मंगलवार, 16 मई 2017

satvin aathvi bhom ke hindole que-ans

प्रणाम जी 

चले सखियों सातवीं आठवीं भोम 
झूला झूले 
हक़ श्री राज जी श्री श्यामा जी और सखियाँ सब मिलकर झूला झूले 

अर्शे अज़ीम की साहिबी अपार --अखंड सुखों का रस पान करे

                        🌹श्री रंगमहल की सातवीं भूमिका में सखियों चलते हैं ,6000  -6000  मंदिरों की अति नूरमयी हारों की शोभा को निरख रहे हैं ।मंदिरों की दोनों हारों के मध्य दो थंभों की हार आयी हैं और उनमें अति सुन्दर मेहराबें सुशोभित हैं ।थंभों के चितरामां अति सुन्दर चेतन हैं आपके आते ही फूलों ने अपनी सुगन्धि बड़ा आपका अभिनन्दन किया --पशु पक्षियों की तुहि तुहि ,पीया पीया की तक और खूब खुशालियाँ आपकी खिदमत में हाजिर हैं ।इन नूरमयी गलियों में मदमस्त चाल से चल रहे हैं हम सखियाँ ..प्रीतम से दिल की बात कह रहे हैं और उन्हें कह रहे हैं आइये ,अखंड लीला के आनंद ले ---तो सखियाँ किस लीला के लिए यहाँ युगल स्वरूप का आह्वन कर रही हैं ❓

यहाँ पर सखिया खट छप्पर के हिंडोलों में झुलने की लीला के लिए युगल स्वरूप से आह्वान कर रही है

🌹मंदिरों की दो हारों के मध्य अति सुन्दर नूरमयी त्रिपोलिये  की शोभा हैं ।6000 -6000  थंभों की नूरी मेहराबों में 6000 -6000  हिंडोलों की दो हारें आयीं हैं ।श्री राज जी और सखियाँ नजर नजर बाँध हिंडोले हींच रहे है ।मंदिरों का नूर आपस में टकरा रहा हैं ,अर्शे की सुगन्धि से आलम महक रहा हैं ,कंचन की जंजीरों में शोभित नूरी हिंडोलों की मीठी झंकार श्रवणों में रस घोल रही हैं ---तो यहाँ कितने हिंडोलों की ताली पड़ती हैं ❓

यहाँ सातवी भोम में दो हिंडोलों की ताली पड़ती है साथ साथ झूलते समय चक्री, स्वर्ण जंजीरे की अति प्यारी आवाज झनकार कर रही है

🌹श्री राज जी के बेशक इलम से हम रूहों  ने जाना कि 6000  -6000  कंचन जड़ित हिंडोलों की दो हारें सातवीं भोम में आयीं हैं ।यहाँ एक प्रश्न  दिल में उठता हैं कि 28  थम्भ के चौक की हद में थम्भ कटे हैं तो वहां हिंडोलों की गिनती कैसे पूर्ण हुई ❓

28  थम्भ के चौक में थम्भ कटे हैं तो उन मेहराबों में जो झूले आने चहीए वह 28  थम्भ के चौक की छत में उन स्थान पर  कुंडे लगे हैं उन पर हिंडोले सुशोभित हैं 


🌹सातवीं भोम में प्रीतम संग खूब झूले झूले ,उनके संग अखंड सुख लिए ,गलियों में विहार किया और अब दिल हैं कि झूला झूलने कि लीला में कुछ ख़ास प्रबंध हों तो धनि हमें आठवीं भोम में लेकर के आएं --रंगों नंगों से सजे 6000 -6000  मंदिरों की नूरी हारों के बीच हैं हम सखियाँ 

सामने दो थम्भ की नूर भरी हारे शोभित हैं और तीन गलियों की अपार शोभा हैं ,मध्य गली में मेहराबों में हिंडोले आएं हैं --उन हिंडोलों में युगल स्वरूप और  हम सखियाँ विराजमान होती हैं और हिंडोलों में पीया संग झूलती हैं .आमने सामने नैन से नैन बाँध ,मीठे स्वरों से गुणगान करते हुए सुख लेते हैं तो यहाँ ऐसा कोनसा सुख हैं जो सातवीं भोम से सरस हैं ❓
यहाँ पर 18000 हजार हिंडोलों की शोभा आयी है सातवी भोम की तरह यहाँ त्रिपोलिये में आये थम्बो की मेहराब में लगे हिंडोले तो हे ही पर साथ में बिच  की गली में भी जो मेहराबे आयी है यहाँ भी हिंडोले लगे है जिससे यहाँ चारो तरफ से हिंडोले की ताली पड़ती है


ऐ चारो तरफ के झूलने हक हमको देत लज्जत

सातवी और आठवी भोम के हिंडोले में झूल रही और राजजी महाराज के इश्क़ में हिलोरे खा खा कर दो हिंडोलों की ताली एवं चार हिंडोलों की ताली में झूलती रूहो के मुबारक कदमो में इश्क़ सेजदा👣🙏🏻❤

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें