बुधवार, 17 मई 2017

RANGMAHAL-NAVMI BHOM SHOBHA

प्रेम प्रणाम जी 

चले नवमी भोम 


आत्मिक दृष्टि से देखे रंगमहल की नवी भोम की अलौकिक अद्भुत शोभा



नौवीं भोम की शोभा को देखने से पहले रंगमहल की एक भोम की शोभा को दिल में लेते हैं --रंगमहल में घेर कर 6000 -6000  मंदिरों की दो हारे आयीं हैं।अति सुन्दर मंदिरों की दो हारों के मध्य दो थम्भ की हार तीन नूरमयी गलियों की अपार शोभा हैं ।इन मंदिरों की हारों के भीतरी तरफ हवेलियों के फिरावे शुरू हो गए हैं ।36  हार फिरावे पार करते हैं तो फुलवाड़ी की शोभा हैं और ठीक मध्य में नव चौक की शोभा हैं जिनके चारोँ कोनों में जल सतून आएं हैं जो चांदनी पर खुलते हैं ।मुख्यद्वार के ठीक सामने 28  थम्भ का चौक --भोम दर भोम एही शोभा हैं प्रत्येक भोम में कुछ विशेष शोभा हैं ।अब देखते हैं नवमी भोम की विशेष शोभा

नवमी भूमिका में बाहिरी हार मंदिर की जगह शेष शोभा से तीन सीढ़ी ऊंची शोभित हैं ।बाहिरी हार मंदिरों की भीतरी दीवार की शोभा देख रही हैं रूह सबसे पहले --


मंदिर की भीतरी दीवार में एक बड़ी सुंदर मेहराब आयीं हैं फिर इन बड़ी मेहराब में तीन छोटी मेहराबें आयीं हैं जिनमें ठीक मध्य की मेहराब में दरवाजा हैं और दाएं बाएं की मेहराब में सुन्दर नक्काशी सुशोभित हैं ।
मध्य में आएं दरवाजे की शोभा रूह देख रही हैं ।अति सुन्दर दरवाजा खुला और रूह ने देखा कि भीतर की और दो थम्भ की हार तीन गालियां हैं ।इन गलियों से दरवाजा तीन सीढ़ी ऊंचा हैं क्योंकि बाहिरी हार मंदिरों की जगह यहाँ तीन सीढ़ी ऊंची आयीं हैं ।दरवाजे के ठीक सामने 33  हाथ का लम्बा चौड़ा चबूतरा लगा हैं जिसके दोनों और से तीन तीन सीढ़ियां पहली गली में उतरी हैं ।चबूतरा ओर सीढ़ियों के भीतर की और ,अर्थात गली की और सुन्दर कठेड़े की शोभा हैं ।रूह ने देखा कि अगर बाहिरी हार मंदिर से भीतर जाना हैं तो इन चांदों से तीन सीढ़ी उतर कर जा सकते हैं ।
और  बाहिरी  हार इन मंदिरों की पाखे की और बाहिरी दीवार न आकर थंभों की एक हार आयीं हैं ।
थंभों की हार के आगे एक मंदिर का चौड़ा और लम्बाई में तो घेर कर छज्जा आया हैं ।जिसकी किनार पर मनमोहक थंभों की हार आईं हैं | इनके मध्य रत्नो नंगो और फुलो से सज्जित कठेड़ा की शोभा आई हैं |
और मुख्यद्वार के स्थान की और रूह की नजर जाती  हैं तो वहां मुख्यद्वार के सामने दो मंदिर की जगह लेकर तीन सीढ़ियाँ 28 थम्भ के चौक और मुख्यद्वार के मध्य गली में उतरी हैं |और घेर कर मंदिरों की भीतरी दीवार से चांदा से उतरती  सीढ़ियाँ ज़ुदी ज़ुदी जिनस से सुसज्जित हैं | फूलों से महकते इनके कठेडे उनके चित्रामन रूह को मुग्ध कर रहे हैं |
इस तरह से रूह देख रही हैं कि  बाहिरी 6000 मंदिरों की भीतरी दीवार और उनमें शोभा ले रहे महेराबी द्वार सभी जोगबाई आईं हैं परन्तु इन मंदिरों की बाहिरी दीवार और पाखे की दीवार नहीं आईं हैं | बाहिरी दीवार के स्थान पर  थम्भों की हार आईं हैं 


पुनः बाहिरी दीवार के स्थान पर जो थम्भों की हार आईं हैं ,उनकी किनार से मंदिर की चौड़ाई लेकर छज्जा आया हैं जो लंबाई में तो रंगमहल को घेर कर आया हैं |इन छज्जे की किनार पर भी थम्भों की हार शोभा ले रही हैं और थम्भों के मध्य कठेड़ा की शोभा आई हैं |

घेर कर आएं गुर्ज अपनी जगह पर आ रहे हैं जिनसे 201 झरोखों की शोभा दिखाई दे रही हैं |दस मंदिर के हांस में दो मंदिर का चौड़ा और दस मंदिर लंबा छज्जा शोभा ले रहा हैं |दस मंदिर के हांस के दायें बायें दो मंदिर के चौड़े और पचीस मंदिर के लंबे छज्जे आएं हैं और घेर कर आएं बाकी सब छज्जे दो मंदिर के चौड़े और तीस मंदिर के लंबे छज्जे आएं हैं |

यह शोभा तीन सीढ़ी ऊंची आई है |इस कारण मंदिरो की भीतरी दीवार से द्वार के आगे चांदे से सीढ़ियाँ भीतर गली में उतरी हैं |201 हाँसो मे छज्जो में गिलम , सिंघासन कुर्सियों की शोभा आयीं हैं ।

श्री राज श्री ठकुरानी जी जिस दिशा में विराजते हैं उसी दिशा के तमाम दृश्यों का परस्पर वर्णन करके प्रमुदित होते हैं |

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