गुरुवार, 1 जून 2017

shri rangmahal dasvi chandni que-ans

🌷श्री रंगमहल की दसवीं चांदनी के ठीक मध्य में पहुँचते हैं जहाँ सुन्दर नूरमयी चबूतरा की शोभा आयीं हैं ,चबूतरा पर गिलम सिंहासन कुर्सियों की अपार शोभा रूह देख रही हैं --चबूतरा के हर पहल पर भी सुन्दर बैठके हैं तो यह चबूतरा कितने पहल में शोभित हैं ❓
   
यह चबूतरा 200 पहल में सुशोभीत हैं  हर एक पहल 10 मंदिर का हे इस चबूतरे के चारो दिशा  से तीन तीन सीढिया चांदनी में उतरी हे और सीढ़ियों  की जगह छोड़कर सुन्दर कठेड़ा  सुशोभित हैं --मध्य में सिंहासन को घेरकर 6000 कुर्सियां  लगी है-- चबूतरे के प्रत्येक पहल पर भी सुन्दर बैठक शोभित हैं               

🌷रंगमहल की प्रथम भोम से ठीक मध्य में 28  मंदिर की फुलवारी के भीतर जो तीन चौको की तीन हारे आयीं हैं उनके सर पर चांदनी पर कमर भर ऊंचे गोल चबूतरा की बेशुमार शोभा आयीं हैं  ।इन नव चौको के चारो कोनो में जल स्टून आये हैं जो चांदनी पर जाकर खुले हैं तो वहां क्या शोभा दिखाई दे रही हैं 

 यह जल स्तुन जो पहली भोम से नौंवी भोम तक ऊपर उठे हे फिर दसवीं आकासी में  200 पहल के चबूतरे के चारो कोनो में चेहबचे के रूप में खुले हे हर एक चेहबचा 16 पहल का आया है एक चहबचा 8 मंदिर का लंबा चौड़ा आया है चहेबचे में रंगबेरंगी जल के फव्वारे लगे है जिसका जल चांदनी में आये बाकि चहबचो तक जाता है इन फव्वारों की हर एक जल बून्द से चांदनी पर शीतलतायूक्त सुगंध छायी हुई है                    
🌷चबूतरा पर रूह प्यारी सखियों संग बैठ हान्स विलास कर रही हैं ,चबूतरा के चारों कोनों पर सुन्दर नूरी चहबच्चे हैं जिन्होंने चबूतरा से एक रूप  मिलान किया हुआ हैं --उठते नूरी फव्वारों का रूह आनंद ले रही हैं और घेर कर आयीं नूरी शोभा श्री राज जी रूहों को दिखा रहे हैं -मध्य चबूतरा को घेर कर कोनसी सुंदर शोभा आयीं हैं ?

नूरी चबूतरा ,चबूतरा के चारों कोनों पर विशाल चहबच्चे उनसे उठता नूरी जल --इन फव्वारों के आनंद लेती रूह जब चबूतरा को घेर कर चांदनी की शोभा देखती हैं वो देखती हैं बेशुमार फुलवाड़ी की शोभा --नहरों चेहेबच्चों की अपार शोभा 
                     
🌷रंगमहल की प्रथम भोम से जो हवेलियों की हारे आयीं हैं उनके सिर पर चांदनी पर बगीचा आये हैं --तो पञ्चमोहोलों पर कोनसे बगीचे रूह निरख रही हैं ❓                        

मेवें और मिठाई के अपार वृक्ष के बगीचा आएं हैं 

🌷चौरस हवेलियों के ठीक ऊपर चांदनी पर कोनसे बगीचा शोभित हैं ❓  

चौरस हवेलियों के ठीक ऊपर फूलों के बगीचा लहरा रहे हैं                       

🌷गोल  हवेलियों के ठीक ऊपर चांदनी पर कोनसे बगीचा शोभित हैं ❓  

गोल  हवेलियों के ठीक ऊपर चांदनी पर दूब की शोभा हैं ,बेशुमार ,मनोहारी रंगों में खिली खिली दूब रूहें निरख रही हैं                     

🌷और हवेलियों के मध्य जो त्रिपोलिया आये हैं उनकी क्या शोभा हैं चांदनी पर --जो रूह देख रही हैं ❓                        

त्रिपोलिया के सर पर चांदनी पर मध्य गली पर नेहेरें शोभित हैं और दोनों और नूरमयी रोंसों की शोभा हैं --रोंस के भी तीन भाग हैं मध्य में फुलवाड़ी हैं और दाएं बाएं नगन जड़ित  रोंस हैं 

🌷रंगमहल की दसवीं चांदनी की किनार पर एक मंदिर का छज्जा सुशोभित हैं जिसकी बाहिरी किनार पर रत्नों से जड़ित कठेड़े की शोभा हैं तो यहाँ छज्जा की भीतरी किनार क्या शोभा रूह निरख रही हैं 🌷                        
देहलान की अलौकिक शोभा रूह महसूस कर रही हैं 

🌷दसवीं चांदनी पर  देहलान की शोभा रूह देखती हैं तो क्या शोभा विशेष है जो रूह ने महसूस की ❓  

एक देहेलान की अलौकिक शोभा रूह ने निरखी -देहेलान में एक एक मंदिर की हद में चार थम्भ आएं हैं |जिन पर आईं एक बड़ी महेराब में तीन मेहेराबें आईं हैं | मध्य की मेहेराब में नूरमयी ,रत्नों की नक्काशी से जडित दीवार आईं हैं और दीवार के दाएँ बाएँ की महेराबें खुली आने से दहेलान में देखने के आठ आठ पर गिनती में छः छः ही द्वार आएं हैं क्योंकि पाखे में आएं द्वार दोनों ओर की देहेलान में काम आते हैं |

🌷घेर कर आयीं दहलान की शोभा निरख अपनी निज नजर को पूर्व दिशा की दहलान की ,दस मंदिर के दरवाजा का हान्स की और करते हैं क्या शोभा है ❓                        
घेर कर आयीं दहलान की शोभा निरख अपनी निज नजर को पूर्व दिशा की और करते हैं  -- जहाँ दस मंदिर के दरवाजा का हान्स हैं --दरवाजे की दहलान दस मंदिर की लंबाई लिये हैं और 4 मंदिर की चौड़ी हैं --दस नूर भरे थंभों की चार हारें चौड़ाई तरफ से दिख रही हैं और लंबाई में दहलान की शोभा देखे तो चार चार थंभों की दस हारें शोभित हैं ।

दस मंदिर के हान्स में जो मध्य में दो मंदिर का दरवाजा आया था --और दरवाजा के दोनों और चार चार मंदिर हैं --उनकी जगह यहाँ दसवीं चांदनी में दस दस थंभों की दो हारें आयीं हैं --थंभों की एक हार दहलान के भीतरी और जो एक मंदिर का चौड़ा और लंबा तो घेर कर उठा हैं --उन चबूतरा की किनार पर दस थम्भ आएं हैं --दस थम्भ दहलान के बाहिरी तरफ जो दस मंदिर की लंबी और दो मंदिर की चौड़ी जो पड़साल की जगह आयीं हैं उसकी पूर्वी किनार पर दस थम्भ आएं हैं --छज्जा की शोभा हैं 

🌷देहलान पर देहुरियों की शोभा और गुरजों पर गुमट की शोभा रूह ने निरखी तो वह शोभा कैसे हैं ❓    

 किनार पर भोंम भर ऊंची दहलान आईं हैं —दहलान पर आई भिन्न भिन्न रंगो नंगो से सजी देहूरियां –अनुपम शोभा हैं मेरे धाम की --एक एक दहलान पर दो दो गुम्मतियां आयीं हैं --दहलान की चांदनी की किनार पर कंगूरों की शोभा --कंगूरों के बीच बीच में कांगरी की  शोभा आयीं हैं --201  हांसों में गुरजों की शोभा आयीं हैं --गुरजों पर गुम्मट की अपार शोभा आयीं हैं --गुमटों पर कलश और कलशों पर ध्वजाएँ फहराती हैं |

🌷देहलान के भीतर चांदनी की और एक मंदिर की रोंस आयीं हैं जिनसे चांदा से प्रत्येक हान्स से तीन तीन सीढ़ियां चांदनी पर उतरी हैं  ---देहलान के भीतर रोंस के आगे सीढिया उतर कर रूह किस शोभा में रमण करती हैं 🌷 ❓ 

 दहलान के भीतरी तरफ भी एक मंदिर का चौड़ा चबूतरा उठा हैं --एक मंदिर की रोंस के रूप में इसकी भीतरी किनार पर 201  हांसों से चांदों से सीढियां चांदनी पर उतरी हैं --एक एक चाँद से तीन तीन उतरती सीढियां देखे
रूह मेरी देहेलान पार करके एक मंदिर की रोंस को भी पार करके तीन सीढ़ी उतर कर चाँदनी पर आतीं हैं |
-और निहारती हैं चांदनी की मनोहारी शोभा -यहां बगीचो की शोभा आईं हैं | नीचे जो हवेलियों के फिरावे आएं हैं उनकी छत पर बाग-बगीचों की अपार शोभा आईं हैं |चौरस हवेलियों की छत पर फूलों के बगीचे आएं हैं जिनके नूरी रंग ,उनकी सुगंधी से रूह को प्यारी लगती हैं |गोल हवेलियों पर रंग बिरंगी दूब खिली हैं तो पंच मोहोलों की छत पर फलों और मेवों के बगीचे लहरा रहे हैं | बगीचों में आईं नहरे ,उनमें कलरव करता निर्मल जल और चहेबच्चों से उठती उज्ज्वल ,सुगंधित जल की बूंदीयाँ –रूह इन शोभा को एकटक निहारती हैं |
चाँदनी पर आएं बाग-बगीचों की अनुपम शोभा निरखते रूह चांदनी के मध्य भाग में पहुँचती हैं और देखती हैं -नीचे जो मध्य मे नौ चौक आए हैं उनकी छत पर चांदनी पर तीन सीढ़ी ऊंचा चबूतरा उठा जिसके चारो दिशा से चांदनी पर तीन तीन सीढ़ी उतरी हैं |चबूतरे पर अति सुंदर पशमी गिलम बिछी हैं और उन पर सिंहासन कुर्सियों की अपार शोभा आईं हैं |
और चबूतरा के चारों कोनों पर चार चहेबच्चें सुशोभित हैं |चेहेबच्चा के तीनों तरफ तीन तीन सीढ़ियाँ हैं ,एक तरफ से चबूतरा मिल गया हैं |  |श्रीराज श्री ठकुरानी जी तथा समस्त सुंदर साथ पूर्णिमा की रात्रि को इस चांदनी पर पधारतें हैं |चबूतरे पर खड़े होकर चारों तरफ की शोभा नज़रों में आती हैं |

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