प्रणाम जी
तीजी भोम की पड़साल देखनी हैं ..पड़साल की बड़ी बैठक में श्री राज जी के संग बैठना हैं ..सखियों के संग आरोगन की लीला करनी हैं तो तीजी भोम की पड़साल की शोभा धाम ह्रदय में लेते हैं --
तीसरी भोम की शोभा देखने से पहले एक बार प्रथम भोम के मुख्यद्वार ,दस हान्स की शोभा को दिल में लेते हैं
तीजी भोम की पड़साल देखनी हैं ..पड़साल की बड़ी बैठक में श्री राज जी के संग बैठना हैं ..सखियों के संग आरोगन की लीला करनी हैं तो तीजी भोम की पड़साल की शोभा धाम ह्रदय में लेते हैं --
तीसरी भोम की शोभा देखने से पहले एक बार प्रथम भोम के मुख्यद्वार ,दस हान्स की शोभा को दिल में लेते हैं
इस नक़्शे से समझने का प्रयास करते हैं --
सर्वप्रथम देखे चांदनी चौक की शोभा --लाल हरे वृक्ष की शोभा और मध्य में दो मंदिर की नगन की रोंस जो सीढ़ियों तक जा रही हैं
सौ सीढिया बीस चांदा समेत चढ़ कर दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक में आएं --हरे रंग का चौक का निशान ---चौक के दोनों चार मंदिर के लंबे दो मंदिर के चौड़े एक सीढ़ी ऊंचे चबूतरे --इन्ही दस मंदिर की शोभा --(चौक + चबूतरे =१०मन्दिर ) पर तीजी भोम में एक छत आयीं हैं एहि तीजी भोम की पड़साल हैं
छज्जा अर्थात पड़साल की पूर्व किनार पर थम्भ आएं हैं जिनके मध्य कठेड़े की शोभा हैं --यह थम्भ वहीँ हैं जिनकी शोभा प्रथम भोम में हैं --मध्य में दो मंदिर की दुरी पर हीरा के थम्भ उनमें आयीं दो मंदिर की मेहराब जिनमें छत्र शोभित हैं --आस पास दो दो रंग में मेहराब --हीरा ,माणिक ,पुखराज ,पाच के थम्भो की
सीढ़ियों के आगे दो मंदिर का चौक और चौक के आगे धाम दरवाजा का मंदिर --दो मंदिर का लंबा और एक मंदिर का चौड़ा आया हैं --धाम दरवाजा के मंदिर के दोनों और से एक एक मंदिर और लेकर इस जगह में तीजी भोम में चार मंदिर की दहलान आयीं हैं --
यह देखे --दहलान --और दहलान के दोनों और तीन तीन मंदिर
यह देखे --मुख्य द्वार और २८ थम्भ के चौक के मध्य एक गली आयी हैं इसी में चार मंदिर का चबूतरा आया हैं
देखे चार मंदिर का चबूतरा और तीन दिशा से उतरती सीढियां
तीजी भोम की पड़साल ,दहलान और चबूतरा एक ही लेवल में आएं हैं तीन सीढ़ी ऊंचे
दहलान के दोनों और आएं मंदिर भी तीन सीढ़ी ऊंचे हैं इनसे मध्य गली से चांदे से सीढिया उतरती हैं
दहलान दिखने में तो चार मंदिर की हैं पर लीला के मुताबिक़ जरूरत होने पर आसपास के तीन तीन मंदिर भी दहलान में परिवर्तित हो जाते हैं इसलिये इसे दस मंदिर की दहलान से भी जाना जाता हैं
इस तरह आइये खुद को खड़ा करे २८ थम्भ के चौक में --मुख चांदनी चौक की और --
दाहिनी और देखा तो दूसरी हार मंदिरो का पहला मंदिर आसमानी रंग में जहाँ श्री श्यामा जी सिनगार सजती हैं
शोभा देखते हुए आगे बढे --सीढियां नजर आ रही हैं --सीढियां चढ़कर चार मंदिर के चबूतरे पर आये
चबूतरा पार कर चार मंदिर की दहलान में आएं --दहलान पार की तो खुद को पड़साल में देखा
सम्पूर्ण शोभा एक नजर में इस नक़्शे में बारीकी से देखे
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