शनिवार, 27 मई 2017

shri rangmahal ki dasvin chandni

रूह आज रंगमहल की दसवीं चांदनी की शोभा को जी भर के निहारना चाहती हैं | हक श्री राज जी की अपार मेहर से रूह की सुरता दसवीं चांदनी पहुँचती हैं और देखती हैं चांदनी के मनोरम शोभा —
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सर्व प्रथम रूह की नज़र जाती हैं चांदनी की किनार पर -रूह ने देखा कि रंगमहल की नवमी भूमिका में एक मंदिर का चौड़ा छज्जा सुशोभित हैं जो लंबाई में तो चारों ओर घेर कर आया हैं | ठीक इसी छज्जे की छत पर दसवीं चांदनी पर एक मंदिर का चौड़ा और लंबाई में चारों और घेर कर छज्जा आया हैं |
रूह छज्जे पर आती हैं और निहारती हैं छज्जे की शोभा –छज्जे की बाहिरी किनार पर अत्यंत ही मनोहारी कठेड़ा आया हैं | कठेड़े पर आएं चित्रामन में जडित जवारातों की झलकार आकाश तक जा रही हैं | कठेड़ा के बाहिरी तरफ ढालदार छज्जा हैं और छज्जे की भीतरी किनार पर देहेलान शोभा ले रही हैं |बाहिरी हार 6000 मंदिरों की छत पर देहेलान आईं हैं |
एक देहेलान की अलौकिक शोभा रूह ने निरखी -देहेलान में एक एक मंदिर की हद में चार थम्भ आएं हैं |जिन पर आईं एक बड़ी महेराब में तीन मेहेराबें आईं हैं | मध्य की मेहेराब में नूरमयी ,रत्नों की नक्काशी से जडित दीवार आईं हैं और दीवार के दाएँ बाएँ की महेराबें खुली आने से दहेलान में देखने के आठ आठ पर गिनती में छः छः ही द्वार आएं हैं क्योंकि पाखे में आएं द्वार दोनों ओर की देहेलान में काम आते हैं |
देहेलान की चांदनी पर 12000 देहूरियों की शोभा झलकार कर रहीं हैं |देहूरियों पर कलश ,ध्वजा और पताका की शोभा आईं हैं | दहेलान के भीतरी और बाहिरी किनार पर कंगुरें हैं और कंगुरों के बीच बीच में कांगरी हैं |
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रंगमहल की चांदनी पर मुख्यद्वार के दस मंदिर के हांस मे दस मंदिर की लंबी और चार मंदिर चौड़ी देहेलान आईं हैं |देहेलान में 10 थम्बो की चार चार हारें आईं हैं | देहेलान की चाँदनी पर चारों कोनों पर मनोहारी शोभा को धारण किए देहूरियां आई हैं | 201 गुर्ज भी यहाँ तक आएँ हैं | प्रत्येक गुर्ज पर गुमट की शोभा हैं | गुमटो पर कलश आएँ हैं और कलशो पर ध्वजाएँ शोभा ले रही हैं |
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बाहिरी छज्जा देहेलान और देहेलान के भीतर एक मंदिर की जगह ,यह तीन मंदिर की जगह चांदनी से तीन सीढ़ी ऊँची आईं हैं | रूह मेरी देहेलान पार करके एक मंदिर की रोंस को भी पार करके तीन सीढ़ी उतर कर चाँदनी पर आतीं हैं |
-और निहारती हैं चांदनी की मनोहारी शोभा -यहां बगीचो की शोभा आईं हैं | नीचे जो हवेलियों के फिरावे आएं हैं उनकी छत पर बाग-बगीचों की अपार शोभा आईं हैं |चौरस हवेलियों की छत पर फूलों के बगीचे आएं हैं जिनके नूरी रंग ,उनकी सुगंधी से रूह को प्यारी लगती हैं |गोल हवेलियों पर रंग बिरंगी दूब खिली हैं तो पंच मोहोलों की छत पर फलों और मेवों के बगीचे लहरा रहे हैं | बगीचों में आईं नहरे ,उनमें कलरव करता निर्मल जल और चहेबच्चों से उठती उज्ज्वल ,सुगंधित जल की बूंदीयाँ –रूह इन शोभा को एकटक निहारती हैं |
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चाँदनी पर आएं बाग-बगीचों की अनुपम शोभा निरखते रूह चांदनी के मध्य भाग में पहुँचती हैं और देखती हैं -नीचे जो मध्य मे नौ चौक आए हैं उनकी छत पर चांदनी पर तीन सीढ़ी ऊंचा चबूतरा उठा जिसके चारो दिशा से चांदनी पर तीन तीन सीढ़ी उतरी हैं |चबूतरे पर अति सुंदर पशमी गिलम बिछी हैं और उन पर सिंहासन कुर्सियों की अपार शोभा आईं हैं |
और चबूतरा के चारों कोनों पर चार चहेबच्चें सुशोभित हैं |चेहेबच्चा के तीनों तरफ तीन तीन सीढ़ियाँ हैं ,एक तरफ से चबूतरा मिल गया हैं |
|श्रीराज श्री ठकुरानी जी तथा समस्त सुंदर साथ पूर्णिमा की रात्रि को इस चांदनी पर पधारतें हैं |चबूतरे पर खड़े होकर चारों तरफ की शोभा नज़रों में आती हैं |

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