रविवार, 18 दिसंबर 2016

धाम दरवाजे तक पहुंचना हैं तो कैसे पहुंचे ❓



1⃣श्री रंगमहल का दरवाजा ज़मीन से कितना ऊंचा हैं ❓

परमधाम की जमीन से एक भोम ऊंचे चबूतरे पर रंगमहल सुशोभित हैं जिसका धाम दरवाजा पूर्व दिशा में सुखदायी झलकार कर रहा हैं

 2⃣सौ सीढ़ी बीस चांदे चांदनी चौक की किस दिशा में आएं हैं ❓

तो सखी ,चांदनी चौक में चलते हैं --ठीक मध्य में नगन जड़ित रोंस से होते हुए चांदनी चौक की पश्चिम दिशा की और चलते हैं --देखिए यह रोंस सीढ़ियों तक गयीं हैं --आगें धाम की सीढियां 

 3⃣चांदनी चौक की जमीन से लेकर रंगमहल के चबूतरे का तक सीढ़ियों का विस्तार ,उतार चढ़ाव कितना हैं ❓

चांदनी चौक की जमीन से सीढियां धाम के भोम भर ऊंचे चबूतरा तक गयी हैं -यह उतार चढ़ाव दो मंदिर का आया हैं 


 4⃣सीढ़ियों की लंबाई ,चौड़ाई और ऊंचाई कितनी हैं ❓

उत्तर से दक्षिन दिशा में यह सीढियाँ दो मंदिर की लंबी आयीं हैं --चांदनी चौक से पहली सीढ़ी एक हाथ ऊंची और एक ही हाथ चौड़ी आयीं हैं --तो ऐसे पांच सीढ़ी देखी --पांचवी सीढ़ी के साथ ही 5 हाथ का चांदा  आया हैं --फिर छठीं ,सातवीं ,आठवीं , नवी और दसवीं सीढ़ी एक हाथ ऊंची और एक ही हाथ ऊंची आयीं हैं और लंबी तो उत्तर से दक्षिन दिशा में दो मंदिर की जगह लेकर आयीं हैं --अब देखते हैं दसवीं सीढ़ी के साथ ही पांच हाथ का चांदा शोभित हैं --पंद्रहवीं ,बीसवीं --इस तरह से क्रमशः चांदों की शोभा आयीं हैं 


 5⃣चांदा की शोभा किस प्रकार आयीं हैं  ❓

पांचवी सीढ़ी जो एक हाथ की चौड़ाई लिये आये हैं उसके आगे ही पांच हाथ के चांदा की शोभा आयीं हैं --सीढ़ी और चांदा एक ही लेवल में आएं हैं --पर अद्भुत शोभा तो देखे कि सीढ़ियों पर और चांदा पर भिन्न भिन्न शोभा ,रंग लिये गिलम आयीं हैं तो पांचवीं सीढ़ी जो छह हाथ कि आयीं हैं उनमें सीढ़ी कि शोभा शेष सीढ़ियों के सामान दृष्टिगोचर होती हैं और चांदा की शोभा जुदी दिखाई देती हैं रूहों को ---

 6⃣सीढ़ियों के दोनों किनारों पर कैसे शोभा आयीं हैं विस्तार से कहे ❓

सीढ़ियों के दोनों किनारों पर कठेड़े की शोभा आयीं हैं --प्रत्येक सीढ़ी पर कमर भर ऊंचा कठेड़ा आया हैं और इसी प्रकार चांदों पर भी कमर भर ऊंचा कठेड़ा आया हैं --पूर्व से पश्चिम --अर्थात चांदनी चौक की तरफ से धाम की और कठेड़ा भी चढ़ता हुआ प्रतीत होता हैं --कठेड़े पर अति सुंदर कांगरी सुखदायी झलकार कर रही हैं --कठेडा में अद्भुत चित्रामन आया हैं इन  चित्रामन के सजीव पशु पक्षी मानो मेरे साथ साथ  चढ़ रहे हैं ..पिऊ पिऊ ,तूही तूही की गूंजार --चंहु और 

7⃣निजघर की सौ सीढ़ी बीस चांदे कहा ले जाकर खड़ा करते हैं ❓

100  सीढियां 20  चांदों सहित पर कर धाम दरवाजा के सम्मुख पहुँचते हैं 


8⃣धाम दरवाजे तक पहुंचना हैं तो कैसे पहुंचे ❓

इस प्रश्न का उत्तर विस्तार ---चितवन रूप में 

मेरी रूह तू  चल अपने निजघर

श्रीराज श्यामा जी चरणों में नमन करती मेरी रूह तारतम का मौन जप कर रही हैं | श्री राज जी की मेहर इलम  से मेरी रूह पहुँची --
चाँदनी चौक -रंगमहल के सामने 

मेरी रूह देखती हैं चाँदनी चौक की शोभा 

अमृत वन के तीसरे हिस्से में आया विशाल चाँदनी चौक 

जिसकी पूर्व दिशा में नौ भोंम दसवी आकाशी का रंगमहल सुशोभित हैं 

और तीन दिशा में अमृत वन के वृक्षों की महेराबे  --
और उनमें से झलकते अमृत वन की मनोहारी शोभा दिख रही हैं 

नीचे हीरे ,मोती ,माणिक की तरह बिखरी रेती --अत्यंत ही कोमल --और तेज तो इतना की आसमान तक झलकार कर रहा हैं 
अहो ! नीचे रेती का नूर ,सामने से आता रंगमहल की नूरी जोत और वनो की जोत आपस में टकरा कर सुखदायी प्रतीत हो रही हैं 

चाँदनी चौक के मध्य में नूरी नंगों की रोंस जो पाट घाट से सीधा अमृत वन से होती हुई चाँदनी चौक में होती हुई  रंगमहल की सीढ़ियों तक ले जा रही हैं 

दाईं और देखती हूँ तो कमर भर ऊँचे चबूतरे पर नूरी वृक्ष --दो भोंम की शोभा लिए 
बाईं और ऐसे ही शोभित हरा वृक्ष 

मैं बाईं और जा  रही हूँ --नूर रेती ,कोमल इतनी की मेरे पाँव घुटनों तक धँस रहे हैं ..वो भी पिऊ की आशिक चेतन हैं जो मेरी रूह से बाते करती हैं --रेती का एक एक कण में पिया का अक्श नज़र आया 

मेरी रूह चबूतरे की किनार पर पहुँची 
सुंदर सीढ़ियाँ 
मैं तीन सीढ़ियाँ चढ़ रही हूँ ..
चबूतरे पर पहुँची --नीचे अत्यंत ही कोमल पशमी गिलम

फूल ही फूल बिछे हुए --ठीक मध्य में एक मंदिर का तना
जिसने कुछ इस तरह से अपनी डालियां बढ़ाई कि  उनकी छाया चबूतरे तक ही रहती हैं शीतल छाया --मेरे लिए सुंदर कुर्सियाँ हाजिर --मैं बड़ी ही अदा से विराजमान हुई --अरे साथ मैं आप सब प्यारी सखियाँ भी तो हैं कितने नूरी स्वरूप हैं मेरी सखियों के --
तने में सामने सीढ़ियाँ ..हम ऊपर जा रहे हैं 

वृक्ष की दूजी भोंम--नीचे भी फूलों का फर्श और ऊपर भी फूलों का छतरिमंडल--
फूलों के ही सिंहासन ,सेज्या ,
वृक्ष की तीसरी चाँदनी पर अति सुंदर फूलों का गुमत ,कलश और ध्वजा 
दाई और भी ऐसे ही अत्यंत की मनमोहक शोभा 

अब मेरे श्री राज जी हमे सीढ़ियों की और बुला रहे हैं 
हम वहाँ पहुँचे ..सामने सीढ़ियाँ ,,,हम पहली सीढ़ी चढ़ रहे हैं ,दूसरी --तीसरी --चौथी --और जैसे पाँचवीं सीढ़ी पर आए तो देखी एक प्यारी सी शोभा 
पाँचवीं सीढ़ी के साथ ही पाँच हाथ के चान्दा की शोभा --
दसवी ,पंद्रहवी सीढ़ी पर भी ऐसे ही शोभा --इस तरह से सौ सीढ़ियाँ बीस चाँदों सहित पार कर रही हूँ ...दाएँ बाएँ स्वर्णिम कठेड़े --उनमें आएँ चित्रामन के सजीव पशु पक्षी मानो मेरे साथ साथ  चढ़ रहे हैं ..पिऊ पिऊ ,तूही तूही की गूंजार 

मैं धाम द्वार के सम्मुख पहुँची ---सामने मेरे धाम का द्वार --बादशाही शोभा लिए🙏🏾🙏🏾

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