शुक्रवार, 30 दिसंबर 2016

MANDIRON KI BAHIRI DIWAR KI SHOBHA


1⃣मंदिर की लंबाई चौड़ाई कितनी आयीं हैं ❓

हे  मेरी  रूह ,रंगमहल को घेर कर 6000  मंदिरों की दो हारें आयीं हैं यह मंदिर 100 हाथ  के लंबे चौड़े हैं और 100  हाथ ही ऊंचे हैं 

एक मंदिर = 100 हाथ 
एक हाथ =एक कोस                        

 2⃣बाहिरी हार मंदिरों की वनों की और आयीं दीवार में तेरह मेहराब आयीं हैं वह किस प्रकार से शोभित हैं वर्णन करें ?❓

हे मेरी रूह ,भोम भर ऊंचे चबूतरे पर आ ,धाम दरवाजा के दस मंदिर के हान्स की शोभा देखकर बाकि हांसों  में घेरकर आएं मंदिरों की शोभा को देख --इन मंदिरों की बाहिरि दिवार की अलौकिक शोभा आयीं हैं -

सबसे पहले देखे शोभा बड़ी अकशी मेहराब की--100  हाथ की दुरी पर दो थम्भ उठे जिन्होंने 44  हाथ सीधे ऊपर जाकर सुन्दर मेहराब डाली हैं --अति सुन्दर मेहराब की नोक  पर लाल माणिक के सूरज की तरह प्रकाशवान  नूरी फूल खिल रहे हैं और दो फूल मेहराब के दाएं बाएं हैं --

इन बड़ी मेहराब के भीतर पुनः तीन मेहराब आयीं हैं उनकी शोभा देखते हैं 

100 हाथ की दुरी पर दो थम्भ आएं हैं --इन दोनों थंभों के भीतर  33 -33  हाथ की दुरी पर दो थम्भ आएं हैं जो 22  हाथ के ऊंचे हैं इन पर 22  हाथ की ही सुन्दर मेहराब आयीं हैं  --इस तरह से बड़ी मेहराब के भीतर तीन मेहराब आयीं हैं जो कुल 44  हाथ की ऊंची हैं 

33 -33  हाथ की चौड़ी इन मेहराबों के भीतर पुनः 3 -3  तीन तीन मेहराबे आती हैं उनकी शोभा देखते हैं कैसे ?

33 -33  हाथ की दुरी पर जो तीन मेहराब हुई उनके मध्य 11  -11  हाथ की दुरी पर 11  हाथ के थम्भ उठे जिन पर 11 -11  हाथ की तीन मेहराब होती हैं --

तो इस तरह से एक नजर में देखे तो सबसे पहले मंदिर पर एक विशाल मेहराब सुशोभित हैं जिनकी नोक और दाएं बाएं लाल माणिक के फूल खिल रहे हैं और मेहराब के ऊपर बारह हाथ की जगह में सुन्दर चित्रकारी आयीं हैं --

अब इन मेहराब में तीन छोटी मेहराब आतीं हैं जिनकी नोक पर और दाएं बाएं लाल माणिक के फूल सुशोभित हैं --इन तीन मेहराबों में पुनः तीन तीन मेहराब आयीं हैं --अजब शोभा धाम की --

एक मंदिर -मंदिर की बाहिरी दीवार --इन एक ही दीवार पर तेरह अकशी मेहराब --

बड़ी मेहराब =1

बड़ी मेहराब में तीन =3

तीन में पुनः तीन 3+3+3+=9

कुल+13   

                                             
 3⃣इन दीवार में खुली मेहराबें या दरवाजा कितने आएं हैं ❓

बड़ी मेहराब के भीतर तीन मेहराब 

इन तीन तीन मेहराबों में तीन तीन मेहराब 

इनकी शोभा देखते हैं

दायीं और बायीं जो  भी तीन तीन मेहराब आयीं हैं उनके मध्य में खुले बादशाही शोभा लिये द्वार की शोभा हैं --और दरवाजा के दोनों और रंगबिरंगी किरणें बिखेरते जाली द्वार हैं

एक पंक्ति में उत्तर होगा --दो दरवाजे    


                   

 4⃣झरोखा की शोभा किस स्थान पर और कितनी ऊंचाई पर आयीं हैं ❓

बड़ी मेहराब के भीतर तीन मेहराब 

इन तीन तीन मेहराबों में तीन तीन मेहराब 

---मध्य की तीन मेहराब में देखे तो ठीक मध्य में झरोखा की झरोखा की अपार शोभा आयीं हैं 

मेरी सखी ,दीवार के ठीक मध्य जो 11  हाथ ऊंचे अकशी थंभों पर 11 हाथ की नूरी मेहराब आयीं हैं --इन मेहराब के ऊपर अर्थात 22  हाथ ऊपर झरोखा की शोभा आयीं हैं -       

 5⃣झरोखा की लंबाई चौड़ाई कितनी हैं ?❓ 


22  हाथ ऊपर शोभित इन मनोहारी ,अति सुन्दर झलकार करती मेहराब के ठीक ऊपर 11  हाथ लंबे  उत्तर से दक्षिण और पश्चिम  से पूर्व चांदनी चौक की और 5  हाथ चौड़ा झरोखा आया हैं --      
                  मध्य की मेहराब के ऊपर २२ हाथ ऊंचा ग्यारह हाथ उत्तर से दक्षिण और पांच हाथ पूर्व की चांदनी चौक की और आया मनोहारी झरोखा का निशान↑↑

सोमवार, 26 दिसंबर 2016

RANGMAHAL KE BAHIRI HAAR MANDIRO KI BAHIRI HAR DIWAR KI SHOBHA DEKHE

प्रणाम जी --रंगमहल की बाहिरी हार मंदिरों की बाहिरी दिवार की शोभा को देखने का प्रयास कर रहे हैं ---घेर कर आएं इन मंदिरों में एक मंदिर की बाहिरी दीवार जो वनों की तरफ आयीं हैं उसकी शोभा --

मंदिर 100  हाथ का चौड़ा और 100  हाथ का ही लंबा आया हैं --सबसे पहले देखे शोभा बड़ी अकशी मेहराब की--100  हाथ की दुरी पर दो थम्भ उठे जिन्होंने 44  हाथ सीधे ऊपर जाकर सुन्दर मेहराब डाली हैं --अति सुन्दर मेहराब की नोक  पर लाल माणिक के सूरज की तरह प्रकाशवान  नूरी फूल खिल रहे हैं और दो फूल मेहराब के दाएं बाएं हैं --

इन बड़ी मेहराब के भीतर पुनः तीन मेहराब आयीं हैं उनकी शोभा देखते हैं 

100 हाथ की दुरी पर दो थम्भ आएं हैं --इन दोनों थंभों के भीतर  33 -33  हाथ की दुरी पर दो थम्भ आएं हैं जो 22  हाथ के ऊंचे हैं इन पर 22  हाथ की ही सुन्दर मेहराब आयीं हैं  --इस तरह से बड़ी मेहराब के भीतर तीन मेहराब आयीं हैं जो कुल 44  हाथ की ऊंची हैं 

33 -33  हाथ की चौड़ी इन मेहराबों के भीतर पुनः 3 -3  तीन तीन मेहराबे आती हैं उनकी शोभा देखते हैं कैसे ?

33 -33  हाथ की दुरी पर जो तीन मेहराब हुई उनके मध्य 11  -11  हाथ की दुरी पर 11  हाथ के थम्भ उठे जिन पर 11 -11  हाथ की तीन मेहराब होती हैं --

तो इस तरह से एक नजर में देखे तो सबसे पहले मंदिर पर एक विशाल मेहराब सुशोभित हैं जिनकी नोक और दाएं बाएं लाल माणिक के फूल खिल रहे हैं और मेहराब के ऊपर बारह हाथ की जगह में सुन्दर चित्रकारी आयीं हैं --

अब इन मेहराब में तीन छोटी मेहराब आतीं हैं जिनकी नोक पर और दाएं बाएं लाल माणिक के फूल सुशोभित हैं --इन तीन मेहराबों में पुनः तीन तीन मेहराब आयीं हैं --अजब शोभा धाम की --

एक मंदिर -मंदिर की बाहिरी दीवार --इन एक ही दीवार पर तेरह अकशी मेहराब --

बड़ी मेहराब =1

बड़ी मेहराब में तीन =3

तीन में पुनः तीन 3+3+3+=9

कुल+13
बड़ी मेहराब के भीतर तीन मेहराब 


इन तीन तीन मेहराबों में तीन तीन मेहराब 

इनकी शोभा देखते हैं --मध्य की तीन मेहराब में देखे तो ठीक मध्य में झरोखा और दाएं बाएं जालियों के द्वार की अपार शोभा आयीं हैं --कुछ इस तरह के जालीद्वार

दायीं और बायीं और भी तीन तीन मेहराब आयीं हैं उनके मध्य में खुले बादशाही शोभा लिये द्वार की शोभा हैं --और दरवाजा के दोनों और रंगबिरंगीन किरणें बिखेरते जाली द्वार हैं




दरवाजा और उन पर सुन्दर मेहराबे --इन जहर जिमी में तो अर्श में कैसे ? विचार कर मेरी सखी 👆👆👆

अभी देखा की बड़ी मेहराब में तीन मेहराब आयीं हैं इन तीन के मध्य पुनः तीन तीन मेहराब आयीं हैं ठीक मध्य की मेहराब में झरोखा शोभित हैं 

अब यह झरोखा की शोभा कैसे हैं ❓

यह मध्य की मेहराब में किस जगह आया हैं❓

और धनि श्री राज श्यामा जी के संग इन झरोखों में बैठ वनों को निहारना हैं, उनमें खेलते पशु पक्षियों की लीला देखनी हैं तो इन झरोखों में आएंगे कैसे,क्या नूरी रास्ता होगा ❓
 मेरी सखी ,दीवार के ठीक मध्य जो 11  हाथ ऊंचे अकशी थंभों पर 11 हाथ की नूरी मेहराब आयीं हैं --इन मेहराब के ऊपर अर्थात 22  हाथ ऊपर झरोखा की शोभा आयीं हैं -

22  हाथ ऊपर शोभित इन मनोहारी ,अति सुन्दर झलकार करती मेहराब के ठीक ऊपर 11  हाथ लंबे  उत्तर से दक्षिण और पश्चिम  से पूर्व चांदनी चौक की और 5  हाथ चौड़ा झरोखा आया हैं --झरोखा की चारों किनार पर 5  हाथ ऊंचे थम्भ आएं हैं --पूर्व की और खुले थम्ब पर खुली मेहराब आयीं हैं ,उत्तर दक्षिण की और भी खुली मेहराब आयीं हैं --

लेकिन पश्चिम की और अकशी थंभों पर अकशी मेहराब आयीं हैं जिसके मध्य पांच हाथ का दरवाजा दाएं बाएं रत्नों से जड़ित अति सुंदर दीवार आयीं हैं --चांदनी चौक की हद में आने वाले झरोखों की पूर्व ,उत्तर दक्षिण मेहराबों में कठेड़े की शोभा आयीं हैं --शेष झरोखों में कठेड़ा नहीं आया हैं क्योंकि पूर्व में आएं वनों की वृक्षों की पहली हार की पहली भोम ने  22  हाथ ऊंचे आकर झरोखों से एक रूप मिलान किया हैं                        

अब इन झरोखे पर जाना हैं तो कैसे ❓

मेरी सखी ,इन मंदिर के भीतर चलों --और अपना मुख बाहिरी दीवार की और करों तो ठीक मध्य की मेहराब जिस पर झरोखा आया हैं --उस मध्य की मेहराब में 5  हाथ का लंबा चौड़ा सुन्दर सा दरवाजा दिखाई देगा

द्वार खुल गया --तो सखी इन दरवाजे से भीतर प्रवेश करे --भीतर गए तो अलौकिक शोभा --22  सीढियां गोलाई में चढ़ती हुई --दिखी
 सुन्दर द्वार --द्वार के दोनों और सुन्दर चेतन चित्रामन भीतर गए तो सीढियां की शोभा देखी --अति सुन्दर सीढियां --अलौकिक प्रकाश से जगमगाती हुई


गोलाई में ऊपर चढ़ती हुई --22  सीढियां फूलों की सुगंधि से महकाती हुई --इन सीढ़ियों से चढ़ मेरी सखी --अत्यंत नरम शिशियान --जैसे ही 22  सीढियां चढ़ कर ऊपर आये तो सामने एक सुन्दर सा द्वार फिर से दिखा --5  हाथ का द्वार जिसके दोनों औए तीन तीन हाथ की जगह में सुन्दर चित्रामन आया हैं
द्वार जैसे ही पार किया खुद को झरोखे में देखा --यह वही द्वार हैं जो झरोखे के पश्चिम की और अकशी मेहराब में आया हैं


झरोखा उत्तर से दक्षिण ग्यारह का हाथ का लंबा हैं और चांदनी चौक की और पांच हाथ चौड़ा हैं -चारों कोनों पर अति सुन्दर थम्भ जिनकी नूरी छत पांच हाथ ऊंची आयीं हैं --छत पर नूरी देहुरी कलश ध्वज की अपार शोभा आयीं हैं
यह देखिए --इस PICH  में मंदिर से बाहर की और निकल हुआ झरोखा --मेहराबे --पूर्व उत्तर दक्षिण में खुली मेहराब
झरोखा की पश्चिमी दीवार पर कुछ इस तरह का द्वार और दाये बाये दिवार पर चित्रामन 👆👆👆👆

शनिवार, 24 दिसंबर 2016

dham dwar ke sammukh

 1⃣धाम  की सौ सीढियां बीस चांदा रूह को कहाँ ले जाकर खड़ा करते हैं ❓    

हे मेरी आत्मा ,खुद को चांदनी चौक में महसूस  कर --चांदनी चौक की मध्य नुरभरी जगमगाती नंगन की दो मंदिर रोंस से धाम की और बढ़ --तेरे दाएं हाथ को लाल वृक्ष हैं और बायीं और हरा वृक्ष --सामने धाम की विशाल सीढियां -
मेरे निजघर की विशाल ,अति मनोहारी सीढियां और एक विशेष शोभा --प्रत्येक पांचवीं सीढ़ी चांदा रूप में आयीं हैं --नूरी ,पिया की आत्मास्वरूपा यह सीढियां मेरी आत्मा को दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक में पहुंचातीं हैं --
 2⃣दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक के चारों कोनों में क्या शोभा आयीं हैं ❓  

दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक की शोभा देख --चारों कोनों पर हीरा के अति उज्जवल ,नूरी ,सुखदायी झलकार करते 

चौक की पश्चिम दिशा  की दोनों किनारे पर हीरा के यह थम्भ अकशी आये हैं --दीवार पर चित्रामन के रूप में अद्भुत शोभा लिये --88  हाथ तक थम्भ सीधे गए हैं और 88  हाथ की सुंदर मेहराब नज़रों में आ रही हैं --इन मेहराब के ऊपर 24  हाथ में चित्रकारी आनी  थी पर यह दीवार 104  हाथ की आयीं हैं 

( इन्हीं चौक और दोनों और आएं चबूतरों पर दूसरी भोम में एक छत आती हैं वही तीजी भोम की पड़साल हैं --जो तीसरी भूमिका से तीन हाथ ऊंची शोभित हैं और एक हाथ की जगह तीसरी भोम का छज्जा जो यहाँ नहीं आया हैं तो )

जो चित्रकारी ,नक्काशी 24  हाथ में आनी थी 28  हाथ में आयीं हैं ---मोटे रूप से कह देते हैं कि चौक की छत दो भोम ऊंची हैं पर गहराई से देखे तो छत 204  हाथ ऊंची हैं 

पूर्व दिशा में थंभों पर खुली मेहराब आयीं हैं     

                   
 3⃣दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक की नूरी छत कितनी ऊंचाई पर आयीं हैं ❓ 

चौक की छत दो भोम ऊंची हैं पर गहराई से देखे तो छत 204  हाथ ऊंची हैं--                        


4⃣दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक की पूर्व दिशा की शोभा का वर्णन करें 

हे मेरी आत्मा --चौक की पूर्व दिशा कि अलौकिक शोभा को अपने धाम ह्रदय में दृढ कर --चौक की पूर्व किनार पर हीरा की खुली अति सुंदर मेहराब --उतरती बादशाही सीढियां --चांदों की अपार शोभा --सीढ़ियों के दोनों किनारों पर उतरते फूलों से सुसज्जित ,कांगरी से सजे कठेड़े की मनोहारी शोभा दिखाई दे रही हैं --सीढियां चांदनी चौक में पहुंचाती हैं --आगे नज़रों में चांदनी चौक की शोभा आ रही हैं झलकारो झलकार --अद्भुत शोभा मेरे धाम की
5⃣दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक की पश्चिम दिशा में क्या शोभा आयीं  हैं ❓ 

चौक के पश्चिम दिशा में दोनों किनारों पर हीरा के अकशी थंभों की शोभा आयीं हैं इन पर अकशी मेहराब --मेहराब के ऊपर सुंदर नक्काशी --मेहराब के कोण और दोनों और लाल माणिक के जगमगाते  फूलों की शोभा --

इन सोहनी  मेहराब में धाम दरवाजा की अपार शोभा झलक रही हैं


 6⃣दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक की ऊतर दक्षिण की शोभा वर्णन करें ❓      


एक ही पंक्ति में लिखे तो दो मंदिर के चौक की उत्तर दक्षिण दिशा में चौक के साथ लगते दो मंदिर के चौड़े और एक सीढ़ी ऊंचे चबूतरों की शोभा आयीं हैं

हे मेरी सखी  ,खुद को दो मंदिर के चौक में खड़ा कर और पहले देख ऊतर दिशा में आएं चबूतरा की शोभा -चार मंदिर के लंबे और दो मंदिर के चौड़े चबूतरे को निरख --एक सीढ़ी ऊंचा चबूतरा --

दो मंदिर के चौक से चबूतरा पर आ मेरी सखी --पर कैसे मेरे श्री राज जी ?

तो देख मेरी सखी , चबूतरा की और मुख करते ही दो मंदिर के चौक की और आयीं चबूतरा की किनार के मध्य 50  हाथ से एक सीढ़ी चबूतरा पर ले जा रही हैं सीढ़ी के दोनों और 75 -75  हाथ की जगह में अति सुंदर स्वर्णिम कठेड़े की शोभा आयीं हैं --तो इन सीढ़ी से होकर दिल में धनि का मान ले चबूतरा पर आ जा मेरी सखी और देख चबूतरा की अपार शोभा --

नीचे सुन्दर अति कोमल गिलम बिछी हैं और गिलम पर नूरी सिंहासन कुर्सियों की अपार शोभा आयीं हैं और छत पर मोतियों की झलकार लिये सुंदर चंद्रवा सुशोभित हैं -

चबूतरा की पूर्व किनार पर दो मंदिर के चौक की तरफ  से शोभा देखे तो हीरा ,माणिक ,पुखराज ,पाच और निलवी के थम्भ एक एक मंदिर की दुरी पर आएं हैं -

-(हीरा के थम्भ वहीँ है जो चौक में आये थे )--

थम्बो ने मेहराबे कर दूसरे थम्भ से मिलान किया हैं तो सुन्दर जुगत हुई हैं --दो दो रंगों की मेहराबे शोभित हैं --पांच थंभों के मध्य चार मेहराब हुई -- दो मंदिर के चौक की तरफ से देखे तो पहली मेहराब हीरा-माणिक रंग में है दूसरी माणिक और पुखराज नंग में शोभित हैं ,तीसरी पुखराज और पाच का संगम हैं और चौथी मेहराब पाच और निलवी नंग में सुखदायी झलकार कर रही हैं  ---

थंभों के मध्य सुंदर कठेड़े की शोभा हैं क्योंकि मेरी सखी --आगे भोम भर नीचे चाँदनी चौक की शोभा हैं --

चबूतरा की पश्चिमी किनार मंदिरो से लगी हैं यहाँ भी पूर्व की भांति थंभों की शोभा हैं ..यहाँ पर यह थम्भ अकश मात्र हैं --चबूतरा एक सीढ़ी ऊंचा आया हैं तो एक सीढ़ी नीचे उतर कर मंदिरों में प्रवेश कर सकते है --

चबूतरा की बाहिरी किनार पर नीलवी की मेहराब आयी हैं --दो मंदिर की चौड़ी किनार है जिसमें चांदनी चौक की और से एक मंदिर में कठेड़ा आया हैं आगे 33  हाथ से धाम रोंस पर सीढ़ी उतरी हैं --और सीढ़ी के आगे 66  हाथ ही जगह गुर्ज की शोभा हैं 

इसी तरह से दक्षिण दिशा की शोभा जानना मेरी सखी                        
 चबूतरा की दो भोम आयीं हैं दूसरी भोम में यह झरोखा हुआ

9⃣दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक के उत्तर दक्षिण में चबूतरों की शोभा आयीं हैं उनकी ऊंचाई कितनी हैं ❓ 1⃣0⃣उत्तर/दक्षिण दिशा के चबूतरो की पूर्व किनार पर क्या शोभा आयीं हैं ❓ 1⃣1⃣चबूतरो की पश्चिम दिशा में किनार पर क्या शोभा आयीं हैं ❓ 1⃣2⃣दो मंदिर के चौक से अगर उत्तर या दक्षिण दिशा में आएं चबूतरा पर जाना हैं तो कैसे जायेंगे ❓ इन प्रश्नों का उत्तर भी इसमें शामिल हैं👆👆👆👆

7⃣धाम दरवाजा की शोभा प्रथम भोम में कैसे आयीं हैं ❓                        

8⃣दर्पण रंग के झिलमिलाते धाम द्वार के ऊपर कैसे शोभा आयीं हैं ❓

मेरी सखी ,सौ सीढियां बीस चांदों सहित पार कर जब दो मंदिर के चौक में आते हैं तो सामने दो मंदिर की शोभा लिये धाम दरवाजा की अपार शोभा हैं --पहली भोम में नजर की तो 88  हाथ का दर्पण का नूरी किवाड़ हैं --हरे रंग की बेनी और लाल रंग की एक सीढ़ी ऊंची चौखट आयीं हैं --इन्हीं चौखट पर द्वार की शोभा हैं ---दरवाजे के ऊपर बारह हाथ की नूरी मेहराब शोभित हैं --और दरवाजा के दोनों और 56 -56  हाथ की लाल मणियों जड़ित सुन्दर चित्रामन से सजी नूरमयी दीवार आयीं हैं --

यह शोभा तो हुई धाम दरवाजे के प्रथम भोम की शोभा --अब देखते हैं रूह की नजर से --

धाम दरवाजे के ऊपर आयी बारह हाथ की जो मेहराब आयीं हैं उसके कोण पर और दोनों और लाल माणिक के फूलों की शोभा हैं --इन मेहराब के ठीक ऊपर  तीन हाथ ऊंचा एक झरोखा आया हैं --

दूजी भोम में एक बड़ी मेहराब में नव मेहराबे आयीं हैं --जिनकी शोभा 3+3+3=9 ---तो इस तरह से ह्रदय में बसाते हैं शोभा 

जो ठीक मध्य  की तीन मेहराब हैं  उनमे मध्य की मेहराब में झरोखा आया हैं और दाएं बाएं की मेहराब में नंगों की चित्रामन से युक्त सुन्दर जाली द्वार आयें हैं 

जो दाएं बाएं की तीन तीन मेहराब आयीं हैं --उनके मध्य में दरवाजा आया हैं और दोनों और की मेहराबों में जाली द्वार हैं -यह हुई धाम दरवाजा की दो भोम की मनोहारी शोभा

रविवार, 18 दिसंबर 2016

धाम दरवाजे तक पहुंचना हैं तो कैसे पहुंचे ❓



1⃣श्री रंगमहल का दरवाजा ज़मीन से कितना ऊंचा हैं ❓

परमधाम की जमीन से एक भोम ऊंचे चबूतरे पर रंगमहल सुशोभित हैं जिसका धाम दरवाजा पूर्व दिशा में सुखदायी झलकार कर रहा हैं

 2⃣सौ सीढ़ी बीस चांदे चांदनी चौक की किस दिशा में आएं हैं ❓

तो सखी ,चांदनी चौक में चलते हैं --ठीक मध्य में नगन जड़ित रोंस से होते हुए चांदनी चौक की पश्चिम दिशा की और चलते हैं --देखिए यह रोंस सीढ़ियों तक गयीं हैं --आगें धाम की सीढियां 

 3⃣चांदनी चौक की जमीन से लेकर रंगमहल के चबूतरे का तक सीढ़ियों का विस्तार ,उतार चढ़ाव कितना हैं ❓

चांदनी चौक की जमीन से सीढियां धाम के भोम भर ऊंचे चबूतरा तक गयी हैं -यह उतार चढ़ाव दो मंदिर का आया हैं 


 4⃣सीढ़ियों की लंबाई ,चौड़ाई और ऊंचाई कितनी हैं ❓

उत्तर से दक्षिन दिशा में यह सीढियाँ दो मंदिर की लंबी आयीं हैं --चांदनी चौक से पहली सीढ़ी एक हाथ ऊंची और एक ही हाथ चौड़ी आयीं हैं --तो ऐसे पांच सीढ़ी देखी --पांचवी सीढ़ी के साथ ही 5 हाथ का चांदा  आया हैं --फिर छठीं ,सातवीं ,आठवीं , नवी और दसवीं सीढ़ी एक हाथ ऊंची और एक ही हाथ ऊंची आयीं हैं और लंबी तो उत्तर से दक्षिन दिशा में दो मंदिर की जगह लेकर आयीं हैं --अब देखते हैं दसवीं सीढ़ी के साथ ही पांच हाथ का चांदा शोभित हैं --पंद्रहवीं ,बीसवीं --इस तरह से क्रमशः चांदों की शोभा आयीं हैं 


 5⃣चांदा की शोभा किस प्रकार आयीं हैं  ❓

पांचवी सीढ़ी जो एक हाथ की चौड़ाई लिये आये हैं उसके आगे ही पांच हाथ के चांदा की शोभा आयीं हैं --सीढ़ी और चांदा एक ही लेवल में आएं हैं --पर अद्भुत शोभा तो देखे कि सीढ़ियों पर और चांदा पर भिन्न भिन्न शोभा ,रंग लिये गिलम आयीं हैं तो पांचवीं सीढ़ी जो छह हाथ कि आयीं हैं उनमें सीढ़ी कि शोभा शेष सीढ़ियों के सामान दृष्टिगोचर होती हैं और चांदा की शोभा जुदी दिखाई देती हैं रूहों को ---

 6⃣सीढ़ियों के दोनों किनारों पर कैसे शोभा आयीं हैं विस्तार से कहे ❓

सीढ़ियों के दोनों किनारों पर कठेड़े की शोभा आयीं हैं --प्रत्येक सीढ़ी पर कमर भर ऊंचा कठेड़ा आया हैं और इसी प्रकार चांदों पर भी कमर भर ऊंचा कठेड़ा आया हैं --पूर्व से पश्चिम --अर्थात चांदनी चौक की तरफ से धाम की और कठेड़ा भी चढ़ता हुआ प्रतीत होता हैं --कठेड़े पर अति सुंदर कांगरी सुखदायी झलकार कर रही हैं --कठेडा में अद्भुत चित्रामन आया हैं इन  चित्रामन के सजीव पशु पक्षी मानो मेरे साथ साथ  चढ़ रहे हैं ..पिऊ पिऊ ,तूही तूही की गूंजार --चंहु और 

7⃣निजघर की सौ सीढ़ी बीस चांदे कहा ले जाकर खड़ा करते हैं ❓

100  सीढियां 20  चांदों सहित पर कर धाम दरवाजा के सम्मुख पहुँचते हैं 


8⃣धाम दरवाजे तक पहुंचना हैं तो कैसे पहुंचे ❓

इस प्रश्न का उत्तर विस्तार ---चितवन रूप में 

मेरी रूह तू  चल अपने निजघर

श्रीराज श्यामा जी चरणों में नमन करती मेरी रूह तारतम का मौन जप कर रही हैं | श्री राज जी की मेहर इलम  से मेरी रूह पहुँची --
चाँदनी चौक -रंगमहल के सामने 

मेरी रूह देखती हैं चाँदनी चौक की शोभा 

अमृत वन के तीसरे हिस्से में आया विशाल चाँदनी चौक 

जिसकी पूर्व दिशा में नौ भोंम दसवी आकाशी का रंगमहल सुशोभित हैं 

और तीन दिशा में अमृत वन के वृक्षों की महेराबे  --
और उनमें से झलकते अमृत वन की मनोहारी शोभा दिख रही हैं 

नीचे हीरे ,मोती ,माणिक की तरह बिखरी रेती --अत्यंत ही कोमल --और तेज तो इतना की आसमान तक झलकार कर रहा हैं 
अहो ! नीचे रेती का नूर ,सामने से आता रंगमहल की नूरी जोत और वनो की जोत आपस में टकरा कर सुखदायी प्रतीत हो रही हैं 

चाँदनी चौक के मध्य में नूरी नंगों की रोंस जो पाट घाट से सीधा अमृत वन से होती हुई चाँदनी चौक में होती हुई  रंगमहल की सीढ़ियों तक ले जा रही हैं 

दाईं और देखती हूँ तो कमर भर ऊँचे चबूतरे पर नूरी वृक्ष --दो भोंम की शोभा लिए 
बाईं और ऐसे ही शोभित हरा वृक्ष 

मैं बाईं और जा  रही हूँ --नूर रेती ,कोमल इतनी की मेरे पाँव घुटनों तक धँस रहे हैं ..वो भी पिऊ की आशिक चेतन हैं जो मेरी रूह से बाते करती हैं --रेती का एक एक कण में पिया का अक्श नज़र आया 

मेरी रूह चबूतरे की किनार पर पहुँची 
सुंदर सीढ़ियाँ 
मैं तीन सीढ़ियाँ चढ़ रही हूँ ..
चबूतरे पर पहुँची --नीचे अत्यंत ही कोमल पशमी गिलम

फूल ही फूल बिछे हुए --ठीक मध्य में एक मंदिर का तना
जिसने कुछ इस तरह से अपनी डालियां बढ़ाई कि  उनकी छाया चबूतरे तक ही रहती हैं शीतल छाया --मेरे लिए सुंदर कुर्सियाँ हाजिर --मैं बड़ी ही अदा से विराजमान हुई --अरे साथ मैं आप सब प्यारी सखियाँ भी तो हैं कितने नूरी स्वरूप हैं मेरी सखियों के --
तने में सामने सीढ़ियाँ ..हम ऊपर जा रहे हैं 

वृक्ष की दूजी भोंम--नीचे भी फूलों का फर्श और ऊपर भी फूलों का छतरिमंडल--
फूलों के ही सिंहासन ,सेज्या ,
वृक्ष की तीसरी चाँदनी पर अति सुंदर फूलों का गुमत ,कलश और ध्वजा 
दाई और भी ऐसे ही अत्यंत की मनमोहक शोभा 

अब मेरे श्री राज जी हमे सीढ़ियों की और बुला रहे हैं 
हम वहाँ पहुँचे ..सामने सीढ़ियाँ ,,,हम पहली सीढ़ी चढ़ रहे हैं ,दूसरी --तीसरी --चौथी --और जैसे पाँचवीं सीढ़ी पर आए तो देखी एक प्यारी सी शोभा 
पाँचवीं सीढ़ी के साथ ही पाँच हाथ के चान्दा की शोभा --
दसवी ,पंद्रहवी सीढ़ी पर भी ऐसे ही शोभा --इस तरह से सौ सीढ़ियाँ बीस चाँदों सहित पार कर रही हूँ ...दाएँ बाएँ स्वर्णिम कठेड़े --उनमें आएँ चित्रामन के सजीव पशु पक्षी मानो मेरे साथ साथ  चढ़ रहे हैं ..पिऊ पिऊ ,तूही तूही की गूंजार 

मैं धाम द्वार के सम्मुख पहुँची ---सामने मेरे धाम का द्वार --बादशाही शोभा लिए🙏🏾🙏🏾

शुक्रवार, 16 दिसंबर 2016

sou sidhiyaan bis chaande

सीढियां और चांदे

चांदनी चौक के मध्य भाग में पश्चिम तरफ भोम भर की सीढ़ी  रंगमहल के भोम भर ऊंचे चबूतरा पर चढ़ी हैं --सीढ़ियों का उतार चढ़ाव दो मंदिर का आया हैं अर्थात सीढ़ियों ने चांदनी चौक की जमीन से चबूतरा तक दो मंदिर की जगह घेरी हैं --
सर्वप्रथम देखते हैं पहली सीढ़ी--


उत्तर से दक्षिन दिशा में यह सीढियाँ दो मंदिर की लंबी आयीं हैं --चांदनी चौक से पहली सीढ़ी एक हाथ ऊंची और एक ही हाथ चौड़ी आयीं हैं --तो ऐसे पांच सीढ़ी देखी --पांचवी सीढ़ी के साथ ही 5 हाथ का चांदा  आया हैं --फिर छठीं ,सातवीं ,आठवीं , नवी और दसवीं सीढ़ी एक हाथ ऊंची और एक ही हाथ ऊंची आयीं हैं और लंबी तो उत्तर से दक्षिन दिशा में दो मंदिर की जगह लेकर आयीं हैं --अब देखते हैं दसवीं सीढ़ी के साथ ही पांच हाथ का चांदा शोभित हैं --पंद्रहवीं ,बीसवीं --इस तरह से क्रमशः चांदों की शोभा आयीं हैं

विशेष ध्यान देने योग्य बात यह हैं की पांचवीं सीढ़ी और चांदे की जमीन बराबर आयीं हैं लेकिन इनकी बनावट अलग अलग आयीं हैं तो अलग अलग बयान किया जा रहा है --
इस प्रकार से सौ सीढियां और बीस चांदा आएं हैं --इन सीढ़ियों और चाँदों  पर अति सुन्दर गिलम बिछी हैं ,गिलम कई प्रकार की नककसकारी ,चित्रामन सुसज्जित हैं -सीढ़ियों और चाँदों  के स्थान पर गिलम का रंग शोभा अलग आयीं हैं
                        परकोटा कांगरी

इन सभी सीढ़ियों तथा चाँदों के किनारे उत्तर दक्षिण  की दीवार पर  अति सुन्दर कांगरी की शोभा आयीं हैं --एक एक सीढ़ी पर कमर भर ऊंची और एक हाथ की लंबी दीवार आयीं हैं --और इन दीवार के ऊपर अति सुन्दर नंगों से जड़ित कांगरी आयीं हैं --इस प्रकार चाँदों पर भी कमर भर ऊंची दिवार आयीं हैं -और इन दिवार पर भी मनोहारी कांगरी आयीं हैं --यह पूर्व से पश्चिम चढ़ती हुई दिखाई देती हैं
अंत में बीसवें चांदे से एक सीढ़ी और चढ़के दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक में आएं है

गुरुवार, 15 दिसंबर 2016

chandni chouk

पहला प्रश्न हैं 

चांदनी चौक की शोभा रंगमहल की किस दिशा में आयीं हैं ?

पूर्व दिशा में --

तो अब एक प्रश्न और आता है दिल में कैसे 

तो साथ जी ,रंगमहल की पूर्व दिशा में सात वन आएं हैं --केल  ,लिबोई ,अनार ,अमृत ,जाम्बु ,नारंगी ,बट 

इनमें से तीन वन अनार ,अमृत ,जाम्बु रंगमहल की पूर्व दीवार से मिलान करते हुए आएं हैं --तो रंगमहल के मुख्य द्वार के सामने अमृत वन के तीसरे हिस्से में चांदनी चौक की शोभा आयीं हैं अर्थात १६६ मंदिर के लंबे चौड़े हिस्से में वन नहीं आकर चांदनी चौक की शोभा हुई हैं

प्रश्न -२--चांदनी चौक की लंबाई चौड़ाई कितनी हैं❓ 


चांदनी चौक की लंबाई चौड़ाई १६६ मंदिर की लंबी चौड़ी आयीं हैं --

प्रश्न -३ --चांदनी के चौक में रूह प्रवेश करती हैं और रूह का मुख धाम द्वार की और हैं तो ठीक मध्य भाग में क्या शोभा आयीं हैं जो रूह को धाम सीढ़ियों के सन्मुख ले जाती हैं ❓


रूह मेरी जब चांदनी चौक में प्रवेश करती हैं ,और मुख धाम द्वार की और हैं तो ठीक मध्य में दो मंदिर की चौड़ी नगन की रोंस हैं जो अमृत वन के मध्य भाग से होती हुई चांदनी चौक के ठीक मध्य से होती हुई धाम की सीढ़ियों तक पहुंचाती हैं
प्रश्न -४--श्री परमधाम को प्रवेश होते दाहिनी (उत्तर )हाथ में चांदनी चौक में क्या शोभा हैं


चांदनी चौक के मध्य रोंस में खड़े हैं तो दाहिनी हाथ में चांदनी चौक की अति निर्मल ,नूरमयी ,मोती की तरह झलकार करती नरम अति नरम रेती में मनोहारी शोभा लिये चबूतरा पर लाल वृक्ष की खुशहाल करने वाली शोभा हैं और किनार पर अमृत वन के वृक्षों की हार ,उनमें आयीं सुंदर मेहराबें और वन के दो भोम के छज्जे
प्रश्न -५--|श्री परमधाम को प्रवेश होते  बाईं तरफ (दक्षिण ) में चांदनी चौक में क्या शोभा हैं


बायीं तरफ लाल वृक्ष के सामान ही हरे वृक्ष की शोभा और चांदनी चौक की बायीं किनार पर अमृत वन की शोभा --
प्रश्न -६--लाल हरे वृक्ष शोभा से सुसज्जित चबूतरों की लंबाई चौड़ाई कितनी हैं 


चांदनी चौक में आएं चबूतरे जिनपर लाल हरे वृक्षों की अपार शोभा आयीं हैं ३३ मंदिर के लंबे चौड़े आएं हैं
 प्रश्न -७--चबूतरे चांदनी चौक की जमीन से कितने ऊंचे हैं


यह चबूतरे चांदनी चौक की जमीन से तीन सीढ़ी ऊंचे सुशोभित हैं                        

प्रश्न -८--चबूतरों की चारों दिशा में घेर कर कठेड़े और सीढ़ियों की  क्या शोभा आयीं हैं?

३३ मंदिर के लंबे चौड़े तीन सीढ़ी ऊंचे चबूतरा की मनोहारी शोभा आयीं हैं --चबूतरा की चारों दिशा से आठ मंदिर की जगह में तीन तीन सीढियां उतरी हैं और घेर कर कठेड़ा आया हैं --चबूतरा के ठीक मध्य भाग में एक मंदिर का मोटा नूरमयी तना उठता हैं --तने की चारों दिशा में द्वार आएं हैं --तो इन द्वारों से तने के भीतर जा सकते हैं ..तने के भीतर भी विशाल विस्तार --सुन्दर शोभा और चढ़ती सीढियां --तो इन सीढ़ियों से चढ़कर वृक्ष की दूजी भोम जाइये -

एक मंदिर का तना ७५  हाथ सीधा ऊपर जाकर हर दिशा में 34 -34  डालियों का विस्तार करता हैं तो पहली भोम में सुन्दर चंदवा,फूलों-पत्तियों  का छत्रिमंडल  --बरामदे मानद शोभा और वृक्ष  की दूसरी भोम मोहोलात की तरह शोभित हैं

 प्रश्न -९--लाल हरे वृक्ष कितनी भोम ऊंचे आएं हैं

दो भोम तीसरी चांदनी                        

प्रश्न -10--चांदनी चौक की पूर्व ,उत्तर ,दक्षिन दिशा में क्या शोभा आयीं हैं ❓?

चांदनी चौक की पूर्व ,उत्तर ,और दक्षिन दिशा में अमृत वन की शोभा आयीं हैं --अमृत वन के नूरी वृक्षों की दो भोम के छज्जे --
 
प्रश्न -10--चांदनी चौक की पश्चिम  दिशा में क्या शोभा आयीं हैं ❓


चांदनी चौक के पश्चिम दिशा में रंगमहल की शोभा हैं --नव भोम दसवीं अकाशी का हमारा रंगमहल --रंगमहल के दस हान्स की शोभा --चढ़ती सीढियां ,धाम द्वार की अलौकिक शोभा