बुधवार, 22 फ़रवरी 2017

bhulvni ke sukh

मेरा आइना खुद मेरे धनी है ।
मुझे खुद को निहारना होता है तो धनी के नेत्र रूपी आईने में निहारती हु ।
तब मेरा आइना मेरे धनी मुझसे कहते है आज बड़ी सुंदर लग रही हो मेरी सहजादी । मेरे दिल की रानी ।

मेरा शीश महल का एक एक आइना खुद धनी बनके खड़े है ।


भुल्वनि का यह पल दोसे एक होने का सबसे सुंदर पल है ।

जहा धनी के अंदर में समाई होती हूं ।


धनी के नैनो से सरकती हुई उनके दिल तक पहोचजाती हू और धनी के दिल में बिराजमान आप सभी सखियो के अर्श दिल को सजदा ।(pammy sakhi ke ahsas )

                      भुलवनी की सोभा को मेरी रूह अपने दिल में बसा कर अपने प्रियतम के पल पल बरसते सुखों को अपने नेत्रो से उस मनोहरी छवि की शोभा को निहार रही है । और धनि जी से कह रही है..
बहुत् खूबसूरत है आपके अहसास की खुशबू जितना भी सोचती हूं उतना ही महक जाती हूं ।
धनि जी नेत्रो की मूक भाषा पड़ लेते है और रीझ कर कहते है..

रूह को रूह से जुड़ने दो.....
इश्क़ की खुश्बू उड़ने दो ।

भुलवनी के इस पल में मै धनि जी के अंदर समाइ हुई अपने आप को पाती हूँ ।(manoj sakhi)

Safed rang ke nuri darpan ke bhulbhulavni mandir me sakhiao ki hasi ki kilkari sunte hi   un haasi ki kilkari me madhosh hote mere dhani aur us pal ko yad karane vali sakhiyon  ji ko 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻(krishna sakhi)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें