शुक्रवार, 16 दिसंबर 2016

sou sidhiyaan bis chaande

सीढियां और चांदे

चांदनी चौक के मध्य भाग में पश्चिम तरफ भोम भर की सीढ़ी  रंगमहल के भोम भर ऊंचे चबूतरा पर चढ़ी हैं --सीढ़ियों का उतार चढ़ाव दो मंदिर का आया हैं अर्थात सीढ़ियों ने चांदनी चौक की जमीन से चबूतरा तक दो मंदिर की जगह घेरी हैं --
सर्वप्रथम देखते हैं पहली सीढ़ी--


उत्तर से दक्षिन दिशा में यह सीढियाँ दो मंदिर की लंबी आयीं हैं --चांदनी चौक से पहली सीढ़ी एक हाथ ऊंची और एक ही हाथ चौड़ी आयीं हैं --तो ऐसे पांच सीढ़ी देखी --पांचवी सीढ़ी के साथ ही 5 हाथ का चांदा  आया हैं --फिर छठीं ,सातवीं ,आठवीं , नवी और दसवीं सीढ़ी एक हाथ ऊंची और एक ही हाथ ऊंची आयीं हैं और लंबी तो उत्तर से दक्षिन दिशा में दो मंदिर की जगह लेकर आयीं हैं --अब देखते हैं दसवीं सीढ़ी के साथ ही पांच हाथ का चांदा शोभित हैं --पंद्रहवीं ,बीसवीं --इस तरह से क्रमशः चांदों की शोभा आयीं हैं

विशेष ध्यान देने योग्य बात यह हैं की पांचवीं सीढ़ी और चांदे की जमीन बराबर आयीं हैं लेकिन इनकी बनावट अलग अलग आयीं हैं तो अलग अलग बयान किया जा रहा है --
इस प्रकार से सौ सीढियां और बीस चांदा आएं हैं --इन सीढ़ियों और चाँदों  पर अति सुन्दर गिलम बिछी हैं ,गिलम कई प्रकार की नककसकारी ,चित्रामन सुसज्जित हैं -सीढ़ियों और चाँदों  के स्थान पर गिलम का रंग शोभा अलग आयीं हैं
                        परकोटा कांगरी

इन सभी सीढ़ियों तथा चाँदों के किनारे उत्तर दक्षिण  की दीवार पर  अति सुन्दर कांगरी की शोभा आयीं हैं --एक एक सीढ़ी पर कमर भर ऊंची और एक हाथ की लंबी दीवार आयीं हैं --और इन दीवार के ऊपर अति सुन्दर नंगों से जड़ित कांगरी आयीं हैं --इस प्रकार चाँदों पर भी कमर भर ऊंची दिवार आयीं हैं -और इन दिवार पर भी मनोहारी कांगरी आयीं हैं --यह पूर्व से पश्चिम चढ़ती हुई दिखाई देती हैं
अंत में बीसवें चांदे से एक सीढ़ी और चढ़के दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक में आएं है

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