सोमवार, 5 जून 2017

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उत्तर से दक्षिण केल ,लिबोई,अनार ,अमृत ,जांबू ,नारंगी और बट वन आएँ हैं |बटघाट बनरोंस और पाल पर आए चबूतरे पर आया है जिसमे एक ही वृक्ष का मोहोल रूप में विस्तार हैं |
रंगमहल से जमुना जी तक आए इन बनो ने पुखराजी रोंस से मिलान किया हैं और पुखराजी रोंस ने पाल पर आए बड़ोबन के पेडो से मिलान किया हैं | बड़ोबन की जमुना जी तरफ वाली वृक्षों की हार ने छतरिमंडल बड़ा कर जल चबूतरे तक छाया की हैं |kunj nikunj
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एक बन 500 मंदिर का चौड़ा और 2000 मंदिर का लंबा हैं | दो नहरे खड़ी 2000 मंदिर की लंबी है और आड़ी 500 मंदिर की पाँच नहरे आने से एक बन मे 500-500 मंदिर के चार चौक आए हैं |हर चौक को घेर कर नहेरें आईं हैं और कोनो में चहेबच्चों की सुंदर शोभा आईं हैं |500 मंदिर के इन बगीचो मे 2-2 मंदिर की हद में वृक्ष आए हैं जिनकी डालियों ,फूलों और पत्तियों ने मिलकर एक चंद्रवा किया हैं | दूसरी भोंम मे पुनः तने उठ कर डालियां बड़ा कर दूसरा छतरिमंडल डालते हैं | वृक्षों के छतरिमंडल ने पहली भोंम मे झरोखो से मिलान किया हैं और दूसरी भोंम मे 33 हाथ के छज्जे से मिलान हुआ हैं |वृक्षों के मध्य तले में मोती सी निर्मल रेती आई हैं |
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श्री रंगमहल के सामने तीन बनो की शोभा आईं हैं |अनार ,अमृत और जांबू-मध्य आए अमृत बन के पश्चिम में तीसरे हिस्से मे 166 मंदिर का लंबा चौड़ा चाँदनी चौक आया हैं | चाँदनी चौक मे उज्ज्वल रेती बिछी हैं दाएँ बाए लाल हरे वृक्षों की शोभा हैं | मध्य में रंगमहल की सीढ़ियो के सामने से दो मंदिर की नूरी रोंस अमृत बन के मध्य से पाटघाट तक गयी हैं जिससे अमृत बन के आठ बगीचे हो गये है |slide4saat-van-1

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