सोमवार, 26 दिसंबर 2016

RANGMAHAL KE BAHIRI HAAR MANDIRO KI BAHIRI HAR DIWAR KI SHOBHA DEKHE

प्रणाम जी --रंगमहल की बाहिरी हार मंदिरों की बाहिरी दिवार की शोभा को देखने का प्रयास कर रहे हैं ---घेर कर आएं इन मंदिरों में एक मंदिर की बाहिरी दीवार जो वनों की तरफ आयीं हैं उसकी शोभा --

मंदिर 100  हाथ का चौड़ा और 100  हाथ का ही लंबा आया हैं --सबसे पहले देखे शोभा बड़ी अकशी मेहराब की--100  हाथ की दुरी पर दो थम्भ उठे जिन्होंने 44  हाथ सीधे ऊपर जाकर सुन्दर मेहराब डाली हैं --अति सुन्दर मेहराब की नोक  पर लाल माणिक के सूरज की तरह प्रकाशवान  नूरी फूल खिल रहे हैं और दो फूल मेहराब के दाएं बाएं हैं --

इन बड़ी मेहराब के भीतर पुनः तीन मेहराब आयीं हैं उनकी शोभा देखते हैं 

100 हाथ की दुरी पर दो थम्भ आएं हैं --इन दोनों थंभों के भीतर  33 -33  हाथ की दुरी पर दो थम्भ आएं हैं जो 22  हाथ के ऊंचे हैं इन पर 22  हाथ की ही सुन्दर मेहराब आयीं हैं  --इस तरह से बड़ी मेहराब के भीतर तीन मेहराब आयीं हैं जो कुल 44  हाथ की ऊंची हैं 

33 -33  हाथ की चौड़ी इन मेहराबों के भीतर पुनः 3 -3  तीन तीन मेहराबे आती हैं उनकी शोभा देखते हैं कैसे ?

33 -33  हाथ की दुरी पर जो तीन मेहराब हुई उनके मध्य 11  -11  हाथ की दुरी पर 11  हाथ के थम्भ उठे जिन पर 11 -11  हाथ की तीन मेहराब होती हैं --

तो इस तरह से एक नजर में देखे तो सबसे पहले मंदिर पर एक विशाल मेहराब सुशोभित हैं जिनकी नोक और दाएं बाएं लाल माणिक के फूल खिल रहे हैं और मेहराब के ऊपर बारह हाथ की जगह में सुन्दर चित्रकारी आयीं हैं --

अब इन मेहराब में तीन छोटी मेहराब आतीं हैं जिनकी नोक पर और दाएं बाएं लाल माणिक के फूल सुशोभित हैं --इन तीन मेहराबों में पुनः तीन तीन मेहराब आयीं हैं --अजब शोभा धाम की --

एक मंदिर -मंदिर की बाहिरी दीवार --इन एक ही दीवार पर तेरह अकशी मेहराब --

बड़ी मेहराब =1

बड़ी मेहराब में तीन =3

तीन में पुनः तीन 3+3+3+=9

कुल+13
बड़ी मेहराब के भीतर तीन मेहराब 


इन तीन तीन मेहराबों में तीन तीन मेहराब 

इनकी शोभा देखते हैं --मध्य की तीन मेहराब में देखे तो ठीक मध्य में झरोखा और दाएं बाएं जालियों के द्वार की अपार शोभा आयीं हैं --कुछ इस तरह के जालीद्वार

दायीं और बायीं और भी तीन तीन मेहराब आयीं हैं उनके मध्य में खुले बादशाही शोभा लिये द्वार की शोभा हैं --और दरवाजा के दोनों और रंगबिरंगीन किरणें बिखेरते जाली द्वार हैं




दरवाजा और उन पर सुन्दर मेहराबे --इन जहर जिमी में तो अर्श में कैसे ? विचार कर मेरी सखी 👆👆👆

अभी देखा की बड़ी मेहराब में तीन मेहराब आयीं हैं इन तीन के मध्य पुनः तीन तीन मेहराब आयीं हैं ठीक मध्य की मेहराब में झरोखा शोभित हैं 

अब यह झरोखा की शोभा कैसे हैं ❓

यह मध्य की मेहराब में किस जगह आया हैं❓

और धनि श्री राज श्यामा जी के संग इन झरोखों में बैठ वनों को निहारना हैं, उनमें खेलते पशु पक्षियों की लीला देखनी हैं तो इन झरोखों में आएंगे कैसे,क्या नूरी रास्ता होगा ❓
 मेरी सखी ,दीवार के ठीक मध्य जो 11  हाथ ऊंचे अकशी थंभों पर 11 हाथ की नूरी मेहराब आयीं हैं --इन मेहराब के ऊपर अर्थात 22  हाथ ऊपर झरोखा की शोभा आयीं हैं -

22  हाथ ऊपर शोभित इन मनोहारी ,अति सुन्दर झलकार करती मेहराब के ठीक ऊपर 11  हाथ लंबे  उत्तर से दक्षिण और पश्चिम  से पूर्व चांदनी चौक की और 5  हाथ चौड़ा झरोखा आया हैं --झरोखा की चारों किनार पर 5  हाथ ऊंचे थम्भ आएं हैं --पूर्व की और खुले थम्ब पर खुली मेहराब आयीं हैं ,उत्तर दक्षिण की और भी खुली मेहराब आयीं हैं --

लेकिन पश्चिम की और अकशी थंभों पर अकशी मेहराब आयीं हैं जिसके मध्य पांच हाथ का दरवाजा दाएं बाएं रत्नों से जड़ित अति सुंदर दीवार आयीं हैं --चांदनी चौक की हद में आने वाले झरोखों की पूर्व ,उत्तर दक्षिण मेहराबों में कठेड़े की शोभा आयीं हैं --शेष झरोखों में कठेड़ा नहीं आया हैं क्योंकि पूर्व में आएं वनों की वृक्षों की पहली हार की पहली भोम ने  22  हाथ ऊंचे आकर झरोखों से एक रूप मिलान किया हैं                        

अब इन झरोखे पर जाना हैं तो कैसे ❓

मेरी सखी ,इन मंदिर के भीतर चलों --और अपना मुख बाहिरी दीवार की और करों तो ठीक मध्य की मेहराब जिस पर झरोखा आया हैं --उस मध्य की मेहराब में 5  हाथ का लंबा चौड़ा सुन्दर सा दरवाजा दिखाई देगा

द्वार खुल गया --तो सखी इन दरवाजे से भीतर प्रवेश करे --भीतर गए तो अलौकिक शोभा --22  सीढियां गोलाई में चढ़ती हुई --दिखी
 सुन्दर द्वार --द्वार के दोनों और सुन्दर चेतन चित्रामन भीतर गए तो सीढियां की शोभा देखी --अति सुन्दर सीढियां --अलौकिक प्रकाश से जगमगाती हुई


गोलाई में ऊपर चढ़ती हुई --22  सीढियां फूलों की सुगंधि से महकाती हुई --इन सीढ़ियों से चढ़ मेरी सखी --अत्यंत नरम शिशियान --जैसे ही 22  सीढियां चढ़ कर ऊपर आये तो सामने एक सुन्दर सा द्वार फिर से दिखा --5  हाथ का द्वार जिसके दोनों औए तीन तीन हाथ की जगह में सुन्दर चित्रामन आया हैं
द्वार जैसे ही पार किया खुद को झरोखे में देखा --यह वही द्वार हैं जो झरोखे के पश्चिम की और अकशी मेहराब में आया हैं


झरोखा उत्तर से दक्षिण ग्यारह का हाथ का लंबा हैं और चांदनी चौक की और पांच हाथ चौड़ा हैं -चारों कोनों पर अति सुन्दर थम्भ जिनकी नूरी छत पांच हाथ ऊंची आयीं हैं --छत पर नूरी देहुरी कलश ध्वज की अपार शोभा आयीं हैं
यह देखिए --इस PICH  में मंदिर से बाहर की और निकल हुआ झरोखा --मेहराबे --पूर्व उत्तर दक्षिण में खुली मेहराब
झरोखा की पश्चिमी दीवार पर कुछ इस तरह का द्वार और दाये बाये दिवार पर चित्रामन 👆👆👆👆

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें