गुरुवार, 20 अक्तूबर 2016

अनेक गुन गालनमें

*गौर गाल सुंदर हरवटी, फेर फेर देखों मुख लाल* ।
*अरस कर दिल मोमिन, माहें बैठे नूरजमाल* ।।74/20सिनगार

मेरी रूह अपने सुभान श्री राज जी के गौर गालों ,सुंदर हरवटी को फेर फेर निहारती हैं |श्री राज जी का मुख गौर वर्ण में लालिमा लिए हैं |प्रियतम श्री राज जी की मुखारबिंद की सलूकी ,नाज़ुकी ,चकलाई रूह के नयनों से ही महसूस कर सकते  हैं |ऐसे मेरे अलौकिक सोन्दर्य के धनी मेरे श्री राज जी मोमिन के दिल को अर्श कर विराजमान हैं |

*क्यों कहूं गौर गालन की, सोभित अति सुंदर* ।
*जो देखूं नैना भरके, तो सुख उपजे रूह अंदर* ।। ६०/12सिनगार

*गाल रंग अति उजल, गेहेरा अति कसूंबाए* ।
*मेहेबूब मुख देखे पीछे, रूह छिन न सहे अंतराए* ।। ६५ /12सिनगार

मेरे धनी श्री राज जी के गौरे गौरे गाल और लाल लाल होंठों की सुंदरता ,निज नयनों से निरख मेरी रूह  | श्री राज जी के मुख कमल का सोन्दर्य अनुपम हैं |उनके अंग-अंग में प्रेम ,आनंद ,इश्क ,प्रीति समाई हैं |श्री राज जी के गौरे गौरे गालों को निहारने वाली सखी के आनंद का क्या वर्णन हो ? सखी कभी गौरे गौरे गुलाबी गालों की सलूकी को अपलक निहारती हैं तो कभी उनके रंगों को |

महबूब श्री राज जी अर्श के गौर वर्ण के नूरी गाल ,उनमें गहराई लालिमा --रूह इन गालों में ही खो सी जाती हैं |

*क्यों कहूं गालोंकी सलूकी, क्यों कहूं गालोंका रंग* ।
*अनेक गुन गालनमें, ज्यों जोत किरन रंग तरंग* ।। ६१/12सिनगार

गालों की सलूकी ,चकलाई उनका अद्भुत सोन्दर्य वर्णन से परे हैं |  गालों में झिलमिलाते अर्शे अज़ीम के रंगों का वर्णन हो ? हे मेरी सखी ,श्री राज जी के गौरे गौरे गालों को निरख जिनमें  अनेक गुण हैं |  गालों की अलौकिक ज्योति ,इन ज्योति से उठती किरणें ,किरणों से उठती तरंगों के छिपे सुखों को महसूस कर |

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