सोमवार, 6 मार्च 2017

खड़ोकली का वर्णन श्री जवाहरदास महाराज जी की वृति के आधार पर --

प्रणाम जी 
खड़ोकली का वर्णन एक बार फिर से करें ?
श्री जवाहरदास महाराज जी की वृति के आधार पर --
खड़ोकली का ब्यान 


यह खड़ोकली ताड़वन की हद में आयीं हैं ।लाल चबूतरा से पूर्व की तरफ 40  मंदिर की दुरी पर रंगभवन के बाहर एक मंदिर की रोंस के साथ लगकर आयी हैं ,खड़ोकली तीस मंदिर की लंबी चौड़ी हैं -40  मंदिर खड़ोकली के पूर्व तरफ आयें हैं ।इन्हीं 110  मंदिरों के भीतर दक्षिण तरफ भुलवनी के मंदिर आएं हैं जो चार हार में चार हवेली आयीं हैं
खड़ोकली का चबूतरा 


लाल चबूतरा के पूर्व तरफ 39  मंदिर की दुरी पर रंगमहल से लगता हुआ दो मंदिर का चौड़ा पश्चिम से पूर्व तरफ तथा दक्षिण से उत्तर तरफ रोंस के साथ लगता हुआ 31 मंदिर का लंबा ताड़वन की जमीन से एक भोम ऊंचा चबूतरा आया हैं फिर चबूतरा घूमकर पूर्व तरफ 31  मंदिर चलकर फिर दक्षिण तरफ घूमकर सीधा 30  मंदिर जाकर रंगमहल की रोंस से जाकर मिल जाता हैं
पश्चिम तरफ के रोंस और मंदिर 


पश्चिम तरफ जो दो मंदिर का चौड़ा चबूतरा आया हैं ।इस चबूतरा पर बाहर वन की तरफ एक मंदिर की चौड़ी रोंस आयीं हैं और 31  मंदिर की लंबी हैं ।खड़ोकली के नैऋत्य कोना से लेकर ऊतर तरफ 16  वृक्ष छोड़कर चबूतरे के साथ एक मंदिर का लंबा उत्तर से दक्षिण ,आधा मंदिर का चौड़ा पूर्व से पश्चिम चांदा का चौक आया हैं ।इस चांदा के ठीक मध्य १७वां  वृक्ष आया हैं ।वृक्ष के दाएं बाएं उत्तर दक्षिण चांदा की आध-आध मंदिर जगह बचेगी ।इस चौक के दोनों तरफ उत्तर-दक्षिण सीढ़ी उतरी हैं ।इस रोंस के बाहिरी तरफ चांदा की जगह छोड़कर किनारे पर कठेड़ा आया हैं ।इस रोंस के भीतरी तरफ चबूतरा के ऊपर एक मंदिर की जगह में  30  मंदिर उत्तर -दक्षिण की तरफ आये हैं
उत्तर तरफ की रोंस और मंदिर 


उत्तर तरफ जो दो मंदिर का चौड़ा चबूतरा आया हैं ।इस चबूतरा के बाहिर वन की तरफ एक मंदिर की चौड़ी और पश्चिम से पूर्व तरफ 32  मंदिर की लंबी रोंस आयी हैं ।रोंस के बाहिरी तरफ चबूतरा की किनार पर 33  वृक्ष ताड़ के आयें हैं ।जिसमें 16 -16  वृक्ष दाएं बाएं रहे ।मध्य में एक मंदिर की जगह (जहाँ सत्रहवाँ वृक्ष आया हैं )के साथ दूसरे बगीचे की किनार पर एक मंदिर का लंबा पश्चिम से पूर्व तरफ तथा आध मंदिर का चौड़ा दक्षिण से ऊतर तरफ भोम भर का ऊंचा खड़ोकली के चबूतरा के बराबर आया हैं ।इस चबूतरे के पूर्व -पश्चिम तरफ भोम भर की सीढियां बगीचा की जमीन पर उतरी हैं ।सीढ़ियों के उत्तर तरफ कठेड़ा आया हैं और दक्षिण तरफ तो खड़ोकली के चबूतरा की दीवार आयीं हैं और चांदा के चौक के उत्तर तरफ एक मंदिर का लंबा कठेड़ा शोभा ले रहा हैं और रोंस के बाहिर की तरफ चांदा की जगह छोड़कर दाएं बाएं 15 -1/2 ,15 -1/2 मंदिर का लंबा कठेड़ा आया हैं ।इस चांदा के ठीक बीच पश्चिम तरफ के अनुसार सत्रहवाँ वृक्ष आया हैं ।इस रोंस के भीतरी तरफ रोंस के साथ लगकर चबूतरा के ऊपर लंबाई में पश्चिम से पूर्व तरफ 28  मंदिर आयें हैं
पूर्व तरफ की रोंस और मंदिर 

इस खड़ोकली के पूर्व तरफ जो दो मंदिर का चबूतरा आया हैं ।इस चबूतरा के ऊपर बाहर वन तरफ एक मंदिर की चौड़ी और इकतीस मंदिर की लंबी ऊतर-दक्षिण एक रोंस आयीं हैं ।इस रोंस की बाहिर तरफ किनार पर बगीचा की जमीन में एक चांदा पश्चिम तरफ के चांदा के मुताबिक़ आया हैं ।चांदी की लंबाई चौड़ाई भी पहले के माफक आयी हैं ।चांदा की जगह छोड़कर 30  मंदिर लंबा कठेड़ा उत्तर से दक्षिण आया हैं  इस रोंस के भीतरी तरफ चबूतरा के लंबाई में 30  मंदिर उत्तर से दक्षिण में आयें हैं
दक्षिण तरफ दीवार 

इस खड़ोकली के अग्नि कोना तथा नेऋत्य कोना के जो दो मंदिर आएं हैं ।इन दोनों मंदिरों के बीच में 28  मंदिर की लंबी और एक मंदिर की चौड़ी दक्षिण से उत्तर की जगह में एक दीवार आयी हैं यह रंगभवन की दीवार की रोंस के साथ लगकर आयी हैं 
खड़ोकली के मंदिर 

इस खड़ोकली के पश्चिम-उत्तर और पूर्व तरफ कुल 88  मंदिर आएं हैं ।सो इन मंदिरों की ऊंचाई एक भोम की हैं ।इन मंदिरों की छत से 33  हाथ का चौड़ा छज्जा निकल कर रोंस पर आया हैं ।इन मंदिरों के भीतरी तरफ दरवाजे नहीं आएं हैं और दक्षिण तरफ की दीवार में भी दरवाजे नहीं आएं हैं ।इन चारों तरफ की भीतरी दीवारों के भीतरी तरफ 28  मंदिर की लंबी चौड़ी जगह में तीन भोम गहरा जल आया हैं ।इन खड़ोकली का जल दर्श पर्श दूसरी भोम से होता हैं 
 एक मंदिर का ब्यान 


88  मंदिर में से एक मंदिर का ब्यान किया जाता हैं इसी प्रकार सब मंदिर जानना जी ।एक बड़ी अकशी मेहराब में तीन मेहराबें ,फिर एक एक में तीन मेहराबें आने से 9  मेहराब हुई ।जिसमें 6  जालीद्वार दरवाजे ,दो खुले दरवाजे तथा मध्य में अक्श आया हैं ।मध्य के अक्श में झरोखा आया हैं ।पाखे की दीवार में एक एक मेहराब ,मध्य में दरवाजा दायें बायें अक्श आया हैं

 खड़ोकली के गुर्ज 


लाल चबूतरा के पूर्व तरफ 40 वां   -41  वां जो मंदिर आया हैं ।इन दोनों मंदिरों की पाखे की जो दीवार हैं ।उस दीवार के उत्तर तरफ बाहिरी रोंस पर 66  हाथ का लंबा चौड़ा एक भोम भर का ऊंचा चौरस गुर्ज आया हैं ।इस गुर्ज के आगे पूर्व तरफ तीसवाँ और 31 वां जो मंदिर आया हैं ।इन दो मंदिरों के बीच में जो पाखे की दीवार हैं ।उस दीवार के ऊतर तरफ रोंस के ऊपर 66  हाथ का लंबा चौड़ा एक भोम भर का ऊंचा चौरस दूसरा गुर्ज आया हैं ।इन दोनों गुरजों के छज्जे नहीं आएं हैं ।बाकी सब बनक श्री रंगभवन के गुर्ज़ों जैसी आयीं हैं ।इन दोनों गुर्ज़ों के बीच में 30  मंदिर आएं हैं ।जो दक्षिण में रंगभवन के हैं और तीस मंदिर की रोंस आयीं हैं रोंस के उत्तर तरफ खड़ोकली की दक्षिण तरफ की दीवार आयी हैं 
 
रोंस के ऊपर पुल 


श्री रंगभवन की 30  मंदिरों की पहली भोम की छत से एक सीढ़ी नीचा आध मंदिर का चौड़ा छज्जा निकल कर उत्तर तरफ गया हैं और उत्तर तरफ के 30  मंदिर की लंबी खड़ोकली की दीवार में से आध मंदिर का चौड़ा छज्जा और तीस मंदिर का लंबा छज्जा निकल कर दक्षिण तरफ गया हैं ।दोनों छज्जा मिलकर एकरूप हो गया हैं ।इस प्रकार इस छत को पुल करके कहा गया हैं ।इस पुल के पूर्व पश्चिम तरफ 33 -33  हाथ का छज्जा निकल कर दोनों गुर्ज़ों से मिलकर एक रूप हो गया हैं ।ए दोनों पुल गुर्ज वास्ते हैं ।यह ३० मंदिर ६६ हाथ का लंबा आया हैं और एक मंदिर का चौड़ा उत्तर-दक्षिण आया हैं ।

खड़ोकली का चेहेबच्चा 


पुल के उत्तर तरफ 28  मंदिर का लंबा चौड़ा ताल आया हैं ।जिसकी 112  मंदिर की गृद हैं ।यह चेहेबच्चा तीन भोम गहरा आया हैं ।जिसकी एक भोम जमीन के नीचे की और दूसरी भोम एक भोम ऊंचे चबूतरे की और तीसरी भोम में खड़ोकली का मंदिर आया हैं ।इसका जल मिश्री से मीठा ,सुगंध ,शीतल ,सुख देने वाला हैं ।आधा मंदिर रंगभवन का छज्जा आधा मंदिर खड़ोकली की दीवार के छज्जा की जगह पर ऊपर रोंस आयीं हैं ।
चेहेबच्चा के चारों तरफ की रोंस 


खड़ोकली के दक्षिण तरफ 30  मंदिर 66  हाथ की लंबी और दो मंदिर चौड़ी रोंस आयीं हैं ।जिसकी एक मंदिर की जगह में 30  मंदिर की लंबी दीवार तथा छज्जा पर आयीं हैं और एक मंदिर की जगह 30  मंदिर 66  हाथ की चौड़ाई ,आधा मंदिर रंगभवन का छज्जा और आधा मंदिर खड़ोकली की दीवार के छज्जा की जगह के ऊपर रोंस आयी हैं ।
इस खड़ोकली के पश्चिम ,उत्तर और पूर्व तरफ 133  हाथ की चौड़ी रोंस आयीं हैं जिसमें 100  हाथ की जगह मंदिरों की छत पर हुई और मंदिरों से 33  हाथ का छज्जा आने से कुल जगह 133  हाथ हुई 
रोंस के बाहिरी किनारों पर --पूर्व ,उत्तर और पश्चिम किनार पर कठेड़े की शोभा आयी हैं 
जल चबूतरा तथा चांदे 


खड़ोकली की रोंस के मध्य भाग में 28  मंदिर का लंबा चौड़ा चेहेबच्चा जल का आया हैं चेहेबच्चा के चारों तरफ जल चबूतरा हैं जिस पर कमर भर जल आया हैं ।इस जल चबूतरे पर चारों दिशा में आध मंदिर के चौड़े एक मंदिर के लंबे चबूतरे उठकर रोंस के साथ लगे हैं ।इस चबूतरे (चांदे )से दोनों तरफ कमर भर की सीढ़ी उतरी हैं ।चाँदों पर सामने कठेड़ा हैं ।सीढ़ियों को छोड़कर चारों तरफों कठेड़ा आया हैं ।

खड़ोकली में झिलना 


अनेक प्रकार के खेल तमासे करके स्नान करने के वास्ते सखियाँ खड़ोकली की तरफ आती हैं ।भुलवनी के मंदिरों से चलकर बाहर आठ मंदिर निकल कर एक सीढ़ी नीचे उतर कर दो मंदिर की चौड़ी रोंस पर करके चांदे से तीन सीढ़ी उतरकर जल चबूतरा पर खूब स्नान करती हैं ।झिलना कर भुलवनी के मध्य भाग में आये 64  मंदिर चबूतरा पर सिनगार सजती हैं ।

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