मंगलवार, 18 अक्तूबर 2016

*देखो नैना नूरजमाल, जो रूहों पर सनकूल *

   



देखो नैना नूरजमाल, जो रूहों पर सनकूल ।
अरवाहें जो अरस की, सो जिन जाओ छिन भूल ।। 1||/14 सिनगार 

श्री महामति जी सुंदर साथ जी को आह्वान कर रहे हैं कि मेरे प्यारे साथ जी ,अपनी आत्मिक दृष्टि से अक्षरातीत श्रीराज जी नयनों अद्वितीय शोभा को देखिए | श्री राज जी के नयन ब्रह्म सृष्टियों पर सदैव ही प्रेम ,इश्क ,प्रीति की वर्षा करते हैं |प्रेम रस में भीगे यह नयन अति सुखदायी हैं | तो मेरे साथ जी ,परमधाम की जो भी कोई ब्रह्म सृष्टि हैं उन्हें एक पल के लिए इन नयनों को नहीं भूलना चहिए |

गुन नैनों के क्यों कहूं, रस भरे रंगीले ।
मीठे लगें मरोरते, अति सुन्दर अलबेले ।। 5 /14 सिनगार 

श्री महामति जी आगे कह रहें हैं कि मैने हक श्रीराज जी के नयनों की बेशुमार महिमा को देखा हैं |उनके नयन कैसे हैं ? प्रियतम श्री राज जी के नयनों में अपार गुण हैं और यह गुण अखंड अर्श के हैं जिनसे ब्रह्मप्रियाएं अखंड सुखों का निरंतर पान  करती हैं |प्रेम ,प्रीति और इश्क रस से भरे यह नैन सुखदायी हैं | जब श्री राज जी अपने नयनों को रूह की और करते हैं तो मस्ती में डूबे यह नयन बहुत ही सुंदर प्रतीत होते हैं |तिरछी छबि वाले श्री राज जी के बड़े -बड़े  नयनों में नूर के काले काले तारें हैं और नयनों की  लालिमा लिए श्वेत जोत में रूहों के लिए इश्क ,शीतलता ,करुणा ,प्रेम और प्रीति  हैं |पलके गौर वर्ण में सुशोभित हैं |प्रियतम श्री राज जी के नैनन के तारों ,पुतलियों और बरौनियों में तेज हैं और इन  तेज में सुख ही सुख हैं | उल्लास से परिपूर्ण इन नयनों में मान हैं और पलकों की बरौनियों में प्रेम से भरी लज्जा समाई हैं |

मेहेर भरे मासूक के, सोहें नैन सुन्दर ।
भृकुटी स्याम सोभा लिए, चूभ रेहेत रूह अंदर 7/14 सिनगार 

माशूक श्री राज जी के मेहर से भरे यह नयन रूह को बहुत सुंदर लगते हैं | बड़े बड़े तिरछे नयन कमलों का नूरमयी और उन पर श्याम रंग में शोभित सलूकी लिए भृकुटी की जोत ,यह अद्भुत शोभा ब्रह्मप्रियाओं के धाम हृदय में चुभ जाती हैं | 

जब खैंचत भर कसीस, तब मुतलक डारत मार ।
इन विध भेदत सब अंगों, मूल तन मिटत विकार ।। 11/14सिनगार 

धामदूल्हा श्री राज जी जब अपने नयनों से प्रेम की मस्ती में तिरछे नयनों से इशारें कर रूहों को बुलाते हैं तो उनके नयनों में समाए असीम लाड़-प्यार को रूहें महसूस करती हैं |उनके प्रेम के बाणों में झलकती चंचलता ,चपलता रूहें एकटक देखती हैं | प्रियतम श्री राज जी के नयनों के गुण अपार हैं |प्रियतम श्री राज जी के सुंदर अति सुंदर ,छैल छबीले इन नयनों की शोभा रूहें चितवन से प्राप्त करती हैं |

कहे गुन महामत मोमिनो, नैना रस भरे मासूक के ।
अपार गुन गिनती मिने, क्योंकर आवें ए ।। 47/14सिनगार 

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