शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2016

|| पाँचवा चौक मूल मिलावा ||

                         || पाँचवा चौक मूल मिलावा ||

पाँचवा चौक मूल मिलावे का हैं (श्री लाल दास महाराज  जी कृत छोटी वृति )

प्रेम प्रणाम जी 

मेरी सखी ,श्रीराज-श्याम जी की अपार मेहर से अपनी निज नजर को परमधाम की और मोड़े ..जहाँ हमारा मूल मुकाम हैं

परमधाम में प्रवेश करते ही शीतल मंद ,सुगंधित हवाएँ स्वागत कर रही हैं --हर और आनंद ही आनंद | सुखपाल हाजिर आपको धाम परमधाम की सैर कराने के लिए-

–उन पर सवार होकर रूह चली --

बड़ी राँग की शोभा को देखा | आठ सागर आठ जिमी —

चार हार हवेली की चाँदनी की शोभा देखते हुए और आगे बढ़े–

-वन की नहरों की फूलों से महकती शोभा को श्री राज जी ने दिखाया —

अहो !दक्षिण दिशा में सुशोभित माणिक पहाड़ की अद्भुत शोभा मुझे रोमांचित कर रही हैं और जवेरो की नहरों को देखा –हर और नूरी जल ही जल –हर शह में श्रीराज जी का इश्क —

मनोहारी ,अतुलनीय शोभा को देखते दिखलाते जमुना जी पर आ पहुँचे —

केल पुल और बट पुल की पाँच भोम छठी चाँदनी और दोनों पुलों के मध्य सात घाट और मध्य में पाट घाट —
-चल सखी पाट घाट में चलें | जमुना जी के जल पर सोहना पाट और सामने दूध से उज्ज्वल मिश्री से भी मीठा जमुना जी का जल –आओ मिल कर झीलना करें | जल क्रीड़ा के अखंड सुख लिए | नूरमयी जल का हमें यूँ आगोश में लेना मानो प्राण प्रियतम ने हमे अपनी बाँहों में थाम लिया |

झीलना कर देहूरियों में सिनगार सज कर पाट घाट को पीठ देकर सीधे चाँदनी चौक में आएँ |

चाँदनी चौक की रेती का नूर ,लाल हरे वृक्षों की शोभा देख कर 100 सीढ़ी 20 चाँदे पार कर रूह धाम द्वार के सम्मुख आती हैं और देखती हैं दो भोंम ऊँचे धाम द्वार की मनोहारी शोभा , नूरमयी दर्पण रंग का झलकार करता हुआ , धाम का मुख्य द्वार ,हरित रंग की बेनी और लाल रंग की चौखट –अत्यन्त शोभा को धारण किए हमारा धाम द्वार स्वतः ही खुल गया —दुल्हन की मानिंद रूह ने एक सीढ़ी ऊँची चौखट पार की और आगे 28 थम्भ के चौक को पर कर चार चौरस हवेली भी पार की | रूह जैसे ही चौथी हवेली के पश्चिम द्वार से बाहिर निकली तो देखती हैं थम्भो की एक हार चौरस घूमी हैं और दूसरी गोलाई में शोभित हैं |और सामने पांचवा चौक अर्थात पांचवीं गोल हवेली हैं --यह हमारा 

 मूल मिलावा हैं --जहाँ रूह के प्राण वल्लभ श्रीराज-श्यामा जी धाम की सखियों को संग ले कर विराजमान हैं |

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