गुरुवार, 9 फ़रवरी 2017

rangmahal ki dusri bhom ki das mandir ke hans ki shobha

प्रणाम जी 

शोभा देखनी हैं रंगमहल ,हमारा निजघर की दूसरी भूमिका की 
जहाँ भूल भुलवनी की अपार शोभा हैं --

भुलवनी की शोभा में झीले उससे पहले दूसरी भोम दरवाजे के वास्ते आये दस मंदिर के हान्स की शोभा को देखने का प्रयास करते हैं -
चांदनी चौक से रूह  सौ सीढियां बीस चांदों सहित पार करके रूह पहुँचती हैं दो मंदिर के लंबे चौड़े विशाल चौक में --रूह निरखती हैं इन चौक की अलौकिक शोभा --चौक के चारों कोनों में हीरा के थम्भ आएं हैं जो दो भोम के ऊंचे शोभित हैं इसीलिये इन चौक की छत की और  रूह देखती हैं तो नूरी नक्काशी से सुसज्जित छत दो भोम ऊंची अत्यंत ऊंची प्रतीत होती हैं --और हमारे निजघर का धाम दरवाजा भी दो भोम का ऊंचा विशाल शोभा से युक्त दृष्टिगोचर होता है --
चौक के पश्चिम में धाम दरवाजा शोभित हैं और दोनों और अर्थात उत्तर दक्षिण दिशा में चार मंदिर के लंबे और दो मंदिर के चौड़े एक सीढ़ी ऊंचे चबूतरे शोभायमान हैं -इन चबूतरों की पूर्व किनार पर हीरा ,माणिक ,पुखराज पाँच और निलवी के थम्भ शोभित हैं और पश्चिम किनार पर चार मंदिर लगे हैं --रूह अगर इन मंदिरों में जाना चाहती हैं तो चबूतरे से एक सीढ़ी उतर कर मंदिर में जाती हैं
रूह एक सीढ़ी ऊंची नूरी लाल चौखट उलंघ कर धाम दरवाजे के मंदिर के भीतर आती हैं तो देखती हैं कि दो मंदिर का लंबा और एक मंदिर का चौड़ा मंदिर धाम दरवाजे का मंदिर हैं जिसके  पूर्व और पश्चिम दीवार के शोभा एक सामान शोभित हैं -इनमें नूरी दर्पण का दरवाजा झिलमिला रहा हैं दरवाजा के दोनों और रत्नों जड़ित लाल मणियों कि नक्काशी से सजी अति सुन्दर नूरी दीवार हैं और दरवाजे के ऊपर बारह हाथ की मेहराब सुसज्जित हैं


और देखा रूह ने कि धाम दरवाजे के मंदिर की उत्तर दक्षिण दीवार में एक बड़ी मेहराब में तीन मेहराब दिखाई दे रही हैं जिनके ठीक मध्य कि मेहराब में दरवाजा हैं जिनसे पाखे में आएं मंदिरों में जा सकते हैं
अब रूह देखना चाहती हैं कि दस मंदिर के हान्स की दूजी भोम में क्या अलौकिक शोभा होगी ?
तो रूह जो धाम दरवाजे के भीतर खड़ी हैं दूसरी भोम में जाने का दिल में लेती हैं तो प्यारी रूह को नूरी सीढियां नजर आने लगती हैं (मंदिरों ,देहेलानों में हर जगह सीढियां हैं )रूह सीढियां चढ़कर दूसरी भोम के दरवाजे के मंदिर में खुद को देखती हैं --अहो !अद्भुत शोभा --दरवाजे के मंदिर की पश्चिमी दीवार में तो प्रथम भूमिका के सामान ही नूरी दर्पण के जगमग करते द्वार की शोभा आयीं हैं --दर्पण रंग का बादशाही शोभा से कोट गुनी शोभा लिये विशाल दरवाजा-हरे रंग की बेनी लाल रंग की चौखट खुशुबू बिखेरती हुई

रूह की नजर पूर्व की और गयीं -अलौकिक दृश्य --दो मंदिर के लंबी उत्तर से दक्षिण दरवाजा के मंदिर की पूर्व दीवार --एक बड़ी सोहनी मेहराब में नौ मेहराबों की जुगत




नौ मेहराबे 22  हाथ की चौड़ी और 22  हाथ की ऊंची --मध्य की तीन मेहराब की शोभा रूह पहले निरखती हैं --ठीक मध्य में ग्यारह हाथ का सुन्दर सा द्वार दिख रहा हैं और दोनों और नूरमयी जाली दरवाजों की शोभा हैं --रूह मध्य में आएं ग्यारह हाथ में दरवाजे में प्रवेश करती हैं तो सामने तीन नूरी सीढियां दिख रही हैं सीढियां चढ़कर रुह ऊपर पहुंची तो ठीक सामने फिर से दरवाजा नजर आता हैं यह दरवाजा रूह पार करती हैं तो रूह  खुद को 22  हाथ के लंबे ऊतर से दक्षिण ,और 11  हाथ के चौड़े चांदनी चौक की और चौड़े झरोखा में देखती हैं -झरोखा की चारों किनार पर थम्भ आएं हैं जो ग्यारह हाथ ऊपर झरोखे को नूरी छत प्रदान करते हैं -चांदनी चौक की और -ऊतर दक्षिण दिशा में खुली मेहराबे आयीं हैं इनमें कठेड़े की शोभा आयीं हैं -पश्चिम में अकशी मेहराब आयीं हैं जिनमें दरवाजा की शोभा आयीं हैं-यह वही दरवाजा हैं जिससे पार हो रूह झरोखा तक पहुंची हैं -यह झरोखा प्रथम भोम के नूरी दर्पण के दरवाजे पर जो बारह हाथ की मेहराब आयीं हैं उससे चार सीढ़ी ऊंचा सुशोभित हैं





यह तो रूह ने देखी मध्य की तीन मेहराब की शोभा -अब इन तीन मेहराबों के दोनों और तीन तीन मेहराब और आयीं हैं जिनके मध्य में दरवाजा की शोभा हैं-तो रूह इन दरवाजा तक जाती हैं -दरवाजा खुल गया -आगे हैं दो मंदिर का चौक एक भोम नीचे-तो कारीगरी देखिये धाम धनि की -दरवाजा हैं पर कहीं उन दरवाजा से निकल कर जा नहीं सकते क्योंकि आगे भोम भर नीचे चौक की सोभा हैं तो यहाँ दरवाजा खुलते ही आगे नूरी  कठेड़ा हैं तो रूह इन कठेड़े से झलूब कर दो मंदिर के चौक की शोभा देखती हैं तो कभी और आगे चांदनी चौक को निरखती हैं तो कभी दरवाजे के दोनों और आये चबूतरो की शोभा निरखती हैं -यही रूह ने देखा की पहली भोम में जो चार मंदिर के लंबे दो मंदिर के चौड़े चबूतरे आएं हैं उनके ठीक ऊपर दूसरी भोम में चार मंदिर के लंबे दो मंदिर के चौड़े झरोखा आएं हैं -यह मंदिरों से तीन सीढ़ी ऊंचे हैं तो इन मंदिरों का यही झरोखा हुआ
झरोखा की पूर्व  किनार पर आई खुली महेराबे ,उनके रंगों की अद्भुत झलकार रूह को प्यारी लग रहीं हैं | हीरा ,माणिक ,पुखराज ,पाच और नीलवी के थम्भों के बीच दो दो रंग की मेहराबे रूह एक तक निरख रहीं हैं |
रूह धाम की अलौकिक शोभा को फेर फेर निरखती हैं🌹🙏

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