गुरुवार, 10 अगस्त 2017

phulbag-nurbag me raman


 ए फूल बाग चौडा चबूतरा, निपट बडा निहायत ।
फूल बाग बगीचे चेहेबच्चे, विस्तार बडो है इत ।।🙏


आज चले हैं आप श्री राज जी श्री श्यामा जी के संग फूलबाग --नूरबाग  

खुद को महसूस करते हैं तीजी भोम की पड़साल पर 

रूह दिल में लेती हैं की आज फूल बाग़ चले तो रूहों के दिल की इच्छा उपजते हैं सुखपाल हाजिर --फूलों से सजे हुए सुखपाल आकर लग गए तीजी भोम की पड़साल से --

सुखपालो पर बड़ी ही नजाकत से अर्शे मिलावा बैठ रहा हैं --उन समय की लीला अद्भुत हैं --वस्त्रा भूषण की मीठी ,सुंदर झिलमिलाहट आसमान को छू रही हैं --आभूषणों की मीठी झंकार                        
सुखपालों ने उड़ान भरी फूलबाग की और ---धाम धनि ने सबसे पहले रूह को दिखाई चांदनी चौक की शोभा --आसमान की ऊंचाइयों से चांदनी चौक के नज़ारे --अद्भुत स्वेत आभा से जगमगाहट करना धाम का नूरानी चौक --लाल हरा वृक्ष की जोत और रेती --नूरी रेती आज मानों श्वेत फूलों सी खिल उठी हैं वह भी स्वलीला अद्वैत में शामिल हैं

 फूलों सी खिल उठी आज रेती --सुगन्धि के झोंके सहला रहे हैं

चांदनी चौक की शोभा देख अब आगे बढ़ते हैं सुखपाल हमारे --उल्लास का समां --हर रूह की चाहना मेरा सुखपाल धनि के संग हो --कोई आगे तो कोई पीछे --धनि से ऊंची आवाज में बाते करना तो कभी उनके मुखारबिंद को निरखना --    








लीलाएं कर ,कलाबाजियां करते पशु पक्षियों के जूथ के जूथ --धनि को रिझावन की चाह लिए

 वनो की शीतल सुगन्धित चांदनी --फूलों ,पत्तियों ,डालियों ने एक रूप मिलाकर शीतल अति सुन्दर छत्रीमण्डल बनाया हैं --जाम्बु वन की चांदनी की शोभा देखते हुए नारंगी वन की चांदनी पर आन पहुंचे -- चांदनी पर नूरी तितलियों की अठखेलियां


नारंगी वन से सुखपाल दक्षिण दिशा की और हुए और बट पीपल चौकी की चांदनी पर हैं अब सुखपाल --आसमान में बादलों के बीच में से बट पीपल चौकी की चांदनी की शोभा धनी ने दिखाई --विशाल फूलों से खिली चांदनी --चांदनी के उत्तर दिशा में रंगमहल की अलौकिक शोभा धनी से दिखलाई और दक्षिण में कुंज निकुंज की मनोहारी शोभा हैं --चांदनी के चारों कोनों पर चहबच्चे सुशोभित हैं जिनसे मोतियों सा झिलमिलाता जल उछल रहा हैं


                        चौकी की चांदनी के आनंद लिए अब सुखपाल बढ़ते हैं रंगमहल की पश्चिम दिशा की और --बट पीपल की चौकी से होते हुए पश्चिम आये --फूलबाग की चांदनी की अपार शोभा --सुगन्धि से महकता आलम --विशाल चांदनी फूलबाग की --अति सुन्दर मनोहारी शोभा लिए --सुखपाल फूलबाग की चांदनी पर उतरे --

फूलों से खिली अति मनोरम --कोमल चांदनी --चांदनी पर अर्शे मिलावा उत्तर रहा हैं --युगल स्वरूप उतरे ,सखियाँ उत्तर रही हैं उतरते समय पायलों की ,घुघरियों की मधुर झंकार और चांदनी में धंसते पाँव --आप श्री युगल स्वरूप ,सखियों के आगमन पर चांदनी और भी महकने लगी और फूलों की ही सिंगहैं कुर्सियां हाजिर --उन बैठकों पर विराजमान हुए धाम दूल्हा और हम सब  सखियाँ






 धाम दूल्हा की मेहर से रूहों ने सर्व प्रथम शोभा देखी चांदनी की --अति सुन्दर चांदनी --फूलों का अद्भुत चेतन चित्रामन और फूलों के छोटे छोटे पक्षी ---नूरी पक्षीं उड़ान भरते हुए --उन पक्षियों ने उड़ान भरी और रूह हाथों का स्पर्श पाते ही फूलों की माला बन मुस्करा उठे

चांदनी के चारों कोनों पर सोलह हान्स के विशाल ,बुजरक चेहेबच्चों से उठते फुहारें ..ये फुहारे मानों आकाश को छू रहे हैं --फूलों सी लगती जल की नूरी बुंदिया और फूल की शोभा बनाते फुहारे


चांदनी की पूर्व दिशा में रंगमहल की अति मनोहारी शोभा --भोम दर भोम आएं रंगमहल के छज्जे भी फूलों से सज उठे हैं ,मंदिर भी फूलों के प्रतीत हो रहे हैं झरोखों की शोभा तो देखिए --

: चांदनी के उत्तर ,दक्षिण और पश्चिम दिशा में बडोवन के वृक्षों  की अति सुन्दर शोभा आयीं हैं जिनकी मेहराबों में झूले लगे हैं

शोभा देख रहे हैं फूलबाग की चांदनी की --चारों कोनों में आएं बुजरक फुहारों की बुँदियाँ जब चांदनी पर पड़ती हैं तो चांदनी अति सुन्दर प्रतीत होती हैं --भीगा भीगा सा समा --श्री राज जी के लाड ,इश्क में गर्क



रूह ने श्री राज जी के संग होने का सुखद अहसास का अनुभव कर चांदनी का अनुभव किया --फूल बाग़ की दो भोम तीसरी चांदनी आयीं हैं अब अर्शे मिलावा चलता हैं फूल बाग़ की दूसरी भोम में --मन चाहि पातशाही --दिल में उपजते ही खुद को दूसरी भोम में देखा



फूलबाग की दूसरी भोम की अद्भुत शोभा रूहें देख रही हैं --फूलों की अजब शोभा --नूरी फूलों की नूरी सुगन्धि --नीचे फूलों की गिलम बिछी हुई प्रतीत हो रही हैं और ऊपर फूलों का चन्द्रवा --मनोरम दृश्य --फूलों में प्रगट होते नूरी फूलों के वृक्षों के तने


फूलों की अति सोहनी शोभा --कहीं एक ही रंग में खिले फूल तो कहीं एक ही रंग में बेशुमार रंगों की झलकार --तीन तीन मंदिर की दुरी पर नूरी वृक्षों के मध्य बने नूरी चौक जिनमें अति सुन्दर बैठके बनी हैं

युगल स्वरूप श्री राज जी श्यामा जी के संग रहे यहाँ सुख लेती हैं --पशु पक्षी आ आकर तरह तरह के करतब कर रिझाते हैं --मोर का नृत्य ,तोतों की उड़ान ,खरगोशों की चंचलता ,बंदरों की उछल कूद

 और फूलों की मस्तियाँ --खिलते फूल तो पंखुड़ी समेटते फूल भी धनी को प्रसन्न कर रहे हैं



श्री राज जी के संग इन फूलों की वादियों में रमण कर रही हैं --शीतल ,मनोरम ,सुगन्धित ,चेतन और उल्लसित हर शह --जहाँ से निकले वहीं फूलों की विशेष शोभा --देखिए रूह अपने हाथों से नूरी फूलों का सिनगार तैयार कर श्री राज जी श्री श्यामा जी को सिनगार सजा रही हैं --पक्षी भी आये

उनमे भी तो श्री राज जी का धाम ह्रदय ही क्रीड़ा कर रहा हैं
 अब चलना हैं फूल बाग़ की तले की भोम --फूल बाग़ की चांदनी ने रंगमहल की तीजी भोम के छज्जो से मिलान किया हैं और दूसरी भोम का मिलान रंगमहल के दूसरी भोम के छज्जों से हुआ हैं तो रूह इन छज्जों से होती हुई मंदिरों में आती हैं और भोम भर नीचे उतर कर पहली भोम के मंदिरों में पहुँचती हैं                        

 आप श्री युगल स्वरूप और रूहें  मंदिर की वन की तरफ वाली बाहिरी दीवार की और नजर करते हैं अति मनोहारी शोभा --दो द्वारों से आती फूल बाग़ की सुगन्धि और खुशबु --छः जाली द्वारों से झलकती शोभा
ठीक मध्य की मेहराब में एक सुन्दर सा छोटा दरवाजा --उन द्वार के भीतर गए तो तीन सीढ़ियां चढ़ती हुई --सीढ़ियां चढ़ कर ऊपर आये तो खुद को रूहें झरोखे में देखती हैं --सखियाँ इस तरह से 1500  मंदिरों के झरोखों में बैठती हैं

 यहाँ से दर्शन करती हैं धाम रोंस के --धाम रोंस भी फूलों की रोंस प्रतीत हो रही हैं                        

 धाम रोंस से लगती पहली आडी नहर --अद्भुत शोभा जल में डूबे चहबच्चे जिनसे फुहारे चल रहे हैं --3000  फुहारों की शोभा अति प्रिय हैं जब एक साथ उछलते हैं तो जल की नूरी दीवार की शोभा बन जारी हैं


यहाँ से दर्शन करती हैं धाम रोंस के --धाम रोंस भी फूलों की रोंस प्रतीत हो रही हैं            



धाम रोंस से लगती पहली आडी नहर --अद्भुत शोभा जल में डूबे चहबच्चे जिनसे फुहारे चल रहे हैं --3000  फुहारों की शोभा अति प्रिय हैं जब एक साथ उछलते हैं तो जल की नूरी दीवार की शोभा बन जारी हैं

 फूल बाग की अति मनोरम शोभा रूहें देख रही हैं --दस बड़े बगीचों की अपार शोभा फिर एक एक बगीचे में कई बगीचे --     


एक बगीचा पर नजर गयी तो चारो दिशा में अति सुन्दर नेहरे और चारों कोण पर चेहेबच्चों की शोभा दिख रही हैं --फूलों की बेशुमार शोभा --श्वेत फूलों से खिला खिला बगीचा तो कहीं लाल रंग में सज रहा हैं -- नीला तो कहीं अपार रंग एक ही फूल में --खुशुबू ,नरमाई का तो कोई पारावार ही नहीं हैं





नहरों चेहेबच्चों की शोभा के बीच में फूलों की अजब शोभा --फूलों की तरह उछलते फुहारे





सुन्दर फूलों की रोंसे जगमगा रही हैं --नहर किनारे आयी बैठकों के आनंद रूह लेती हैं

फूलों की रोंस पर दौड़ना --श्री श्यामा जी के संग रूहें नूरी फूलों के अपार सुख लेती हैं

फूल बाग नूर बाग की छत पर शोभित हैं |आड़ी खड़ी नहरों के दरम्यान 100 बगीचों की शोभा श्रीराज जी रूहों को दिखलाते हैं | एक एक चौक की शोभा रूह देखती हैं |एक प्यारी सी शोभा -एक चौक में तीन-तीन आड़ी खड़ी नहरें आने एक चौक में छोटे छोटे सोलह बगीचे सुशोभित हैं | अब इनमें एक एक चौक में मनोहारी शोभा को देखिए साथ जी -इन चौकों में तीन तीन मंदिर की हद में वृक्षों की शोभा आईं हैं |रंग-बिरंगे फूलों की सोहनी जुगत और प्रत्येक चौक को घेर कर नहरो चहेबच्चों की बेशुमार शोभा आईं हैं 


फूल बाग की शोभा अब चलना हैं नूर बाग़    

मेरी रूह फूल बाग में रमण विहार करने के बाद ,वहां के सौंदर्य ,नरमाई और सुगंधी के अखंड आनंद ले कर रूह नूर बाग की और चलती हैं |


  प्रियतम श्री राज जी ने कितनी अद्भुत मार्ग दिखलाया हैं नूर बाग में जाने का -,फूल बाग के बड़े बगीचे के सामने रंगमहल की पश्चिम दिशा में जो 150 मंदिर आएं हैं | इन मंदिरों मे ठीक मध्य जो 75-76 वां मंदिर हैं उसके पाखे की दीवार में 33 हाथ की मेहेराब आईं हैं | मेहेराब में फूल बाग की दिशा में सीढ़ियां उतरी हैं |


100 सीढ़ी 5 चांदे पार कर मेरी रूह नूर बाग की और जा रही हैं | सीढ़ियों पर आया गिलम इतना कोमल है कि घुटनों तक पांव धंस रहे हैं | गिलम की जोत की झलकार और दोनों ओर की दीवारों में मनोहारी चेतन चित्रामन की जोत अत्यंत ही सुहावनी प्रतीत हो रही हैं |ऐसे मानो कि फूलों की सुरंग से रूह नीचे उतर रही हैं और नूरी फूलों की सुगंधी रूह को इश्क मे गर्क कर रही हैं |
100 सीढ़ी 20 चांदे पार कर के रूह एक झरोखे में खुद को महसूस करती हैं |रंगों -नंगों से सुसज्जित झरोखा और मेरी रूह सखियों को संग में लेकर प्यारी सी ,मतवाली अदा से  नूर बाग की रोंस पर आती हैं | रोंस भी आशिक –देखिए ना रोंस ने अति कोमल होकर रूहों को मानो अपनी बाँहों में समेत लिया हो |


नूर बाग की शोभा फूल बाग की तरह ही आईं हैं |फूल बाग की तरह ही 100 बड़े बगीचे आएं हैं जिनके चारों और नहरे चल रहीं हैं |चारों कोनों में आएं चहेबच्चों से फूलों के मानिंद फव्वारे उठ रहे हैं |प्रत्येक बड़े बगीचे में आड़ी-खड़ी नहरों की शोभा आने से एक चौक में सोलह बगीचे बने हैं |जिनमें फूल बाग की तरह ही तीन तीन मंदिर की दूरी पर फूलों के वृक्ष आएं हैं |ऊपर -नीचे हर और फूल ही फूल ,उनकी सुगंधी का साम्राज्य–   

एक प्यारी सी शोभा हैं जो नूर बाग को और भी नूरी बनाती हैं वो हैं -नूर बाग में बड़े बगीचों को घेर कर आईं नहरों में नूर के थम्भ शोभित हैं जिनकी छत पर फूल बाग शोभायमान हैं |नूर के यह थम्भ एक एक मंदिर की दूरी पर स्थित हैं |इन थम्भों में से फूलों का प्रतिबिंब की झलकार रूह को अखंड सुख देती हैं 





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