1⃣धाम की सौ सीढियां बीस चांदा रूह को कहाँ ले जाकर खड़ा करते हैं ❓
हे मेरी आत्मा ,खुद को चांदनी चौक में महसूस कर --चांदनी चौक की मध्य नुरभरी जगमगाती नंगन की दो मंदिर रोंस से धाम की और बढ़ --तेरे दाएं हाथ को लाल वृक्ष हैं और बायीं और हरा वृक्ष --सामने धाम की विशाल सीढियां -
मेरे निजघर की विशाल ,अति मनोहारी सीढियां और एक विशेष शोभा --प्रत्येक पांचवीं सीढ़ी चांदा रूप में आयीं हैं --नूरी ,पिया की आत्मास्वरूपा यह सीढियां मेरी आत्मा को दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक में पहुंचातीं हैं --
हे मेरी आत्मा ,खुद को चांदनी चौक में महसूस कर --चांदनी चौक की मध्य नुरभरी जगमगाती नंगन की दो मंदिर रोंस से धाम की और बढ़ --तेरे दाएं हाथ को लाल वृक्ष हैं और बायीं और हरा वृक्ष --सामने धाम की विशाल सीढियां -
मेरे निजघर की विशाल ,अति मनोहारी सीढियां और एक विशेष शोभा --प्रत्येक पांचवीं सीढ़ी चांदा रूप में आयीं हैं --नूरी ,पिया की आत्मास्वरूपा यह सीढियां मेरी आत्मा को दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक में पहुंचातीं हैं --
2⃣दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक के चारों कोनों में क्या शोभा आयीं हैं ❓
दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक की शोभा देख --चारों कोनों पर हीरा के अति उज्जवल ,नूरी ,सुखदायी झलकार करते
चौक की पश्चिम दिशा की दोनों किनारे पर हीरा के यह थम्भ अकशी आये हैं --दीवार पर चित्रामन के रूप में अद्भुत शोभा लिये --88 हाथ तक थम्भ सीधे गए हैं और 88 हाथ की सुंदर मेहराब नज़रों में आ रही हैं --इन मेहराब के ऊपर 24 हाथ में चित्रकारी आनी थी पर यह दीवार 104 हाथ की आयीं हैं
( इन्हीं चौक और दोनों और आएं चबूतरों पर दूसरी भोम में एक छत आती हैं वही तीजी भोम की पड़साल हैं --जो तीसरी भूमिका से तीन हाथ ऊंची शोभित हैं और एक हाथ की जगह तीसरी भोम का छज्जा जो यहाँ नहीं आया हैं तो )
जो चित्रकारी ,नक्काशी 24 हाथ में आनी थी 28 हाथ में आयीं हैं ---मोटे रूप से कह देते हैं कि चौक की छत दो भोम ऊंची हैं पर गहराई से देखे तो छत 204 हाथ ऊंची हैं
पूर्व दिशा में थंभों पर खुली मेहराब आयीं हैं
3⃣दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक की नूरी छत कितनी ऊंचाई पर आयीं हैं ❓
चौक की छत दो भोम ऊंची हैं पर गहराई से देखे तो छत 204 हाथ ऊंची हैं--
4⃣दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक की पूर्व दिशा की शोभा का वर्णन करें
हे मेरी आत्मा --चौक की पूर्व दिशा कि अलौकिक शोभा को अपने धाम ह्रदय में दृढ कर --चौक की पूर्व किनार पर हीरा की खुली अति सुंदर मेहराब --उतरती बादशाही सीढियां --चांदों की अपार शोभा --सीढ़ियों के दोनों किनारों पर उतरते फूलों से सुसज्जित ,कांगरी से सजे कठेड़े की मनोहारी शोभा दिखाई दे रही हैं --सीढियां चांदनी चौक में पहुंचाती हैं --आगे नज़रों में चांदनी चौक की शोभा आ रही हैं झलकारो झलकार --अद्भुत शोभा मेरे धाम की
5⃣दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक की पश्चिम दिशा में क्या शोभा आयीं हैं ❓
चौक के पश्चिम दिशा में दोनों किनारों पर हीरा के अकशी थंभों की शोभा आयीं हैं इन पर अकशी मेहराब --मेहराब के ऊपर सुंदर नक्काशी --मेहराब के कोण और दोनों और लाल माणिक के जगमगाते फूलों की शोभा --
इन सोहनी मेहराब में धाम दरवाजा की अपार शोभा झलक रही हैं
6⃣दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक की ऊतर दक्षिण की शोभा वर्णन करें ❓
एक ही पंक्ति में लिखे तो दो मंदिर के चौक की उत्तर दक्षिण दिशा में चौक के साथ लगते दो मंदिर के चौड़े और एक सीढ़ी ऊंचे चबूतरों की शोभा आयीं हैं
हे मेरी सखी ,खुद को दो मंदिर के चौक में खड़ा कर और पहले देख ऊतर दिशा में आएं चबूतरा की शोभा -चार मंदिर के लंबे और दो मंदिर के चौड़े चबूतरे को निरख --एक सीढ़ी ऊंचा चबूतरा --
दो मंदिर के चौक से चबूतरा पर आ मेरी सखी --पर कैसे मेरे श्री राज जी ?
तो देख मेरी सखी , चबूतरा की और मुख करते ही दो मंदिर के चौक की और आयीं चबूतरा की किनार के मध्य 50 हाथ से एक सीढ़ी चबूतरा पर ले जा रही हैं सीढ़ी के दोनों और 75 -75 हाथ की जगह में अति सुंदर स्वर्णिम कठेड़े की शोभा आयीं हैं --तो इन सीढ़ी से होकर दिल में धनि का मान ले चबूतरा पर आ जा मेरी सखी और देख चबूतरा की अपार शोभा --
नीचे सुन्दर अति कोमल गिलम बिछी हैं और गिलम पर नूरी सिंहासन कुर्सियों की अपार शोभा आयीं हैं और छत पर मोतियों की झलकार लिये सुंदर चंद्रवा सुशोभित हैं -
चबूतरा की पूर्व किनार पर दो मंदिर के चौक की तरफ से शोभा देखे तो हीरा ,माणिक ,पुखराज ,पाच और निलवी के थम्भ एक एक मंदिर की दुरी पर आएं हैं -
-(हीरा के थम्भ वहीँ है जो चौक में आये थे )--
थम्बो ने मेहराबे कर दूसरे थम्भ से मिलान किया हैं तो सुन्दर जुगत हुई हैं --दो दो रंगों की मेहराबे शोभित हैं --पांच थंभों के मध्य चार मेहराब हुई -- दो मंदिर के चौक की तरफ से देखे तो पहली मेहराब हीरा-माणिक रंग में है दूसरी माणिक और पुखराज नंग में शोभित हैं ,तीसरी पुखराज और पाच का संगम हैं और चौथी मेहराब पाच और निलवी नंग में सुखदायी झलकार कर रही हैं ---
थंभों के मध्य सुंदर कठेड़े की शोभा हैं क्योंकि मेरी सखी --आगे भोम भर नीचे चाँदनी चौक की शोभा हैं --
चबूतरा की पश्चिमी किनार मंदिरो से लगी हैं यहाँ भी पूर्व की भांति थंभों की शोभा हैं ..यहाँ पर यह थम्भ अकश मात्र हैं --चबूतरा एक सीढ़ी ऊंचा आया हैं तो एक सीढ़ी नीचे उतर कर मंदिरों में प्रवेश कर सकते है --
चबूतरा की बाहिरी किनार पर नीलवी की मेहराब आयी हैं --दो मंदिर की चौड़ी किनार है जिसमें चांदनी चौक की और से एक मंदिर में कठेड़ा आया हैं आगे 33 हाथ से धाम रोंस पर सीढ़ी उतरी हैं --और सीढ़ी के आगे 66 हाथ ही जगह गुर्ज की शोभा हैं
इसी तरह से दक्षिण दिशा की शोभा जानना मेरी सखी
चबूतरा की दो भोम आयीं हैं दूसरी भोम में यह झरोखा हुआ
दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक के उत्तर दक्षिण में चबूतरों की शोभा आयीं हैं उनकी ऊंचाई कितनी हैं
उत्तर/दक्षिण दिशा के चबूतरो की पूर्व किनार पर क्या शोभा आयीं हैं
चबूतरो की पश्चिम दिशा में किनार पर क्या शोभा आयीं हैं
दो मंदिर के चौक से अगर उत्तर या दक्षिण दिशा में आएं चबूतरा पर जाना हैं तो कैसे जायेंगे
इन प्रश्नों का उत्तर भी इसमें शामिल हैं
7⃣धाम दरवाजा की शोभा प्रथम भोम में कैसे आयीं हैं ❓
8⃣दर्पण रंग के झिलमिलाते धाम द्वार के ऊपर कैसे शोभा आयीं हैं ❓
मेरी सखी ,सौ सीढियां बीस चांदों सहित पार कर जब दो मंदिर के चौक में आते हैं तो सामने दो मंदिर की शोभा लिये धाम दरवाजा की अपार शोभा हैं --पहली भोम में नजर की तो 88 हाथ का दर्पण का नूरी किवाड़ हैं --हरे रंग की बेनी और लाल रंग की एक सीढ़ी ऊंची चौखट आयीं हैं --इन्हीं चौखट पर द्वार की शोभा हैं ---दरवाजे के ऊपर बारह हाथ की नूरी मेहराब शोभित हैं --और दरवाजा के दोनों और 56 -56 हाथ की लाल मणियों जड़ित सुन्दर चित्रामन से सजी नूरमयी दीवार आयीं हैं --
यह शोभा तो हुई धाम दरवाजे के प्रथम भोम की शोभा --अब देखते हैं रूह की नजर से --
धाम दरवाजे के ऊपर आयी बारह हाथ की जो मेहराब आयीं हैं उसके कोण पर और दोनों और लाल माणिक के फूलों की शोभा हैं --इन मेहराब के ठीक ऊपर तीन हाथ ऊंचा एक झरोखा आया हैं --
दूजी भोम में एक बड़ी मेहराब में नव मेहराबे आयीं हैं --जिनकी शोभा 3+3+3=9 ---तो इस तरह से ह्रदय में बसाते हैं शोभा
जो ठीक मध्य की तीन मेहराब हैं उनमे मध्य की मेहराब में झरोखा आया हैं और दाएं बाएं की मेहराब में नंगों की चित्रामन से युक्त सुन्दर जाली द्वार आयें हैं
जो दाएं बाएं की तीन तीन मेहराब आयीं हैं --उनके मध्य में दरवाजा आया हैं और दोनों और की मेहराबों में जाली द्वार हैं -यह हुई धाम दरवाजा की दो भोम की मनोहारी शोभा
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