बुधवार, 1 जून 2022

hajar haans mahal

🌹प्रणामजी सुन्दरसाथ जी 🌹


खुद को पुखराज पहाड़ की चांदनी पर देखते हैं तो वहां मेरी रूह घेर कर कोनसी शोभा देख रही हैं जो पुखराजी रोंस को छाया (ढांप ) रही हैं ?



घेर कर आये छज्जा की भीतरी किनार पर रूह कमर भर ऊंचा एक हान्स भर चौड़ा चबूतरा देख रही हैं इन चबूतरा पर हजार हान्स महल सुशोभित हैं तो हान्स हान्स पर बाहिरी तरफ गुर्ज आये हैं और भीतरी तरफ शोभा कैसे हैं --गुर्ज की शोभा अष्ट मेहराबी चबूतरा की शोभा निहारे देखे और दिखाए ?



हजार हान्स हजार महल एक एक महल में कितनी महलों की हारे आयी हैं --बड़े द्वार कहा आये हैं 



आइये चांदनी पर इन महलों की शोभा खड़े होकर निरखे नज़रों में सुखों का वर्णन करे?

मंगलवार, 17 मई 2022

noorbag or vaayyv kon

 श्री नूरबाग में हैं उन  बगीचों में रमण कर रहे हैं --सुगन्धि को धनि के इश्क को महसूस कर रहे हैं और जब हमारी नजर बड़े बगीचा के किनारे किनारे जाती हैं तो वहां क्या शोभा आयीं हैं ?

 वाय्यव कोण के चेहेबच्चा पर हैं और 480  मंदिर की परिक्रमा में सखियों संग हैं फूलबाग की हद में एक भोम ऊँची फूलों की नूरी चन्द्रवा दिखती हुई उनके दो फूलों के कठेड़े दिख रहे हैं नजर बड़ो वन (पांच भोम वाले )की और गयी या लाल चबूतरा की हद में जाए तो नजरों में कैसे प्यारी शोभा बस रही हैं ?अपने अपने भाव अवश्य रखे 🙏


 अन्न वन के एक बगीचा में रूह खड़ी हैं --नूरी शोभा ,सुगन्धि का आलम --शाक तरकारी की भीनी भीनी महक --चारों तरफ बहती नेहेरें चारोँ कोनों में चेहेबच्चा इन एक एक बड़े बगीचा में ऐसे क्या शोभा हैं जो अन्न वन की विशेष शोभा हैं ?

दुब दुलीचा में नूरी दुब ,सुन्दर बैठके तो रूह निरख रही हैं एक बड़े बगीचा की नूरी बैठके ---किन किन जगह बैठके सही हैं ?कहां कहां श्री राज श्यामा जी और रूहों वास्ते नूरी सिंघासन कुर्सियों की शोभा होगी ?

शुक्रवार, 13 मई 2022

श्री फूलबाग के नैऋत्य कोण के चहबच्चा



प्रणाम जी सुन्दरसाथ जी --इन पटदर्शन में फूलबाग के दर्शन हैं इन में हमें श्री रंगमहल के नैऋत्य कोण के चहबच्चे से श्री फूलबाग के नैऋत्य कोण के चहबच्चे की और चलना हैं तो हमें क्या नूरी शोभा के दीदार होंगे ?





श्री फूलबाग के नैऋत्य और वाय्यव कोण के चहबच्चा किन स्थान पर सुशोभित हैं और कितने पहल नूरबाग से मिले हुए हैं ?




3---श्री फूलबाग के नैऋत्य  कोण के चहबच्चा की रोंस पर हैं तो क्या वृक्षों का नूरी छत्रीमण्डल सम्पूर्ण 480  की गृद में आया हैं ? अगर हाँ तो पहला छत्रीमण्डल चहबच्चा की रोंस से कितने हाथ की ऊंचाई पर हैं 

गुरुवार, 10 सितंबर 2020

DHAM SIDHIYAN

 

 


 

मेरी रूह --गुम्मद जी में नमन कर रही हूँ --युगल स्वरूप श्री राज श्यामा जी के चरणों को दिल में लेती हैं रूह खुद को देखती हैं - पीया श्री राज जी श्यामा जी और धाम सखियों के संग धाम की विशाल सीढ़ियों पर

विशाल अति सुन्दर शोभा लिए नूरी सीढ़ियां --सीढ़ियों के दोनों और कठेडों की अलौकिक शोभा --कठेड़े में आयें नूरी चित्रामन --चेतन --श्री राज श्यामा जी और सखियों के क़दमों की आहत पाते ही झूम उठे --पशु पक्षी तुहि तुहि पिऊपिऊ की गुंजार कर तरह तरह के करतब कर रहे हैं --नूरी वृक्षों में खिले फूल अपनी सुंगन्धि और भी बढ़ा रहे हैं कोमल हो रहे हैं और वृक्ष भी तो पीऊ का आशिक --उनके आगमन पर फूल बरसा अभिनन्दन कर रहा हैं --और चित्रामन की पुतलियाँ नृत्य कर उठती हैं --

कोई सखी धनि संग सीढ़ी पर खड़ी हैं उनसे बातें कर प्रसन्न हो रही है तो कुछ चांदनी चौक की नूरी नरम रेती में रमन कर रही हैं तो कोई चबूतरों पर बैठ हांस विलास कर रही हैं --नूरी समा --चित्त चाहया मौसम --कभी खिली खिली मीठी धुप तो छाँव और बदलियों का उमड़ उमड़ कर आना --बरखा में पीऊ संग सुख रहें ले रही हैं --

अब चलना हैं धाम भीतर --तो धनि संग सखियाँ ऊपर चढ़ने के लिए कदम धरती हैं --सीढ़ी बेहद ही कोमल प्यारा सा अहसास करा रही हैं --आओ में धाम धनि --आपका अभिनन्दन हैं --सीढ़ियों की सुन्दर शोभा --कठेड़े की सुन्दर शोभा --निरखते धनि संग सीढ़ियां चढ़ रहे हैं --मधुर संगीत लहरी --सखियों के कदम थिरक उठते हैं पीऊ के संग धाम की सीढ़ियां बेहद ही प्यारी लग रही हैं --आभूषणों की मीठी मीठी झंकार --और चांदा की न्यारी शोभा --कुछ पल रुकिए --की मीठी आवाज --

चांदो की प्यारी सी शोभा --सीढ़ियां --चांदे सुन्दर अति सुन्दर शोभा और जब श्री राज श्यामा जी यहां आयें तो उन शोभा का क्या वर्णन हो--हँसते खेलते सीढ़ियां चढ़ धाम दरवाजे के सन्मुख पहुंचे -- 

बुधवार, 6 मई 2020

चांदनी चौक-MEDITATION

रंगमहल की पूर्व दिशा में अमृत वन के तीसरे हिस्से में १६६ मंदिर का लंबा चौड़ा चांदनी सुशोभित हैं

खुद को महसूस कर मेरी रूह चांदनी चौक में और मुख श्री रंगमहल की और --तो ठीक मध्य में दिखाई दे रही हैं --दो मंदिर की अति सुंदर रंगों नंगों से झिलमिलाती रोंस --देख तो मेरी रूह कैसे तुझे धाम सीढ़ियों तक पहुँचाती हैं

धाम की और बढ़ते समय चांदनी चौक की नूरमयी रेती की नरमाई महसूस होती हैं --मोती हीरा की माफिक जगमगाती धाम की नूरी रेती का तेज आसमान तक झलकता हैं

उत्तर हाथ को लाल वृक्ष की शोभा आयीं हैं तो बायीं और हरे वृक्ष की अपार शोभा आयीं हैं

                        सखी चलते हैं अपने दायीं और लाल वृक्ष की और ---रेती में कदम रखे तो दो खुनी ,तीन खुनी ,चौखुनी ,अति नरम रेती में पाँव घुटनों तक धंस रहे हैं

 मानो रेती भी रूह को अपने पास रुक जाने को कह रही हैं --सखी रुक ..कुछ पल मुझसे भी गुफ़्तुगू कर                        

 रेती की नरमाई ,सुगंधि को महसूस करते हुए ,रेती में अठखेलियां करते हुए लाल वृक्ष की और बढ़ रहे हैं --रेती के नूरी कण मेरी रूह के नूरी तन से स्पर्श कर आभूषण बन खिल उठे हैं
उत्तर दिशा में आएं चबूतरे के नजदीक पहुंचे ---33  मंदिर का लंबा चौड़ा चबूतरा चांदनी चौक की रेती से तीन सीढ़ी ऊंचा आया हैं ---चबूतरा के चारों दिशा में आठ मंदिर की जगह में अति मनोहारी शोभा लिये सीढियां चांदनी चौक में उतरी हैं --शेष जगह घेर कर कठेड़ा आया हैं                        

श्री राज जी की मधुर पुकार --आओ मेरी सखी ,चबूतरा पर चले ---सीढ़ियों पर कदम रखे --अत्यंत ही कोमलता लिये सीढ़ी मानों और भी कोमल हो रही हैं कि मेरी सखी आयीं हैं

श्री राज श्यामजी जी के संग हम सखियाँ हाथों में हाथ थामें चबूतरा पर चढ़ कर आएं और धनी जी दिखा रहे हैं चबूतरा की अलौकिक अद्भुत शोभा

सर्वप्रथम देखा --चबूतरा को घेर कर आयीं रेलिंग --में वीणा के तार सजे हुए --


रूह ने जैसे ही हाथों से छुआ --मधुर स्वर लहरी --और संगीत की मधुर लहरी के साथ ही सिंहासन कुर्सियां हाजिर चबूतरा पर -आओ मेरी सखियों ,विराजिए

नूरी सखियों पर सखी हम भी बड़ी ही अदा से ,नजाकत से कुर्सियों पर विराजमान हुए --सामने युगल स्वर की मनमोहनी छबि

चबूतरा पर नूरी फूल कुछ इस तरह से बिछे हुए मानों अति कोमल गिलम  बिछा हो                        

नूरी फूलों पत्तियों की अजब शोभा के बीच में एक मंदिर का मोटा तना उठा --     
                   
 अति नूरी शोभा लिये नूरी जगमगाहट से धाम को रोशन करता तना जिसके चारों दिशा में फूलों से सुसज्जित द्वारों की शोभा आयीं हैं

 तना सीधा 75  हाथ  सीधा ऊपर जाकर हर दिशा में 34 -34  मेहराबे बड़ा  रहा हैं --डालियों ,फूलो, पत्तियों ने मिलकर अति सुंदर छत दी हैं चबूतरा पर --बीच में सुखदायी झलकार करता हुए नूरमयी ताने की शोभा ,ऊपर फूलों का नूरी चंदवा ,निचे चेतन फूलों ने गिलम पेश की हैं --ऐसे सुंदर समां में युगल पीया जी के संग चबूतरों पर आयीं पीया की आत्म स्वरूप नूरी कुर्सियों पर विराजमान हुए हम --                        
 सामने पशु पक्षियों के जूथ जूथ उमड़ पड़े दीदार के लिये ,प्रेममयी क्रीड़ा करके धाम धनी को रिझावन खातिर                        
मोरो का नृत्य ,पक्षियों की उड़ान --उनके दिल को भाने वाले करतब  और धाम के नूरी बंदरों की कलाबाजियां --कुछ पल इनका आनंद ले अब उठते हैं दूजी भोम के भी कुछ नजारों के दर्शन कर लें हम                        
 यहाँ से उठकर तने में आएं सुंदर द्वार से भीतर प्रवेश किया तो भीतर अत्यंत विशालता लिये विस्तार --फूलों की नूरी बैठके और सुन्दर सीढ़ी चढ़ती हुई --फूलों पत्तियों से सुसज्जित --सुगंधि का आलम और नूर की किरणों से रोशन हर शह --उल्लास में भीगे ,अंग अंग में आनंद झलकता हुआ सीढ़ियों से चढ़कर वृक्ष की दूसरी भोम में आ पहुंचे --                        

वृक्ष की दूजी भोम --क्या अजब नजारा हैं --३ मंदिर की लंबी चौड़ी फूलों की छत के मध्य से प्रगट होता हुआ वृक्ष का नूरी तना जो ७५ हाथ सीधे जाकर डालियाँ बढ़ाकर कर सुन्दर छत्रिमंडल कर मोहोल रूप में शोभित हो रहा हैं --चारों और से खुले फूलों से आच्छादित मेहराबी द्वार --हर जोगबाई फूलों पत्तिययों की --सेज्या ,सिंहासन ,हिंडोले सभी फूलों के अति नरम सुखदायी और तीसरी चांदनी पर फूलों की सुन्दर देहुरी और उस पर आया कलश ध्वजा

शनिवार, 29 सितंबर 2018

mulmilave ki or

मेरी रूह चौथी चौरस हवेली को पार कर अब आगे बढ़ती है --नूरमयी गली अनुपम शोभा लिए पार की --नूर से झिलमिलाते थंभों की नूरी हार पार कर रही है रूह 

आगे एक नूरी गली जुदि  जिनस से सजी ,सुगन्धि धाम की

 रूह दिल में अति प्रेम ले आगे बढ़ रही हैं --नूरी नज़ारे धाम के --जावेराहातों से झिलमिल करते नूरी थंभों की हार गोलाई में घूमती हुई रूह को प्रिय लग रही हैं ---और आगे रूह बढ़ रही है सामने पांचवी गोल हवेली 

मेरी रूह का मूल मिलावा

मेरी रूह उल्लास से आगे बढ़ रही हैं --पीया मिलान की आस ले --सामने हरी आभा से महका नूरी दरवाजा 

मेरी रूह मुलमिलावे की हवेली के मुख्य दरवाजा से होती हुई भीतर आती हैं

अति सुन्दर समा ,अद्भुत शोभा --घेर कर नूरी हार रंगों नंगों में झिलमिलाते उनके अतिशय सुन्दर दरवाजे --उनमे आये चित्रामन चेतनता लिए रूह को सस्नेह अभिवादन कर रहे हैं --चारों दिशा से नूर की लहरें आती हुई रूह को इश्क में भिगोती हुई

रूह हरित आभा से लबरेज नूरी मार्ग से आगे बढ़ रही हैं --धाम धनि की खुशहाली --पीया जी से अंग संग मिलने का उल्लास अंग प्रत्यंग में --
रूह बढे ही प्रेम से उल्लास से आगे बढ़ रही हैं --एक एक कदम रूह को धाम धनी के सम्मुख ले जाता हुआ --

रूह और आगे बढ़ी तो सामने ठीक मध्य भाग में पहलदार गोलाई लिए कमर भर ऊंचा नूरी चबूतरा --चबूतरा की दीवार में आयी अद्भुत नक्काशी --मनोहारी चित्रामन --युगल पीया श्री राज श्यामा जी के संग लिए सुखों की अनुभूति इन चित्रामन में --
हिंडोलों में पीया जी के संग झूलना ,वनों में रमण ,असवारी के अनंत सुख ,झीलन के अपार सुख और अपने हाथों से धनी को सिंगार कराना --

इन सुखद अहसासों में मग्न रूह चबूतरा की नूरी सीढ़ियों के सन्मुख पहुंची --

मेरी रूह अति ही प्रसन्न ,प्रेम में डूबी चेतन सीढ़ी पर कदम रखती हैं तो चेतन सीढ़ी रूह को चबूतरा तक पहुंचा देती हैं --
अति सुन्दर अहसास --मनोहारी शोभा लिए चबूतरा किनार पर आये नूरी थम्भ- मेहराबे और चारों दिशा में आये दरवाजे

दायी और पुखराजी आभा  से खिला हुआ द्वार रूह को धामधनी श्री राज जी की और उन्मुख करता हुआ और बायीं और माणिक का दरवाजा रूह को इश्क की पूर्णता का अहसास करा हैं
 सामने पश्चिम की और नीलवी का द्वार रूह को इश्क में लबरेज कर रहा हैं --आमने सामने आये नूरी पीया के आशिक चेतन थंभों की सोहनी झलकार --हीरा की जगमगाते थम्भ के सामने हीरे का थम्भ -लसनिया के नूरी थम्भ के सामने लसनिया का थम्भ शोभा लेता --नूरी अजब शोभा
और  थम्भों को भराए कर के नूरमयी ,अत्यंत ही सुंदर ,महीन -महीन नक्काशी से सज्जित और मोतियों की लड़ो से शोभित चंद्रवा की मनोहारी शोभा ---चबूतरे की किनार पर आएं थम्भ ,उनकी महेराबे ,थम्भों पर शोभित चंद्रवा ,नीचे नूरी ,नरम दुलीचे की जोत ,उनकी तरंगे आपस में युद्ध करती हुई मनोरम प्रतीत हो रहीं हैं मेरी रूह को

देखते  देखते रूह आगे बढ़ रही हैं नरम कोमल पश्म --पाँव धंसते हुए प्रतीत हो रहे हैं

मेरी रूह देखती है वह नूरानी दृश्य जिसका दीदार रूह को उल्लसित कर रहा हैं --नूरी पश्मी गिलम में खिले नूरी शोभा लिए कमल के नूरानी फूल पर शोभित युगल पीया जी का कंचन रंग में लालिमा बिखरेते --खुशियों की बरखा करता अति सुन्दर सिंघासन --

चित्रामन में आया कमल का फूल खिलता हुआ प्रतीत हो रहा है और बेशुमार पंखुड़ी के विशाल नूरी फूल पर रखा मेरी रूह के धामदुलहा का सिंघासन --सिंघासन के पाए फूल की शोभा ले रहे है ऐसा लग रहा हैं की नूरी फूल पर सुन्दर बैठक --जिसमें  छः डांड़े आएँ हैं | जिन पर अद्भुत चित्रामन जगमगा रहा हैं और उन पर नूरी ,चेतन फूल खिले है | एक एक डांड़े में दस दस रंग जवेरो के झलकते हैं |(मोती ,रतन,माणिक ,हीरे ,हेम ,पाने पुखराज ,गोमादिक ,पाच पिरोजा ,प्रवाल ) |

इन नूरी अति सुन्दर बैठक और भी प्यारी लग रही है जब कलश की शोभा आती है --अति सुन्दर शोभा लिए कलस 

इन नूरी अद्भुत शोभा लिए सिंघासन के पिछले तीन डांड़ो के मध्य दो तकिए हैं |जिन पर भी अनेक प्रकार की कई सूक्ष्म अत्यंत ही मनोहारी चित्रण हैं |चारों थम्भो पर चारों ओर से चढ़ती कांगरी सुशोभित हैं | कांगरी में कई प्रकार के नूर से भरे फूल ,पत्ते ,बेलें और महीन कटाव आएँ हैं |

और सिंहासन स्वरूपी सुन्दर सुखदायी बैठक  पर एक गादी दो पशमी चाकले और दो तकिये पीछे दो दाएँ -बाएँ और मध्य मे एक तकिया रोशन है |सुखदायी बैठक मेरे धनि की

मेरी रूह के धाम धनि ,मेरे प्राण वल्ल्भ श्री राज जी श्री ठकुरानी जी दोऊ नूरी सुखदायी चाकले पर विराजमान हैं |श्रीराज जी का बाँया चरण कमल नूर की चौकी पर और दाँया चरण बायी जाँघ पर  है |मेरी रूह उनकी इन चब को देख निसार जाती हैं और श्री श्यामजी महारानी जी दोनो श्री चरण कमल नूर की चौकी पर रख मुस्करा रही हैं

मंगलवार, 12 सितंबर 2017

 चले अपनी रूह की निज नजर से तीजी भोम की पड़साल की अलौकिक लीलाओं के दर्शन करे                        
आप पिया श्री राज जी श्री श्यामा जी प्रातः काल पांचवीं भोम से उठ कर तीसरी भोम सब सखियों के संग पधारते हैं --उन समय के सुखों को याद कर मेरी रूह जब प्रीतम श्री राज जी श्री श्यामा जी सब साथ को ले तीसरी भूमिका के नूरमयी चौक २८ थम्भ के चौक में आन खड़े होते हैं                        
 अब यहाँ से हमारे युगल स्वरूप श्री राज जी श्री श्यामा जी चलेंगे तीजी भूमिका की पड़साल की और --वहां चलने से पहले श्री राज जी रूहों को दिखा रहे हैं  28  थम्भ के चौक की अलौकिक नूरी शोभा --देख तो मेरी सखी घेर कर नूरमयी थंभों की सोहनी झलकार ,उनसे उठती किरणे सम्पूर्ण  वतन को रोशन कर रही हैं --ऊपर नूरी चंदवा की जगमगाहट और नीचे अति कोमल पशमी गिलम ---और देख मेरी सखी दायीं और दूसरी हार मंदिरों का लगता मंदिर कैसे आसमानी रंग में सुशोभित हैं यह तेरी श्यामा जी महारानी के सिंगार का मंदिर हैं
अब यहाँ से हमारे युगल स्वरूप श्री राज जी श्री श्यामा जी चलेंगे तीजी भूमिका की पड़साल की और --वहां चलने से पहले श्री राज जी रूहों को दिखा रहे हैं  28  थम्भ के चौक की अलौकिक नूरी शोभा --देख तो मेरी सखी घेर कर नूरमयी थंभों की सोहनी झलकार ,उनसे उठती किरणे सम्पूर्ण  वतन को रोशन कर रही हैं --ऊपर नूरी चंदवा की जगमगाहट और नीचे अति कोमल पशमी गिलम ---और देख मेरी सखी दायीं और दूसरी हार मंदिरों का लगता मंदिर कैसे आसमानी रंग में सुशोभित हैं यह तेरी श्यामा जी महारानी के सिंगार का मंदिर हैं                        

अब श्री राज जी श्री श्यामा जी को साथ में ले कर बढ़ते हैं तीजी भोम की पड़साल की और --संग में हम सखियाँ भी हैं 
चलते समय गिलम की कोमलता को महसूस कर मेरी रूह --कितनी कोमल ,नरम गिलम मानो और भी कोमल हो धाम धनि का अभिनन्दन कर रही हो --आ पहुंचे 28  थम्भ के चौक की पूर्व किनार पर --चौक के ठीक आगे लगता चार मंदिर का लंबा एक मंदिर चौड़ा चबूतरा की शोभा देखे
 चार मंदिर के सोहने चौक से 28  थम्भ के चौक में उतरती सीढ़ियों की शोभा बेहद ही प्यारी हैं --प्रियतम श्री राज जी श्री श्यामा जी अपने पाँव मुबारक बढ़ाते हैं पहली सीढ़ी की और --ओहो मेरे धाम दूल्हा के नूरानी चरण ,उनकी नूरानी छबि,गौर वर्ण में लालिमा लिये मेरे महबूब के चरणारविन्द --सीढ़ी चढ़ते समय उनके आभूषणों की मधुर झंकार रूहों को घायल कर रही हैं                        

 अक्षरातीत श्री राज जी श्री श्यामा जी सब रूहों को संग ले चार मंदिर के चौक में आते हैं --चौक से 28  थम्भ के चौक में उतरती सीढ़ियों की शोभा तो रूहों ने महसूस की --अब देखे उत्तर दक्षिन दोनों दिशा में भी गली में सीढियां  उतरी हैं --दोनों दिशाओं में सीढ़ी की जगह छोड़कर कर नूरमयी कठेड़े की शोभा हैं इसी प्रकार से 28  थम्भ के चौक की और भी सीढ़ी की जगह छोड़कर कर नूरमयी कठेड़े की शोभा हैं --

चार मंदिर की नूरी शोभा में झिलते  अब चले दहलान की और श्री राज जी के संग --चार मंदिर के चौक से ठीक लगती दहलान की शोभा आयीं हैं                        
 चार मंदिर के चबूतरे के साथ मिलान करती चार मंदिर के दहलान धाम दरवाजे के ठीक ऊपर आयीं हैं --दो मंदिर की जगह तो हुई धाम दरवाजे की और एक एक मंदिर और ले कर चार मंदिर की दहलान की शोभा आयीं हैं --तो मेरी रूह दहलान के पूर्व पश्चिम दोनों किनारो  पर नूरी थम्भ झिलमिला रहे हैं --दहलान के उत्तर दक्षिन 3-3  मंदिर आएं हैं --मेरी रूह यह मंदिर भी श्री राज जी का प्रसाद हैं हम रूहों को --यह मंदिर भी समय आने पर दहलान रूप में परिवर्तित होकर रूहों को सुख देते हैं
 चार मंदिर के चबूतरे के समान चार मंदिर की दहलान भी तीन सीढ़ी ऊंची शोभायमान हैं --दोनों और आएं तीन तीन मंदिर भी तीन सीढ़ी ऊंचे हैं तभी तो देख मेरी रूह --मंदिरों से भीतर गली की और सीढियां उतरी हैं चांदा के रूप में --बाहिरी हार यह मंदिर भीतर गली से तीन सीढ़ी ऊंचे हैं तो वहां मंदिर के दरवाजे के आगे चांदा की शोभा आयीं हैं और चांदा से दोनों और गली में तीन तीन सीढियां उतरी हैं                        

 दहलान की शोभा देख आगे बढे तो आ पहुचे तीजी भोम की पड़साल पर --दस मंदिर की लंबी और दो मंदिर की चौड़ी --चांदनी चौक की और -यह नीचे जो दो मंदिर का चौक आया हैं और चौक के दोनों और चार मंदिर के लंबे चबूतरे आये हैं उन पर तीसरी भोम में जो एक छत आयी हैं वहीं हैं तीजी भोम की पड़साल

तीजी भोम की पड़साल की पूर्व किनार पर थंभों की शोभा आयीं हैं यह थम्भ वहीं हैं जो पहली भोम से चले आ रहे हैं --ठीक मध्य में हीरा के दो थम्भ दो मंदिर की दुरी पर आएं हैं और दोनों और क्रमशः माणिक ,पुखराज ,पाच और नीलवी के थम्भ सुशोभित हैं --


मध्य में हीरा की दो मंदिर अति सुंदर मेहराब में अति सुंदर माणिक के नूरी फूल --और दोनों और दो दो रंगों में खिली खिली मेहराबे --थंभों के  मध्य स्वर्णिम कठेड़े की शोभा                        
 श्रीराज-श्री ठकुरानी जी मध्य की मेहराब में खड़े होते हैं और दाएं बाएं की मेहराबों में 12000 सखियाँ खड़ी होती हैं -तीजी भोम की विशाल--अलौकिक जोत से झलकार करती हुई --शीतल सुगन्धित हवा के झोंके --ऐसे प्रीत भरे नूरी आलम में युगल स्वरूप श्री राज श्यामा जी मध्य में शोभित हीरा की दो मंदिर की मेहराब में खड़े होते हैं ..दायीं बाईं सखियाँ ..उमंग से भरी ,मुख्य प्रसन्नता से दमकते हुए --इन्हें समय सामने चांदनी चौक में पशु -पक्षी उमड़ उमड़ कर आते हैं --सभी जातियों के पशु-पक्षी --दिल में प्रियतम के दीदार की आस लेकर आते हैं --श्री राज-श्यामा जी की एक इश्क रस भरी नजर का दीदार पाकर उल्लसित हो उठते हैं --उन्हें सिजदा कर अनेक प्रकार के हुनर-कलाओं से प्रिया और प्रियतम को रिझाते हैं --इनके हुनर को देख -देख कर सखियाँ अति प्रसन्न होती हैं --हक़-हादी और सखियाँ खूब हँसते -हंसाते हैं ।तब नूर जमाल के आनंद मस्ती में आकर नूरी पशु-पंखी ,जिनकी सुंदरता का कोई पारा-वार नहीं हैं ,प्रेम की मस्ती में अलमस्त होकर नृत्य कर उठते हैं ।

ऐसे अखण्ड आनंद के समय प्रियतम श्री राज जी के इश्क की शराब में मदमस्त होकर बन-बगीचे ,मोहोलातें ,महल ,मंदिर ,आकाश ,जमीन सभी सिजदा करते हैं --इन समय बड़ा ही मनमोहक दृश्य दृष्टिगोचर होता हैं --और जमुना जी का नूरी जल और उनके उछालें लेती लहरें भी पिऊ का दीदार करना चाहती हैं --तब इन समय में अक्षरातीत श्री राज जी अपनी मेहर की नूरी दृष्टि से अमृत बरखा करते हैं --मेहर की नूरी इश्कमयी की बरखा में सब कोई भीग कर उल्लासित हो
दर्शन देने के बाद  सखियाँ श्री राज जी महाराज जी को चार मंदिर की दहलान में आभूषणों का श्रृंगार कराती हैं और श्री श्यामा जी का सिंगार 28  थम्भ के चौक  के दक्षिण दिशा में दूसरी हार के आसमानी मंदिर मे होता हैं |बाहिरी हार मंदिरों की जो 6000 मंदिरों की दो हारें आईं हैं --इन मंदिरों में सखियाँ एक दूजे को श्रृंगार कराती हैं झूम उठते हैं - --पिऊ-पिऊ,तुहि-तुहि की मीठी ध्वनि की झंकार से सम्पूर्ण परमधाम गुंजायमान हो जाता हैं