श्री राज जी श्री ठकुरानी जी दोऊ चाकले पर विराजमान हैं |श्री ठकुरानी जी सेंदुरियाँ रंग की साड़ी ,श्याम रंग जड़ाव की कंचुकी और नीली लाहिको चरनियां |श्रीराज जी को सेंदुरियाँ रंग को चीरा ,आसमानी रंग जड़ाव की पिछौड़ी ,नीला ना पीला बीच के रंग का पटुका ,केशरियां रंग जड़ाव की इजार ,श्वेत रंग जड़ाव का जामा |ये श्री युगल स्वरूप जी का मूल बागा |अद्वैत की लाठी हाथ में लेकर सर्व सुन्दर साथ जी को प्रणाम |ये अद्वैत भूमिका शब्दातीत हैं जिसके एक जर्रे का वर्णन नहीं हो सकता तो सर्वका वर्णन करना तो असंभव ही हैं | |
श्री राज जी श्री ठकुरानी जी श्री रंगमहल की प्रथम भूमिका की पांचवीं गोल हवेली मूल मिलावा में कंचन रंग के जगमगाते सिंहासन पर विराजमान हैं |श्रीराज जी का बाँया चरण नूर की चौकी पर और दाँया चरण बायी जाँघ पर सोभित है |श्री श्यामजी दोनो चरण कमल नूर की चौकी पर रख विराजमान हैं |
परमधाम की लाडली रूह श्री श्यामा जी के नूरी नूरी चरण कमलों को अपने हाथों में लेती हैं --मेरी श्यामा महारानी जी के चरण कमल अत्यंत ही कोमल हैं --नाजुक -नाजुक चरण कमल सलूकी ,शोभा से युक्त हैं -नखों का तेज तो आसमान तक झलक रहा हैं --अत्यंत ही सुन्दर नख ,उनकी जोत और श्री श्यामा जी के गौर वर्ण में लालिमा लिये पतले पतले नूरी अंगूठे और लगती अति सुन्दर शोभा लिये अंगुरियां सखी मेरी रूह के नयनों से निरख --
एक नूरी अंगूठे में आरसी की अद्भुत शोभा आयीं हैं --कंचन में जड़ी माणिक रंग की आरसी जिसमें श्री श्यामा महारानी अपना सम्पूर्ण सिंगार निरख उल्लसित होती हैं और दूसरे चरण कमल के अंगूठे में कंचन का चला शोभा ले रहा हैं
चरणों की अंगुरियों में श्री श्यामा जी ने अति सुन्दर ,मनोहारी बिछिए धारण किया हैं --जवेरातो से जड़ित अति कोमल ,महीन नक्काशी से सजे रंगों नंगों से झिलमिलाते एक एक बिछिया की शोभा मनमोहक हैं
श्री श्यामा जी के चरणारविन्द की शोभा रूहें बार बार निरखती हैं --उनकी नाजुक ,नरम एड़ी--लालिमा से गहराई हुई गौर वर्ण में शोभित हैं --पंजे ,टखने की सलूकी नाजुकी की शोभा बेहद ही प्यारी हैं --
और उनका कड़ा अंग कितना सुन्दर हैं और श्री श्यामा महारानी जी के काड़े अंग में धारण किया आभूषण तो देखे --झाझरी ,घुघरी ,काम्बी और कड़ला की शोभा कितनी अद्भुत हैं --श्री शयामा जी के भूखन इतने चेतन कि रूह का अभिनंदन मीठी मीठी झंकार से कर रहैं हैं |
और इतने कोमल हैं कि छूने से आभास ही नही होता कि भूखन पहने भी हैं या नहीं|
चरण की शोभा ,चरण तली की लाल लाल लिंके ,सलूकी लिये चरणों की शोभा ,भूखनो की शोभा निहारते निहारते नजर ऊपर हुई तो देखी -नीली लॅहिको चरनियाँ--चरनियां नीले रंग की आईं हैं ।किनारों पर सात नंगों का अदभुत जड़ाव हैं ।श्यामा जी की चरनियां (लहंगा )अति कोमल रेशम के माफक हैं ।उसकी चुन्नटों पर अनेक प्रकार की बलों ,फूलों की प्यारी नक्काशी हैं ।--
कई रंगो से सजी किनार और बेल बूटिओं से सजी चरनियाँ सेंदुरियाँ रंग जडाव की साडी मे झलकती अद्भुत प्रतीत हो रही हैं | महीन जड़ी हुई साडी जिसके किनार पर आई कांगरी मे हीरे ,मोती ,माणिक ,पुखराज ,कंचन आदि कई नंगो का जडाव आया हैं | कमर मे नाज़ुक सी कई रत्नो से सजी कमर बँध और —
श्री राज जी श्री ठकुरानी जी श्री रंगमहल की प्रथम भूमिका की पांचवीं गोल हवेली मूल मिलावा में कंचन रंग के जगमगाते सिंहासन पर विराजमान हैं |श्रीराज जी का बाँया चरण नूर की चौकी पर और दाँया चरण बायी जाँघ पर सोभित है |श्री श्यामजी दोनो चरण कमल नूर की चौकी पर रख विराजमान हैं |
परमधाम की लाडली रूह श्री श्यामा जी के नूरी नूरी चरण कमलों को अपने हाथों में लेती हैं --मेरी श्यामा महारानी जी के चरण कमल अत्यंत ही कोमल हैं --नाजुक -नाजुक चरण कमल सलूकी ,शोभा से युक्त हैं -नखों का तेज तो आसमान तक झलक रहा हैं --अत्यंत ही सुन्दर नख ,उनकी जोत और श्री श्यामा जी के गौर वर्ण में लालिमा लिये पतले पतले नूरी अंगूठे और लगती अति सुन्दर शोभा लिये अंगुरियां सखी मेरी रूह के नयनों से निरख --
एक नूरी अंगूठे में आरसी की अद्भुत शोभा आयीं हैं --कंचन में जड़ी माणिक रंग की आरसी जिसमें श्री श्यामा महारानी अपना सम्पूर्ण सिंगार निरख उल्लसित होती हैं और दूसरे चरण कमल के अंगूठे में कंचन का चला शोभा ले रहा हैं
चरणों की अंगुरियों में श्री श्यामा जी ने अति सुन्दर ,मनोहारी बिछिए धारण किया हैं --जवेरातो से जड़ित अति कोमल ,महीन नक्काशी से सजे रंगों नंगों से झिलमिलाते एक एक बिछिया की शोभा मनमोहक हैं
श्री श्यामा जी के चरणारविन्द की शोभा रूहें बार बार निरखती हैं --उनकी नाजुक ,नरम एड़ी--लालिमा से गहराई हुई गौर वर्ण में शोभित हैं --पंजे ,टखने की सलूकी नाजुकी की शोभा बेहद ही प्यारी हैं --
और उनका कड़ा अंग कितना सुन्दर हैं और श्री श्यामा महारानी जी के काड़े अंग में धारण किया आभूषण तो देखे --झाझरी ,घुघरी ,काम्बी और कड़ला की शोभा कितनी अद्भुत हैं --श्री शयामा जी के भूखन इतने चेतन कि रूह का अभिनंदन मीठी मीठी झंकार से कर रहैं हैं |
और इतने कोमल हैं कि छूने से आभास ही नही होता कि भूखन पहने भी हैं या नहीं|
चरण की शोभा ,चरण तली की लाल लाल लिंके ,सलूकी लिये चरणों की शोभा ,भूखनो की शोभा निहारते निहारते नजर ऊपर हुई तो देखी -नीली लॅहिको चरनियाँ--चरनियां नीले रंग की आईं हैं ।किनारों पर सात नंगों का अदभुत जड़ाव हैं ।श्यामा जी की चरनियां (लहंगा )अति कोमल रेशम के माफक हैं ।उसकी चुन्नटों पर अनेक प्रकार की बलों ,फूलों की प्यारी नक्काशी हैं ।--
कई रंगो से सजी किनार और बेल बूटिओं से सजी चरनियाँ सेंदुरियाँ रंग जडाव की साडी मे झलकती अद्भुत प्रतीत हो रही हैं | महीन जड़ी हुई साडी जिसके किनार पर आई कांगरी मे हीरे ,मोती ,माणिक ,पुखराज ,कंचन आदि कई नंगो का जडाव आया हैं | कमर मे नाज़ुक सी कई रत्नो से सजी कमर बँध और —
श्यामा जी के नाज़ुक नाज़ुक गौर हस्त कमल को रूह अपने हाथो में लेकर महसूस करती हैं – हस्त कमल की नाज़ुकी , ,सलूकी -तली की लालिमा ,महीन लिंके —पतली पतली नाज़ुक अँगुलियां --उनका लालिमा लिए गौर रंग नखों का तेज आसमान छू रहा हैं —अँगुलियों मे पहनी अंगूठियां —अंगूठे मे धारण की हीरे की आरसी ओर छल्ला-
श्री श्यामा महारानी जु के गौर गौर हस्त कमल --सलूकी लिये --नाजुकी से लबरेज और उनमें आएं नूरी आभूषण जो उनके ही नूरी अंग हैं --पोहोंची ,नवघड़ी ,नवचूड़ ओर कन्कनी की शोभा कथनी से पर हैं
और उनकी कोमल बाजु में बाजुबंध की अपार शोभा और लटकते फुंदन --
बाजुबंध ----कुछ इस तरह --यह भुखन यहाँ के हैं --एक उदहारण के रूप में यहाँ प्रस्तुत हैं की कुछ छबि बैठे
श्याम रंग जडाव की कंचुकी--श्री महारानी जी की चोली श्याम रंग की हैं ।बाजू ,मोहरी ,खम्भे ,पेट ,खडपे ,ओर ,कंठ आदि सब जगह बेल फूल बूटों की नक्काशी जैसे शोभे वैसी ही शोभित हैं ।चार तनी ,तनी पर कांगरी ,दो बंध पीठ पर और सुन्दर फुमक की शोभा अदभुत हैं ।
उनके नूरी कंठ में कंठसरी की शोभा --कंठ से लगा नूरी की शोभा अपार हैं
माणिक नंग के हार से पूरा वतन गुलाबी आभा से जगमगा उठा | हीरे की जोत आसमान जिमी को उज्ज्वल कर रही हैं | मोती ,नीलवी और लहुस्निया के हार की महक ,उनकी खुश्बू से वतन महक रहा हैं
हरवती की नाज़ुकी लिए अदभुत शोभा ——गौरे- गौरे गाल उनमे आई लालिमा —श्रवण अंग मे आए कर्णफूल– रूह अपलक देख रही हैं |
नासिका की सलूकी–गौर रंग मे गुलाबी आभा लिए माणिक रंग मे आई नासिका मे बेसर —कमल की पंखुड़ी की तरह खिले होठ
नूरी मस्तक पर बेन्दा ,उनमे आए माणिक ,मोती का जडाव—तिरछे नेत्र कमल, उनकी चंचलता ,गंभीरता –और शीश कमल पर राखड़ी जिसमे माणिक के फूल को घेर कर पुखराज ,नीलवी का जडाव हैं | शीश कमल पर तीन फूल --माँग पर पानडी की शोभा ,माँग मे भरा सिंदूर की जोत — रूह फेर फेर निरखती हैं
बेन्दा
राखड़ी
श्री श्यामा महारानी ने साडी का पल्लू इस अदा से लिया कि राखड़ी ,बालो पर आई स्वर्ण पटिका—श्रवण अंग मे धारण किए कर्नफुल—नूरी कंठ मे धारण किए सात हार —इन सब की शोभा साडी मे झलकती प्यारी दिख रही हैं |ओर पीठ पर लहराती चौटी —कंचुकी के बँध के फुंदन……इन सबसे अधिक गौर कमर इन सबका दर्शन भी साडी मे से झलक रहा हैं रूह इस प्यारी सी छब फब पर निसार जाती हैं |
आत्म श्यामाजी की अनुपम छब का एकटक दीदार कर रही हैं||उनके चरणो मैं बस जाना चाहती हैं |
Ati sundar varnan
जवाब देंहटाएंअनुपम छवि🙏 अनुपम शोभा 🙏इस झूठी जुबां से वर्णन किया ना जाये I फिर भी अति सुन्दर💖अद्भुत प्रयास 🙏श्री राज श्यामा जी की अपार मेहर हर पल सदा सदा बनी रहे 🙏
जवाब देंहटाएं