर ।।5।।प्रकरण 126 परमधाम बड़ी वृत

श्री महामति जी रूहों को संबोधित करते हुए कह रहे हैं कि श्री राज जी के स्वरूप को अपनी आत्मिक दृष्टि से देखिए | उनका स्वरूप किशोर हैं | उनका मुखारबिंद अर्श के गौर वर्ण में गेहरी लालिमा लिए हैं |ऐसे हमारे धाम दूल्हा  तीसरी भोम के नीले न पीलो रंग के मंदिरो से उठते है| परमधाम के वनों ,मोहोलातों में रमण करने के लिए सिनगार सजते हैं |

सिर पाग बांधी चतुराईसों, हकें पेच हाथ में ले ।
भाव दिल में लेयके, सुख क्यों कहूं बिध ए ।। २૭ /5सागर

धामधनी श्री राज जी के शीशकमल पर सेंदुरियां रंग की अति सुन्दर नूरमयी पाग सुशोभित हैं |श्री महामति जी रूहों को ब्रह्म वाणी के माध्यम से दर्शन करा रहें हैं कि प्रियतम श्री राज जी बड़ी प्यारी अदा से पेच हाथ में लेकर पाग बांध रहें हैं | पाग बांधते वक्त एक तो पाग की जोत और उनमें आएं नूरमयी नंगों की उज्ज्वल ,शीतल  और सुखदायी जोत रूहों को अखंड सुख प्रदान करती हैं |श्री राज जी जब अपनी नाज़ुक नाज़ुक पतली गौर लालिमा लिए अंगूरियों से पाग बांधते हैं तो उस समय की शोभा वर्णन से परे हैं |पाग  बांधते समय उनके नखों का तेज,उनकी नाज़ुक अंगूरियों का तेज और सेंदुरियां रंग की पाग का तेज आपस में जंग करता प्रतीत हो रहा हैं |
प्रियतम श्री राज जी अपनी रूहों को रिझावन की खातिर पाग इतनी सलूकी से बांधते हैं कि रूहें  अपलक इस अलौकिक लीला को देखती हैं |

रंग लाल जरी माहें बेल कै, कै फूल पात नकस कटाव ।
कै रंग नंग जबेर झलकें, बलि जाऊं बांधी जिन भाव ।। ३० /5सागर

धाम के दूल्हा श्री राज जी की पाग अर्श के नूरी सेंदुरियां रंग में शोभा ले रही हैं | पाग में जवेरातों की कई बेलें ,फूल और विध-विध के कटाव आएं हैं |पाग में कई तरह से रंगों और नंगों की तरंगे झलकार कर रही हैं | श्री राज जी के पाग बांधने की अदा से और उनके भावों पर रूहें बलिहारी जाती हैं |उनकी सेंदुरियां रंग की पाग में जरी के बेलों और फूलों की अजब नक्काशी आई हैं |धाम धनी श्री राज जी की पाग में यदि किसी एक पेच  में आधा फूल नज़र आता हैं तो वह दूसरे पेच में संपूर्ण रूप से सुशोभित होता हैं |






कलंगी तुरा दुगदुगी ,लटकत मोती मुख पर ।
तिलक सुन्दर अति शोमित ,कानों कुण्डल नाहीं पटन्तर ।।7।।प्रकरण  126 परमधाम बड़ी वृत

श्री राज जी के पाग के दाएं -बाएं कलंगी की अदभुत शोभा आईं हैं और सामने देखिए तुरा और दुगदुगी की मनोहारी शोभा आईं हैं |नूरी पाग पर पर माणिक की दुगदुगी , पाग पर आई कलंगी की जोत और उनके परों की झलकार आसमान तक जाती हैं |  उनके मुख पर निर्मल मोतियों की लरियां चंद्रिका की तरह लटकती है | आधे नासिका से ललाट तक तिलक की रेखा एवं कानो में कुण्डल की अपरंपार शोभा हो रही है|







श्री महामति जी रूहों को आह्वान कर रहें हैं कि आइए ! अपने महबूब श्री राज जी के श्रवण अंग  तक आएं उनके  घुंघरालें नूरी केशों को देखें | उनके नूरी केशों पर सुगंधित इत्र की महक को महसूस करें |  सेंदुरियां रंग जड़ाव की लटकती पाग की अत्यंत मनोहारी शोभा को निज नयनों से देखें  | पाग पर आई  दुगदुगी और कलंगी  की अलौकिक शोभा को निहारें | यह नूरमयी शोभा अर्शे-अज़ीम   की है और अरशे सहूर और चितवन से धाम हृदय मे अंकित होती है  |


4 टिप्‍पणियां:

  1. aapne bahut hi sunder varnan kiya hai maheshwar tantra ke 49 ve patal me yahi varnan hai ki par brahm shri krishan ji kishore swroop hai 16 varsh ke hai

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    1. अक्षरातीत श्री राज जी की पाग का वर्णन बेशक इलम ,कुलजम स्वरूप में हुआ हैं --यह शोभा पूर्ण ब्रह्म परमात्मा के नूरी स्वरूप की हैं ।अक्षरातीत श्री राज जी की किशोर अमरद सूरत हैं --

      अरस देख्या रूहअल्ला, हक सूरत किसोर सुंदर ।
      कही वाहेदतकी मारफत, जो अरस के अंदर ।। ३ ।।प्र ५ सागर

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  2. Wonderful seva. I don't understand Rajeevji's point/question. saprem pranamji

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