सोमवार, 13 फ़रवरी 2017

dusri bhom ke das mandir ke hans ki aloukik shobha

प्रणाम जी 

अब सूरत वहां ले जाने का समय 

तो खुद को ,धाम की लाडली हूँ मैं ,उनकी दुल्हिन अंगना नार 
दिल में यह भाव दृढ कर खुद को महसूस करे दूसरी भोम के 28  थम्भ के चौक में 

और धाम की निस्बती रूह का मुख हो चांदनी चौक की और 


सबसे पहले शोभा नज़रों में आयीं 28  थम्भ के चौक की --नूर से झिलमिलाता धाम का नूरी चौक -नूर की बरखा में भीगती रूह ,उनके लाड़ में ,मेहर का रसास्वादन करती --


चौक को पार करके रूह एक नूरमयी गली में आती हैं --और गली पार करते ही रूह धाम दरवाजे के सम्मुख --नूरी दर्पण का बादशाही दरवाजा स्वतः ही खुल गया                   88  हाथ का नूरी दर्पण का अति सुन्दर शोभा से युक्त दरवाजा --दरवाजा पर नूरी नक्काशी से सजी मेहराब --                        
 रूह एक अजब शोभा महसूस करती हैं --28  थम्भ के चौक से जो उसे धाम दरवाजा प्रतीत हो रहा हैं वह तो अलग ही शोभा लिये हैं --एक सीढ़ी ऊंची चौखट जब रूह उलंघ कर दरवाजा पार करती हैं तो खुद को एक तरह से दरवाजे के भीतर महसूस करती हैं ऐसा विशाल हैं रूह का धाम दरवाजा                        

 इन  दरवाजा  के चार दिशा रूह को दिखाई दे रही हैं --पश्चिम ,पूर्व ,उत्तर दक्षिण --पश्चिम दिशा की शोभा देख रूह भीतर आयीं हैं (धाम दरवाजा के मंदिर के भीतर )--
पूर्व दिशा की शोभा रूह को नजर आती हैं एक बड़ी मेहराब में नव मेहराब
मध्य की तीन मेहराब रूह निरखती हैं --ठीक मध्य में मेहराब में एक द्वार नजर आ रहा हैं और दोनों और जाली द्वारों की अपार शोभा हैं --जालियों से नूर की बरखा ,खुशबु की तरंगें -




यह जाली द्वार के कुछ निशान इन जिमी में 👆👆👆👆

ये तो शोभा हुई मध्य की मेहराब के दोनों और आयीं जाली दरवाजों की 


अब रूह निहारती हैं मध्य की मेहराब की शोभा -इन मेहराब में एक सुन्दर सा छोटा दरवाजा रूह को आमन्त्रित कर रहा हैं आओ रूह                        



दरवाजा खुलते ही रूह भीतर जाती हैं तो देखती हैं दीवार की मोटाई में तीन अति सुन्दर शोभा लिये नूरी सीढियां
                        तीन सीढ़ियों को चढ़ कर ऊपर आती हैं तो उसे सामने एक दरवाजा नजर आता हैं --दरवाजा पार करते ही खुद को नूरी झरोखा में देखती हैं अति सुन्दर झरोखा
उत्तर से दक्षिण की और 22  हाथ का लंबा और चांदनी चौक की और 11  हाथ का आगे बढ़ा हुआ -चौक के चारों कोनों में थंभों की शोभा आयीं हैं -पूर्व की और (चांदनी चौक की और थम्भ खुले आये हैं )पश्चिम की और अकशी आएं हैं -पश्चिम के अकशी थम्भो की अकशी मेहराब में मध्य में दरवाजा जो रूह पार कर झरोखा पर आयी हैं ,दोनों और दीवार आयीं हैं                        
 पूर्व ,ऊतर दक्षिण में खुले थंभों की शोभा हैं और कठड़े की शोभा आयीं हैं                        
 मुकुट के सामान शोभायमान इन झरोखों में रूह धाम धनि संग खड़े हो चांदनी चौक ,वनों के नज़ारे देखती हैं --और दो मंदिर का चौक तो सामने हैं सुखद शोभा लिये
श्री राज जी की मेहेर से रूह ने देखी मध्य तीन की मेहराब की शोभा -अब कदम बढ़ते हैं दाएं बाएं आयीं तीन तीन मेहराब की और
इन तीन -तीन मेहराबों के मध्य दरवाजा आया हैं और दरवाजा के दायें बायें जालीदवार                        


 रूह दरवाजे की और जाती हैं दरवाजा खुल जाता हैं -और खुलते ही रूह क्या देखती हैं ?                        


दरवाजे के ठीक आगे नूरी कठेड़े की शोभा हैं क्योंकि आगे एक भोम नीचे दो मंदिर के चौक की शोभा हैं




 अजब दरवाजों के कुछ निशान ,उदहारण इन जिमी में -दरवाजा खुलते ही कठेड़े की शोभा 👆👆👆                        
 तो रूह ने देखी विशाल धाम दरवाजा की पूर्व पश्चिम  दिवार की शोभा --अब रूह बढ़ती हैं उत्तर की और -जैसे शोभा उत्तर की और है वैसे ही दक्षिण की और हैं --

उत्तर की और एक दरवाजा दिखाई दे रहा हैं जो पाखे की मंदिर में ले जाता हैं रूह को -रूह देखती हैं इन मंदिर की पूर्व दीवार में एक बड़ी मेहराब में नो मेहराबे हैं -मध्य में मेहराब मात्र हैं मेहराब के दोनों और जालीद्वार हैं -आओ दाएं बाएं की तीन तीन मेहराबों के मध्य दरवाजा हैं दायें बाये जालीद्वार हैं --माफक धाम दरवाजे की तरह -बस यहाँ में मध्य में झरोखा नहीं आया हैं क्यों ?                        
रूह दरवाजे के आगे आती हैं तो उसे तीन सीढियां मिलती हैं -सीढियां चढ़कर वह चार मंदिर के लंबे और दो मंदिर के चौड़े झरोखा में आ जाती हैं --धाम दरवाजे के दाएं बाएं  जो दस हान्स के चार चार मंदिर आएं हैं उनका यही झरोखा हुआ --यह झरोखा प्रथम भोम के चार मंदिर के लंबे और दो मंदिर के चौड़े चबूतरा के ठीक ऊपर शोभित है


         तो रूह की नजर से निरख मेरी रूह दूसरी भोम के दरवाजा की शोभा वास्ते आएं दस हान्स की शोभा 🙏👆👆👆👆              

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