रूह चले निजदरबारा
हद बेहद के ब्रह्माण्ड से परे दिव्य परमधाम में
रंगमहल की नौवीं भोम
🌹आठवीं भोम में धाम धनी श्री राज जी ,श्री श्यामा जी के संग हिंडोलों के सुख ले रूह अब बढ़ती हैं नवी भोम की और --आठवीं भूमिका में घेर कर आएं बाहिरी हार मंदिरों के भीतर की और खड़ी हैं रूह ,
जहाँ दो थंभों की हार तीन नूरमयी गलियों की अपार शोभा के आगे दूसरी 6000 मंदिरों की हार शोभित है ।मध्य गली में हिंडोलों की अति मनोहारी शोभा हैं --जाना हैं नवमी भोम तो
रूह के दिल में इच्छा उपजते ही थंभों की हारों में नूरी सीढ़ियां झलकने लगी --उन सीढ़ियों से रूह चलती हैं नवमी भोम की और -
नूरी सीढ़ियों से चढ़ रूह आन पहुंची नवी भोम
यहाँ पहुँच कर धाम धनी श्री राज जी की अपार मेहर से रूह शोभा निरख रही हैं ।दो थंभो की हार और तीन नूर से झिलमिलाती गलियों की शोभा --दूसरी हार मंदिरों की शोभा और नजर की बाहिरी हार मंदिरों की और तो रूह प्यारी ने देखा कि बाहिरी हार मंदिर इन तीन गलियों दूसरे शब्दों में कहे तो नवमी भूमिका की जमीन से तीन सीढ़ी ऊँचे दिख रहे हैं ।यहाँ से बाहिरी हार इन मंदिरों की भीतरी दीवार की अति मनोहारी शोभा रूह निरख रही हैं ।100 हाथ की ऊँची और 100 हाथ की ऊंची इन दीवार में एक बड़ी मेहराब दिख रही हैं ।बड़ी मेहराब की नोक और दोनों और लाल माणिक के नूरी फूल महक रहे हैं ।इन बड़ी मेहराब में तीन मेहराब आयीं हैं --तो मध्य की बड़ी मेहराब में दरवाजा शोभित हैं --घेर कर आएं इन मंदिरों में जाना हैं तो रूह कैसे जाएगी ❓
रूह इन बाहिरी हार मंदिरों की और कदम बढ़ती हैं वह देख रही हैं ,एक प्यारी सी ,न्यारी सी शोभा --तीन सीढ़ी ऊँची शोभा हैं और घेर कर आये मंदिरों की भीतरी दीवार के दरवाजे के आगे एक चबूतरा लगा हैं जिसके दोनों और से तीन सीढ़ियां भीतरी गली में उतरी हैं ।इन चांदों से रूह सीढ़ियां चढ़कर चबूतरे पर आतीं हैं और द्वार पार करती हैं
🌹बाहिरी हार मंदिर की भीतरी दीवार से पहली गली में कुल कितने चांदा आएं हैं और मुख्यद्वार के ठीक ऊपर आएं बड़े मंदिर से सीढ़ियों की शोभा कैसे आयीं हैं ❓
बाहिरी हार मंदिर घेर कर 5999 आएं हैं । प्रत्येक मंदिर की भीतरी दीवार के सन्मुख आये द्वार के सामने 33 हाथ के लम्बे चौड़े चांदे आएं हैं जिनसे तीन तीन सीढ़ियां उत्तरी हैं मुख्यद्वार के सन्मुख 88 मंदिर का लम्बा और 33 हाथ का चौड़ा चांदा आया हैं
🌹बाहिरी हार मंदिरों के स्थान पर रूह खड़ी हैं और वह देख रही हैं कि यह स्थान तीन सीढ़ी ऊंचा आया हैं ।बाहिरी हार मंदिरों की भीतरी दीवाल की शोभा आयीं है और ऐसे क्या शोभा हैं इन स्थान पर जो इन भूमिका की खूबी बढ़ाती हैं ❓
रूह देख रही हैं कि नवमी भूमिका में बाहिरी 6000 मंदिर शेष भूमिका से तीन सीढ़ी ऊँचे आएं हैं ।मंदिरों की भीतरी दीवार पूर्ववत शोभित हैं ।लेकिन मंदिरों की पाखे की दीवार नहीं आयीं और बाहिरी दीवार भी नहीं आयीं हैं ।भीतरी दीवार से एक मंदिर की दुरी पर थंभों की एक हार आयीं हैं ।इन हार से एक मंदिर का छज्जा निकला हैं जिसकी किनार पर भी थम्भ आएं हैं और थंभों के मध्य नूरी कठेड़ा आया हैं ।
🌹रूह देख रहीं हैं कि रंगमहल की प्रथम भूमिका में एक मंदिर की धाम रोंस परिक्रमा के वास्ते आयीं हैं ।दूसरी भोम से आठवीं भूमिका तक 33 हाथ के छज्जे आएं हैं जो मंदिरों से एक सीढ़ी नीचे आएं हैं ।मंदिर से एक सीढ़ी नीचे उत्तर इन छज्जों पर रूह आ सकती हैं ।अब शोभा देखनी हैं नवमी भोम के छज्जा की --
तो यहाँ छज्जा कितना शोभित हैं और छज्जा की क्या शोभा आयीं हैं ।छज्जा की किनार पर क्या शोभा हैं ❓
रूह ने देखा कि नवमी भूमिका में एक मंदिर का चौड़ा छज्जा निकला हैं जिसकी किनार पर थम्भ आएं हैं ।थंभों के मध्य कठेड़े की शोभा हैं ।आगे ढालदार छज्जा हैं ।बाहिरी हार मंदिरों का स्थान और छज्जा मिलकर दो मंदिर की जगह हुई ।
🌹रंगमहल के 201 पहल आएं हैं ।प्रत्येक पहल पर 66 हाथ के लम्बे चौड़े गुर्ज शोभित हैं जिनकी दस भोम ग्यारवीं चांदनी हैं ।तो इस तरह से बाहिरी हार मंदिरों की जगह तो खुला स्थान आया हैं पर गुर्ज अपनी जगह पर सुशोभित हैं ।201 गुर्ज आने से नवमी भोम में कितने झरोखे रूह को नजर आ रहे हैं ❓
गुर्ज अपने स्थान पर आने से 201 झरोखे नजर आते हैं ।दस मंदिर के हान्स में दो मंदिर का चौड़ा और दस मंदिर का लम्बा झरोखा नजर आ रहा हैं ।इसके दोनों और 25 मंदिर के दो मंदिर के चौड़े झरोखा हैं और शेष 30 मंदिर के लम्बे दो मंदिर के चौड़े झरोखे हैं।
ऐ दो सौ एक छज्जे कहे
दोए गुर्जो दरम्यान
🌹नवमी भोम को किस नाम से जाना जाता हैं ❓
नवमी भोम को दूरदर्शिका से जाना जाता हैं
🌹नवमी भोम में धाम धनी हक श्री राज जी अंगूरी के इशारे से क्या दिखाते हैं ❓
धाम के इन विशाल झरोखो में जब हक़ हदी रूहों के साथ आते हैं तो धाम धनि रूहों को जिस भी दिशा में बैठते हैं वहां के दूर दूर शोभा हम रूहो को राजजी महाराज अपनी अंगुली के इशारों पर दिखाते हे
पूर्व में बैठे हे तो
चांदनी चौक
सातघाट
यमुना जी
अक्षरधाम
पश्चिम में बैठते हे तो
नुरबाग
फूलबाग
दुब दुलीचा
पश्चिम के मैदान
उत्तर में बैठते हे तो
तिरछी निगाहों से नीचे की और खडोकली
बडोवन के वृक्ष
पुखराज पहाड़
दक्षिण में बैठते हे तो
नीचे की तरफ नजर करके बट पीपल की चौकी
कुञ्ज निकुंज वन
माणेक पहाड़
चौबीस हास के महल
हौज कौशर ताल की शीतल शीतल हवा यहाँ बैठे बैठे महसूस करवाते हे
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