प्रणाम जी
चांदनी चौक की शोभा
रंगमहल की पूर्व दिशा में सात वन आएं हैं --केल ,लिबोई ,अनार ,अमृत ,जाबूं ,नारंगी और बट -
जिनमें अनार ,अमृत ,जाम्बु वन रंगमहल की पूर्व दीवार से लगे हैं --इनमें मध्य में आये अमृत वन में मुख्यद्वार के ठीक सामने अमृत वन के तीसरे हिस्से में वन नहीं आकर चांदनी चौक की शोभा आयीं हैं
166 मंदिर का लंबा चौड़ा चांदनी चौक की शोभा आयीं हैं --खुद को चांदनी चौक में महसूस करे --मुख रंगमहल की और --
शोभा देखने का एक प्रयास करते हैं --
मुख के सामने नव भोम दसवीं आकाशी का रंगमहल शोभयमान हैं
दाएं -बाएं हाथ और पीठ के पीछे की तरफ अमृत वन की शोभा हैं --दो भोम वनों की शोभा झलक रही हैं
अमृत वन के ठीक मध्य भाग से आती दो मंदिर की नंगों की जगमगाती रोंस चांदनी चौक से होती हुई धाम सीढ़ियों तक ले जा रही हैं -
चांदनी चौक की शोभा
रंगमहल की पूर्व दिशा में सात वन आएं हैं --केल ,लिबोई ,अनार ,अमृत ,जाबूं ,नारंगी और बट -
जिनमें अनार ,अमृत ,जाम्बु वन रंगमहल की पूर्व दीवार से लगे हैं --इनमें मध्य में आये अमृत वन में मुख्यद्वार के ठीक सामने अमृत वन के तीसरे हिस्से में वन नहीं आकर चांदनी चौक की शोभा आयीं हैं
166 मंदिर का लंबा चौड़ा चांदनी चौक की शोभा आयीं हैं --खुद को चांदनी चौक में महसूस करे --मुख रंगमहल की और --
शोभा देखने का एक प्रयास करते हैं --
मुख के सामने नव भोम दसवीं आकाशी का रंगमहल शोभयमान हैं
दाएं -बाएं हाथ और पीठ के पीछे की तरफ अमृत वन की शोभा हैं --दो भोम वनों की शोभा झलक रही हैं
अमृत वन के ठीक मध्य भाग से आती दो मंदिर की नंगों की जगमगाती रोंस चांदनी चौक से होती हुई धाम सीढ़ियों तक ले जा रही हैं -
मध्य भाग में रोंस की शोभा आने से चांदनी चौक की शोभा दो हिस्सों में नजर आ रही हैं --चांदनी चौक में बिखरी रेती मोती ,माणिक की तरह जगमगा रही हैं जिसकी झलकार आसमान तक जा रही हैं -
दायीं और देखते हैं तो ठीक मध्य भाग में लाल वृक्ष की शोभा
बायीं और देखते हैं तो हरे रंग की वृक्ष की अपार शोभा
लाल हरे वृक्षों की मनोहारी शोभा को नजदीक से महसूस करते हैं --
दायीं और की नूरमयी रेती के चौक के ठीक मध्य स्थान में 33 मंदिर का लंबा चौड़ा कमर भर ऊंचा चबूतरा आया हैं --चबूतरा की चारों दिशा से आठ मंदिर की जगह से सीढियां उतरी हैं --शेष जगह नूरमयी ,अति सुन्दर शोभा से युक्त कठेड़े की शोभा आयीं हैं
चबूतरा के ठीक मध्य भाग में एक मंदिर का तन उठता हैं --दो भोम तीसरी चांदनी का अति मनोहारी शोभा लिये धाम के वृक्ष --आपके स्वागत के लिये प्रस्तुत हैं
वृक्ष के तने में चारों दिशा में द्वार हैं उनसे वृक्ष की दूसरी भोम में चले--
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